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Last Updated :लखनऊ , सोमवार, 27 मार्च 2017 (15:03 IST)

उत्तर प्रदेश में बूचड़खानों पर कार्रवाई के खिलाफ मीट विक्रेताओं की हड़ताल

उत्तर प्रदेश में बूचड़खानों पर कार्रवाई के खिलाफ मीट विक्रेताओं की हड़ताल - meat trade strike in up
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत कई दूसरे इलाकों में मीट या मछली खाने वालों को आज दिक्कत का सामना करना पड़ेगा क्योंकि उत्तर प्रदेश में बूचड़खानों पर हो रही कार्रवाई का विरोध करते हुए मीट विक्रेताओं ने सोमवार से हड़ताल पर जाने का एलान किया है। मटन और चिकन विक्रेताओं, मछली कारोबारियों ने आज से बेमीयादी हड़ताल करने का एलान किया है।
 
प्रदेश में हड़ताल की वजह से मांस परोसने वाले होटल अब बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं। 100 साल के इतिहास में लखनऊ का टुंडे कबाबी पहली बार बंद हुआ, हालांकि मांसाहार का होटल चलाने वाले कुछ लोगों ने अवैध बूचड़खाने बंद किए जाने का स्वागत किया है। उनका कहना है कि प्रदेश में अगर मांस की किल्लत हुई तो वह दिल्ली से मटन मंगवाएंगे। उनका आरोप है कि अवैध बूचड़खानों में कुत्तों तक को भी काटा जाता था।
 
हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से साफ-साफ कहा गया है कि कार्रवाई सिर्फ उन बूचड़खानों के खिलाफ हो रही है जो अवैध हैं। मांस बेचने वाले उन दुकानों को भी बंद कराया जा रहा है जिनके पास लाइसेंस नहीं हैं। जिनके पास लाइसेंस है उन्हें अपना काम रोकने की जरूरत नहीं है।
 
उत्तर प्रदेश में 40 वैध और करीब 316 अवैध बूचड़खाने हैं। जिन बूचड़खानों के पास विभागों के लाइसेंस  पूरे नहीं होते वो अवैध माने जाते हैं। बूचड़खाने बंद होने से सरकार को सलाना 11 हजार 350 करोड़ का नुकसान होगा। एनजीटी ने दो साल पहले बूचड़खानों पर बैन लगाया था।
 
भाजपा ने अपने घोषणापत्र में बूचड़खानों को बंद करने की बात कही थी। 19 मार्च को शपथ लेते ही सरकार ने तुरंत-प्रभाव से अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई की है। प्रदेश के कई जिलों में पिछले एक हफ्ते से बूचड़खानों को सील किया जा चुका है।