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Last Updated : शनिवार, 13 सितम्बर 2014 (19:34 IST)

शर्मनाक..! कश्मीर में 'फरिश्तों' पर पथराव...

शर्मनाक..! कश्मीर में 'फरिश्तों' पर पथराव... - Kashmir Flood
-सुरेश एस डुग्गर, श्रीनगर से
 
कश्मीर घाटी प्रलयकारी बाढ़ की चपेट में है। पूरा देश वहां के लोगों की सलामती के लिए दुआ कर रहा है, सभी राज्यों से वहां मदद भेजी जा रही है। सेना फंसे लोगों को बचाने के लिए चौबीसों घंटे जुटी है। ...लेकिन दुर्भाग्य, कश्मीरी उसी मददगार सेना पर, राहतकर्मियों पर पत्थर बरसा रहे हैं। अलगाववादियों के इशारे पर घाटी के लोग पहले भी सेना और सुरक्षाबलों पर पथराव करते रहे हैं, लेकिन इन हालात में भी यदि वे यही कर रहे हैं तो यह निश्चित ही शर्मनाक और निंदनीय है। लोगों को बचाने के लिए ये अलगाववादी तत्व कहीं नजर नहीं आए, लेकिन आपदा से जूझ रहे लोगों को इन्होंने एक बार फिर हाथ में पत्थर थमा दिए। ऐसे लोग न तो अपने देश के हो सकते हैं और न ही ‍अपनी कौम के।
 
आखिर अलगाववादियों ने अपना रंग दिखाना शुरू कर ही दिया। उनके उकसावे में आकर आज कुछ स्थानों पर शरारती तत्वों ने राहतकर्मियों और राहत अभियान में जुटे हेलीकॉप्टरों पर जबरदस्त पथराव किया। एक हेलीकॉप्टर को क्षति पहुंची है। एक स्थान पर सेना के जवानों द्वारा बचाव में हवाई फायरिंग भी की गई। पर इस सबके बावजूद राहत अभियान रोका नहीं गया है।
श्रीनगर के इलाकों से पानी अब जैसे-जैसे कम होता जा रहा है शव तैर कर सामने आने लगे हैं। आज भी 14 बच्चों समेत 43 शव मिले हैं। शवों का मिलना लगातार जारी है। ऐसे में अधिकारी आशंका प्रकट कर रहे हैं कि मृतक संख्या सैकड़ों में हो सकती है।
 
सेना जहां जम्मू कश्मीर में बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम कर रही है, वहीं कुछ अलगाववादी घाटी में राहत एवं बचाव कार्यों में बाधा पहुंचाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। शनिवार को श्रीनगर में राहत एवं बचाव कार्य में लगे वायुसेना के एक हेलीकॉप्टर पर पत्थर फेंके गए। अलगाववादियों की ओर से राहत कार्य में बाधा पहुंचाने के प्रयासों को पीएम नरेंद्र मोदी ने नजरंदाज करने को कहा है। घाटी में बाढ़ प्रभावित हिस्सों से अब तक दो लाख लोगों को बचाकर निकाल लिया गया है।
 
अधिकारियों ने कहा कि हम अलगाववादियों की तरफ नहीं देख रहे हैं। हम लोगों को राहत पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, चाहे स्थिति कितनी भी विकट हो। राहत एवं बचाव कार्य जारी रहेगा। रिपोर्टों की मानें तो कुछ अलगाववादी घाटी में हिंसा भड़काने की फिराक में हैं और वे सेना के खिलाफ लोगों को उकसा रहे हैं। सेना को राहत एवं बचाव कार्य में अपना ध्यान केंद्रित करने और स्थिति को नियंत्रण से बाहर होने की स्थिति में एहितयाती कदम उठाने के लिए कहा गया है। अधिकारियों ने इस बीच शनिवार को बताया कि श्रीनगर में बाढ़ का पानी उतरने पर 43 और शव बरामद हुए।
 
राज्य में 109 साल में आई सबसे भयावह बाढ़ से अब तक दो लाख से अधिक लोगों को बचाया जा चुका है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को राहत पैकेज जारी किया, जिसके तहत राज्य में छह महीने तक मुफ्त राशन भी दिया जाएगा। इस आपदा से विचलित हुई राज्य सरकार ने बाढ़ से निपटने को लेकर हो रही आलोचनाओं के बीच कुछ निर्णायक कदम उठाए हैं।
 
उच्चतम न्यायालय ने भी इस मामले में केंद्र से बचाव, राहत और पुनर्वास अभियानों को तेज करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी सोमवार को देने को कहा। शीर्ष अदालत ने कहा कि जम्मू कश्मीर में जिस तरह की आपदा और त्रासदी देखने को मिली है, उसमें राष्ट्रीय स्तर पर प्रयासों की जरूरत है।
 
श्रीनगर और घाटी के अन्य शहरों में बाढ़ का पानी कम होने के साथ प्रशासनिक और सैन्य बचावकर्मियों ने उन हजारों लोगों तक पहुंचने के प्रयास तेज कर दिए हैं जो दो सितंबर को शुरू हुई तेज बारिश के बाद से फंसे हुए हैं। हवाई अड्डे पर संवाददाता सम्मेलन में उमर ने कहा कि अभी मृतकों की सही संख्या नहीं बताई जा सकती क्योंकि हालात पूरी तरह अस्थिर हैं। हालांकि आपदा का प्रकोप कम होने के साथ अधिकारियों ने मृतक संख्या 250 के आसपास बताई।
 
शवों का मिलना जारी, नुकसान का आकलन बाकी... पढ़ें अगले पेज पर....
 
 

शवों का मिलना जारी : कश्मीर घाटी में बाढ़ का पानी कम होने के बाद शनिवार को अधिकारियों ने बताया कि 43 लोगों के शव बरामद हुए हैं, जिनमें 14 बच्चों के हैं। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि जीबी पंत अस्पताल में 14 बच्चे मृत पाए गए। शहर में श्री महाराजा हरिसिंह अस्पताल (एसएमएचएस) और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल सहित सभी मुख्य अस्पताल बाढ़ में डूब गए थे।
 
अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर के शिवपुरा, राजबाग, जवाहर नगर, वजीरबाग, गोगजीबाग, करण नगर, शेत्रशाही, बेमीना, कामारवाड़ी सहित दूसरे रिहायशी इलाकों में चार से 10 फुट तक पानी भर गया था। शहर के प्रमुख व्यवसायिक इलाकों लाल चौक, रेजीडेंसी रोड, मैसुमा, हरिसिंह हाई स्ट्रीट और करण नगर अब भी बाढ़ में डूबे हुए हैं। 
ऐसा अनुमान है कि बाजारों में बाढ़ के कारण करोड़ों का नुकसान हुआ है। श्रीनगर के पुराने इलाकों में वैसे तो बाढ़ का पानी नहीं पहुंचा है, लेकिन बाजारों में माल का आयात नहीं हो पाने के कारण बाजार और दुकानें पिछले छह दिनों से बंद हैं।
 
कश्मीर घाटी से संपर्क का एक मात्र सड़क मार्ग श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग शनिवार को लगातार छठवें दिन बंद है और इसे चालू करने के लिए प्रयास जारी हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि राज्य के मुख्य वित्तीय संस्थान जम्मू एवं कश्मीर बैंक लिमिटेड और वहां मौजूद सभी आंकड़े सुरक्षित हैं और लोगों को अपनी जमा निधि के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है।
 
उत्तर कश्मीर के गंदरबल जिले में पेट्रोल पंपों पर लोगों की लंबी कतारें देखी गई। अधिकारियों ने पेट्रोलियम उत्पाद का आयात मनाली-लेह-श्रीनगर राजमार्ग के रास्ते शुरू किया है। अधिकारियों ने कहा कि 15,000 से ज्यादा लोग श्रीनगर हवाई अड्‍डे पर बाढ़ग्रस्त घाटी से बाहर निकाले जाने के लिए इंतजार कर रहे हैं।
 
स्थानीय रेडियो चौनल और दूरदर्शन में अब तक सेवा पुन: शुरू नहीं की जा सकी है। बाढ़ संबंधित सूचनाओं के लिए शुक्रवार को प्रसार भारती के एफएम स्टेशन से प्रसारण का वैकल्पिक प्रबंध किया गया। 
 
लोगों को निकालना जारी : जम्मू कश्मीर के बाढ़ प्रभावित हिस्सों से दो लाख लोगों को बचाकर निकाला गया है जबकि सशस्त्र बलों द्वारा शुरू किए गए राहत अभियान का आज 12वां दिन है। एक रक्षा प्रवक्ता ने यहां कहा कि सशस्त्रबलों एवं एनडीआरएफ ने वर्तमान बचाव एवं राहत अभियान के तहत अब तक जम्मू कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से दो लाख लोगों को बचाकर निकाला गया है। उन्होंने बताया कि 13 टन जल शुद्धिकरण गोलियां तथा प्रतिदिन 1.2 लाख बोतलें भरने में सक्षम छह जल संयंत्र पहले ही श्रीनगर पहुंच चुके हैं।
उन्होंने बताया कि विशाखापत्तनम से पानी खींचने वाले पंप और अन्य उपकरण भी राहत कार्य के लिए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच गए हैं तथा दिल्ली से 12 सीवेज पंप भी घाटी के लिए भेजे गए हैं। प्रवक्ता के अनुसार संचार नेटवर्क बहाल करने के लिए दूरसंचार विभाग, सेना, बीएसएनएल और अन्य निजी कंपनियों के संचार उपकरण भी भेजे गए हैं। राहत शिविरों और फील्ड अस्पतालों के लिए पानी की सतत आपूर्ति के वास्ते 3 से पांच केवीए के 30 जेनरेटर सेट भी भेजे गए हैं।
 
राजमार्ग बंद : जम्मू कश्मीर में विभिन्न स्थानों पर भूस्खलन और सड़कों के धंसने के कारण आज लगातार दसवें दिन भी जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात के लिए बंद रहा। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सैकड़ों वाहन फंसे हैं। चार सितंबर को विभिन्न स्थानों पर आई बाढ़ के कारण भूस्खलन और सड़कों के बह जाने से 300 किलोमीटर लंबे इस अति महत्वपूर्ण मार्ग पर यातायात बंद किया गया था। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न स्थानों- बनिहाल, रामबन, बटोटे, कुद, पटनीटॉप, चेनानी, उधमपुर और जम्मू में राजमार्ग पर सैकड़ों यात्री एवं व्यावसायिक वाहन फंसे हैं।
 
उन्होंने बताया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने राजमार्ग को ठीक करने के काम को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए अभियान तेज कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि बीआरओ इसके लिए अपने कर्मियों और मशीनों की सेवा ले रहा है और राजमार्ग पर यातायात बहाल करने के लिए वृहद स्तर पर काम शुरू किया है। अधिकारियों ने राजमार्ग पर यातायात बहाल करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया है ताकि सड़क मार्ग के जरिए ज्यादा से ज्यादा राहत सामग्रियों को पहुंचाया जा सके।