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Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : रविवार, 12 अगस्त 2018 (10:42 IST)

'आजादी' की जंग धमकियों की जंग में बदल चुकी है कश्मीर में, धमकियों की बौछार से परेशान हुए कश्मीरी

'आजादी' की जंग धमकियों की जंग में बदल चुकी है कश्मीर में, धमकियों की बौछार से परेशान हुए कश्मीरी - independence day  kashmir
श्रीनगर। हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में 'आजादी' समर्थक मुहिम में आई तेजी के साथ ही धमकियां जारी करने का क्रम भी तेज हुआ है। दूसरे और स्पष्ट शब्दों में कहें तो कश्मीर में छेड़ी गई तथाकथित आजादी की जंग अब पूरी तरह से धमकियों की जंग में तब्दील हो चुकी है, ऐसा कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है।
 
ताजा घटनाक्रम में पुलिस के एसपीओ को नौकरी छोड़ देने तथा स्कूली छात्रों को स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग न लेने की चेतावनी दी गई है। इससे पहले कश्मीर में मस्जिदों के बाहर धमकीभरे पोस्टर लगाकर धमकी दी गई है कि जो लोग देशविरोधी अभियान के खिलाफ काम कर रहे हैं, उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाएगा। इस बात की परवाह किए बिना कि उन्होंने एक बार काम किया है या फिर लंबे समय से काम कर रहे हैं। पोस्टरों में आईएस का चित्र भी बना है।
 
गौरतलब है कि इससे पहले लड़कियों को स्कूटी नहीं चलाने सबंधी धमकियां दी गई हैं और उन्हें स्कूटी चलाने पर जिंदा जला देने की धमकियां जारी की गई हैं। इसी के साथ हड़ताल न करने वालों को भी सबक सिखाने की धमकी जारी की जा रही है। पिछले 25 दिनों के दौरान कितनी धमकियां लोगों को जारी की गई हैं अब इसका हिसाब उसी प्रकार रखना मुश्किल है जिस प्रकार कश्मीर में 26 सालों से जारी आतंकवाद के दौर के दौरान जारी की जाने वाली हजारों धमकियों का हिसाब अब किसी को भी याद नहीं है।
 
वैसे कश्मीर में धमकियां जारी करने का क्रम कोई नया नहीं है। जानकारी के लिए कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत कश्मीरी पंडितों को कश्मीर खाली करने की धमकियों से शुरू हुई थी और आज हालात यह है कि जिन्होंने ऐसी धमकियां जारी करने में आतंकियों का साथ दिया था आज उन्हीं की बेटियों को जिंदा जला देने की धमकियां सीमा पार से आने वाले विदेशी आतंकी दे रहे हैं। वे ऐसी धमकियां इसलिए देने लगे हैं, क्योंकि उनकी बेटियां स्कूटी चलाकर जमाने के साथ आगे बढ़ना चाहती हैं।
 
अतीत की तरह पिछले 25 दिनों के दौरान जारी की गई धमकियों पर भी पुलिस ने वही कार्रवाई की है। पोस्टरों को उखाड़ दिया गया और रोजनामचे में कार्रवाई को दर्ज कर लिया गया है। ऐसी धमकियां देने वाले न ही पहले कभी पकड़े गए और न ही ताजा धमकी देने वाले अभी तक पकड़े गए हैं।
 
इतना जरूर था कि कश्मीर में पिछले 26 सालों के दौरान जिस तेजी से धमकियों का दौर चला उसके साथ ही लोगों ने उनके साये में जीना सीख लिया। कभी छात्रों और छात्राओं को अगल-अलग सफर करने, अलग-अलग टयूशन सेंटरों में पढ़ने और कभी बुर्का पहनाने की धमकियां भी आई थीं। लेकिन वे आज उसी तरह हवा में गायब हो चुकी हैं जिस तरह से उनको जारी करने वाले आतंकी गुट।
 
एक रोचक तथ्य इन धमकियों के बारे में हमेशा यही रहा है कि हर बार किसी नए छद्म नाम वाले आतंकी गुट ने ऐसी धमकियां जारी की, प्रचार पाया और फिर हवा में गुम हो गया।
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