शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
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Written By सुरेश एस डुग्गर

हथियार लेकर भागा सेना का जवान, आतंकियों से जा मिला...

हथियार लेकर भागा सेना का जवान, आतंकियों से जा मिला... - Kashmir, Indian soldier, terrorism
श्रीनगर। कश्मीर में अब सेना का एक जवान अपने हथियार समेत आतंकियों के साथ जा मिला है। कश्मीर में यह अपने किस्म का पहला मामला है जिसमें सेना का कोई जवान इस प्रकार हथियार लेकर अपनी यूनिट से फरार हुआ हो जबकि कश्मीर पुलिस के कई जवान अतीत में ऐसा कर चुके हैं और उनमें से कई को मार गिराया भी जा चुका है।
 
अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्रीय सेना के एक जवान के लापता होने की खबर सामने आई है। बताया जाता है कि क्षेत्रीय सेना का एक जवान और पुलवामा जिले का निवासी जहूर ठाकुर बारामुला के गंटमुल्ला स्थित अपने शिविर से एके-47 हथियार के साथ लापता है। पुलिस ने मामले में जांच शुरू कर दी है।
 
उत्तरी कश्मीर में एक सैन्यकर्मी के हथियरों संग अचानक लापता होने के बाद अलर्ट का एलान कर दिया गया है। पुलिस और सेना ने इस संदर्भ में अलग-अलग मामले, दर्ज कर उसकी तलाश शुरु कर दी है। संबधित सूत्रों ने बताया कि लापता जवान का नाम जहूर अहमद ठाकुर है और वह दक्षिण कश्मीर में जिला पुलवामा का रहने वाला है। वह उत्तरी कश्मीर में जिला पुलवामा के अंतर्गत एलओसी के साथ सटे गंटमुला में सेना की 173 टेरीटोरियल रेजिमेंट में तैनात था।
 
बीती रात को वह अचानक ही अपनी सरकारी राइफल, मैगजीन, कारतूस, पाउच और बीपी जैकेट समेत गायब हो गया। हालांकि संबधित अधिकारियों ने उसके लापता होने के कारणों का खुलासा नहीं किया है। लेकिन आशंका व्यक्त की जा रही है कि वह आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए भागा होगा। इससे पहले इसी साल 22 मई को कश्मीर के बडगाम जिले में पुलिस नाके से सर्विस राइफलें लेकर भागने वाला पुलिस कांस्टेबल कथित तौर पर आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल हो चुका है।
 
10 पुलिसकर्मी बन चुके हैं आतंकी : पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि कांस्टेबल सैयद नवीद मुश्ताक 22 मई को बडगाम में चांदपुरा स्थित एफसीआई गोदाम की गार्ड पोस्ट से चार इंसास राइफलें लेकर भाग गया था। वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है कि कोई पुलिसवाला हथियार लेकर भागा हो और बाद में आतंकी ग्रुप में शामिल हो गया हो, बल्कि पिछले 6 सालों के आंकड़े बताते हैं कि 10 पुलिस वाले ऐसा कर चुके हैं।
 
ऐसा कई बार हुआ है, जब जम्मू कश्मीर के पुलिसकर्मी सर्विस राइफलें लेकर भागे हैं और विभिन्न आतंकी संगठनों में शामिल हो गए हैं। वैसे एक कांस्टेबल नसीर अहमद पंडित 27 मार्च 2015 को पीडीपी के मंत्री अलताफ बुखारी के आवास से दो एके राइफल के साथ भाग निकला था और अप्रैल 2016 में शोपियां जिले में एक मुठभेड़ में मारा गया था।
 
आंकड़ों के मुताबिक पिछले 6 सालों में घाटी में 10 पुलिसकर्मी आतंकी बने हैं। 22 मई को फरार हुए बडगाम पुलिस के नावीद मुश्ताक के अलावा साल 2016 में रैनावाड़ी पुलिस स्टेशन पर तैनात एक पुलिसकर्मी एके-47 के साथ फरार होकर आतंकी बन गया था। इसके अलावा इसी साल जनवरी माह में भी एक पुलिसकर्मी एके-47 के साथ आतंकी गुट लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिल गया था।
 
साल 2015 की बात करें तो रियाज अहमद और गुलाम मुहम्मद नाम के दो पुलिसकर्मी आतंकी गुट के साथ जुड़ गए थे। हालांकि बाद में एक एनकाउंटर के दौरान दोनों मारे गए थे। साल 2015 में ही पुलवामा जिले के राकिब बशीर ने पुलिस सेवा ज्वाइन करने के एक माह बाद ही हिजबुल मुजाहिद्दीन का दामन थाम लिया था। वहीं साल 2014 में नसीर अहमद पंडित नाम के पुलिसकर्मी ने भी हिजबुल का साथ थामा लेकिन एक एनकाउंटर के दौरान वो भी मारा जा चुका है। साल 2012 में भी एक पुलिसकर्मी को आतंकी गुटों के साथ संपर्क रखने पर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।