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Last Modified: गांधीनगर , गुरुवार, 26 नवंबर 2015 (18:45 IST)

'असहिष्णुता' राजनीतिक मुद्दा : गुजरात लोकायुक्त

'असहिष्णुता' राजनीतिक मुद्दा : गुजरात लोकायुक्त - Intolerance, Gujarat Lokayukta
गांधीनगर। भारत में ‘असहिष्णुता’ के मुद्दे को लेकर बढ़ते विवाद के बीच गुजरात के लोकायुक्त न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) डीपी बुच ने गुरुवार को कहा कि असहिष्णुता राजनीतिक मुद्दा है और यह कानून के दायरे में नहीं आता।
 
‘कानून’ के संदर्भ में ‘असहिष्णुता’ पर उनके विचार के बारे में पूछने पर न्यायमूर्ति बुच ने कहा कि असहिष्णुता कानून का मुद्दा नहीं है। मेरे मुताबिक यह राजनीतिक मुद्दा है और मैं आगे टिप्पणी नहीं करना चाहता। 
 
यहां एक संस्थान में ‘सभ्य समाज में कानून का महत्व’ विषय पर व्याख्यान देने के बाद उन्होंने अपने ये विचार प्रकट किए।
 
यहां के एक स्कूल में ‘राष्ट्रीय कानून और संविधान दिवस’ के अवसर पर आयोजित व्याख्यान में उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने गुजरात में कुछ वर्ष पहले लोकायुक्त की नियुक्ति के विवादास्पद मुद्दे का जिक्र करते हुए छात्रों को ‘कानून’ की अवधारणा समझाई।
 
न्यायमूर्ति बुच ने कहा कि 3 वर्ष पहले राज्य की तत्कालीन राज्यपाल (कमला बेनीवाल) ने एक व्यक्ति (सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरए मेहता) को गुजरात का लोकायुक्त नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की। बहरहाल, राज्य सरकार राज्यपाल के आदेश से खुश नहीं थी तब उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर कर इसे चुनौती दी गई। 
 
उन्होंने कहा कि उस वक्त संदेह हुआ कि क्या सरकार राज्यपाल के आदेश को चुनौती दे सकती है? क्या राज्यपाल को किसी न्यायिक मामले में पक्षकार बनाया जा सकता है? 
 
अंतत: यह स्वीकार किया गया कि राज्यपाल के खिलाफ याचिका दायर नहीं की जा सकती लेकिन उनके आदेश को अदालत में चुनौती दी जा सकती है। यह कानून है। (भाषा)