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Last Updated :पंचकुला , रविवार, 26 अक्टूबर 2014 (14:01 IST)

हरियाणा को मिल गए उसके 'हेडमास्टर' मनोहर लाल खट्टर

हरियाणा को मिल गए उसके 'हेडमास्टर' मनोहर लाल खट्टर - Manoharlal Khattar
-सुनील जैन
 
पंचकुला। हरियाणा को मिल गए हैं उसके 'हेडमास्टर साब' यानी मनोहर लाल खट्टर। हरियाणा के नए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को स्कूल के दिनों में उनके करीबी दोस्त उनके खासे गंभीर स्वभाव की वजह से 'हेडमास्टर' कहकर बुलाते थे।
 
आज हुए मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में भी उनकी यही मुद्रा दिखाई दी। उन्हें निकट से जानने वालों का कहना है कि वे बोलते कम हैं, पर हंसी-मजाक और किस्से सुनाना भी उन्हें खासा पसंद है।
 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक तथा प्रचारक रहे खट्टर कठोर अनुशासनप्रिय माने जाते हैं। जमीन पर बैठकर भोजन करना उन्हे पसंद है और वे स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं। करनाल में चुनाव प्रचार के दौरान लोगों ने उनकी यही सहजता देखी।
 
प्रचारक जीवन से ही उन्होंने परिवार से नाता बहुत कम कर दिया था और शादी भी नहीं की। जानकारों के अनुसार बतौर प्रचारक वह जब भी वे रोहतक आते थे, संघ कार्यालय में ही रात गुजारते थे।
 
खट्टर का अपने गृहनगर करनाल में अपना घर नहीं है, लेकिन फिर भी करनाल को स्मार्ट सिटी बनवाने का उनका सपना है और यह वादा भी वे जनता से कर चुके हैं। वे खुद कहते हैं पूरा हिंदुस्तान उनका घर है। उनका कहना है कि जहां पार्टी ने ड्यूटी लगाई, वहां वे चले आए।
 
करनाल में भाजपा के कार्यकर्ता व चुनाव के दौरान स्थानीय लोग यह जान चुके थे कि ये शख्स आम नहीं, खास है इसलिए हर जनसभा में नमो-नमो के साथ-साथ मनो-मनो के नारे भी लगाए जाते थे। 'चाचा' के नाम से युवाओं में लोकप्रिय खट्टर की सभाओं में चाचा जिदाबाद के नारे युवा वर्ग खासे खुश होकर लगाते थे। उनके निकट लोगों का कहना है कि हरियाणा के चप्पे- चप्पे से वे वाकिफ है, यहां की समस्याएं बखूबी समझते है। यही नहीं, समूचे राज्य की यात्रा भी वे कर चुके है। इन सबके चलते लोगों को उनसे काफी उम्मीदें है।
 
वर्ष 1994 में हरियाणा बीजेपी में प्रदेश संगठन मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। 1996 का विधानसभा चुनाव बीजेपी ने बंसीलाल की पार्टी हरियाणा विकास पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था। इस चुनाव की रणनीति बनाने में खट्टर की बड़ी भूमिका रही थी। 2002 में पार्टी ने उन्हें जम्मू-कश्मीर का प्रभारी बनाया। लोकसभा चुनाव में खट्टर को हरियाणा में चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया था।
 
60 साल के खट्टर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबियों में शुमार हैं। आज के समारोह में भी प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी विशेष रूप से मौजूद थे। मोदी उनकी संगठन क्षमता की वजह से उन्हें गुजरात भूकंप राहत कार्यों तथा वाराणसी के अपने लोकसभा चुनाव संचालन से जोड़ चुके हैं।
 
90 के दशक में जब मोदी हरियाणा के प्रभारी थे, तब खट्टर प्रदेश बीजेपी में संगठन मंत्री थे। खट्टर का जीवन काफी उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। वे रोहतक जिले के रहने वाले हैं। खट्टर का जन्म 5 मई 1954 को रोहतक जिले के निंदाना गांव में हुआ था। उनके दादा भगवानदास खट्टर अपने परिवार के साथ देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से निंदाना आए थे।
 
मनोहरलाल जब 4 साल के थे तो उनके पिता हरबंस लाल खट्टर रोहतक जिले के ही बनियानी गांव में आ गए। निंदाना में उनके दादा और पिता की दुकान थी जबकि बनियानी में उन लोगों ने खेती के लिए जमीन खरीदी थी। उनकी प्राइमरी स्कूल की शिक्षा इसी गांव में हुई और पड़ोस के गांव माली आनंदपुर से मैट्रिक किया।

खट्टर मेडिकल की तैयारी करना चाहते थे लेकिन पिता चाहते थे कि वे भाइयों के साथ दुकान चलाए। इसी के चलते वर्ष 1974 के आसपास वे भाइयों के साथ दिल्ली के रानीबाग आए और दिल्ली में कपड़ों का व्यापार शुरू किया। 1976 में वे आरएएसएस के संपर्क में आए और इमर्जेंसी में संपर्क बढ़ता गया। 1980 में वे संघ से पूर्णकालिक तौर पर जुड़ गए।
 
राजनीतिक पंडितों के अनुसार हरियाणा की राजनीति में लंबे समय से चल रहे वंशवाद के शासन की समाप्ति के बाद पहली बार विधायक बनते ही मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालने वाले खट्टर के लिए हरियाणा की सियासत की डगर आसान नहीं होगी।
 
खट्टर को दो-दो मोर्चो पर टक्कर लेनी है, एक तो वे ऐसे समय राज्य की कमान संभाल रहे हैं जबकि भ्रष्टाचार की दलदल में फंसे हरियाणा की जनता ने मोदी लहर के बीच पहली बार भारतीय जनता पार्टी को बदलाव की उम्मीद में बहुमत सरकार बनाने का मौका दिया है। दूसरी तरफ लगभग चालीस वर्षों तक संघ के प्रचारक रहे खट्टर को हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद होने की वजह से वर्षों से मुख्यमंत्री पद का सपना पाले प्रांत के सभी कद्दावर नेताओं ने ज़ाहिराना तौर पर मंजूर किया है।
 
असलियत यह भी है कि उन सबके मन की गांठें मोदी की 'सुप्रीमो' छवि के चलते बाहर नहीं आ पाई है। इन दोनों मोर्चों पर संतुलन बनाते हुए खट्टर को राज्य की जनता को दिए गए भाजपा के सुशासन के वादे को पूरा करना होगा। (वीएनआई)