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Written By अरविन्द शुक्ला
Last Updated :लखनऊ , शनिवार, 20 सितम्बर 2014 (20:49 IST)

भ्रष्टाचार के दोषियों के खिलाफ हो कार्रवाई-राम नाईक

भ्रष्टाचार के दोषियों के खिलाफ हो कार्रवाई-राम नाईक -
लखनऊ। लोकायुक्त जांच में भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के दोषी पांच मंत्रियों व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान राज्यपाल राम नाईक ने अखिलेश यादव सरकार से किया है। उल्लेखनीय है कि सभी पूर्व मंत्री पूर्ववर्ती मायावती सरकार के हैं। राज्यपाल ने आज राजभवन आए उत्तर प्रदेश जर्नलिस्‍ट एसोसिएशन (उपजा) के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान यह बातें कहीं।
 
राज्यपाल भ्रष्टाचार को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए हैं। यही वजह है राम नाईक के पास पांच पूर्व मंत्रियों और आठ अधिकारियों से जुड़े भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के लोकायुक्त द्वारा भेजे कुल 13 मामलों में मुकदमा चलाए जाने की मंजूरी राज्य सरकार ने जब लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा को नहीं दी तो उन्होंने मुख्यमंत्री से जल्द इस पर फैसला लेने के लिए फाइल उनके पास भेज दी है। राज्यपाल का नजरिया बिल्कुल साफ है कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी चाहें छोटा हो या बड़ा सबके लिए एक जैसा सिद्धांत और कानून होना चाहिए। राज्यपाल इस बात से बेहद दुखी नजर आए कि उत्तर प्रदेश सरकार लोकायुक्त की सिफारिशों को नजरअंदाज कर रही है। राज्यपाल ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कहा है कि वह जल्द से जल्द संवैधानिक प्रक्रिया अपनाते हुए सभी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जांच का आदेश दें। 
 
राज्यपाल ने लोकायुक्त के दर्द को तो पत्रकारों के बीच बांटा ही इसके अलावा भी तमाम सवालों का बेबाकी से जबाव दिया। प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था, पूर्ववर्ती राज्यपाल कुरैशी द्वारा जौहर विवि को अल्पसंख्यक संस्थान की मान्यता दिए जाने संबंधी आदेश, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष को राज्यमंत्री से बढ़ाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने की अखिलेश सरकार की सिफारिश सहित तमाम मसले बातचीत के दौरान उठे।
 
बात जब जौहर विवि की चली तो इस पर उनका यही कहना था कि पूर्ववर्ती राज्यपाल कुरैशी के किसी आदेश को वह न तो पलट सकते हैं और न ही उसकी समीक्षा कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी बात पूरी करते हुए यह जरूर जोड़ दिया कि किसी को एतराज है तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है। इसके अलावा जौहर विवि से अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा छीनने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार के हाथों में है।
 
चर्चा इस पर भी छिड़ी कि राजभवन ने राज्य सरकार की सिफारिश पर अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष को राज्य की बजाए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने वाली फाइल पर राजनीतिक कारणों से हस्ताक्षर नहीं किए। इस पर राज्यपाल ने इससे असहमत होते हुए  कहा कि यूपी सरकार की सिफारिश का विधिक परीक्षण कराया था, जिसका सार यह था यह कोई ऐसा मसला नहीं है जिस पर तत्काल अध्यादेश लाया जाए। इसको सदन से भी पास कराया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य ही नहीं केन्द्रीय अल्पसंख्यक आयोग सहित तमाम आयोगों में भी किसी अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल नहीं है। राम नाईक को यह भी समझ में नहीं आ रहा था कि अखिलेश सरकार सिर्फ अल्पसंख्यक आयोग के लिए ही ऐसी सिफारिश क्यों कर रही है। 
 
कानून व्यवस्था को लेकर राज्यपाल राम नाईक शुरू से ही काफी चिंतित नजर आए। प्रदेश की कानून व्यवस्था कैसे सुधरे इसको लेकर वे समय−समय पर मुख्यमंत्री को बताते और सुझाव देते रहते हैं। इस संदर्भ में उनका यही कहना था कि सीएम से उनके संबंध अच्छे हैं और वे संविधान के दायरे में रहकर ही किसी विषय पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कुछ कह सकते हैं। राज्यपाल ने लखनऊ के मोहनलालगंज में एक महिला की हत्या और कथित बलात्कार की घटना का विशेष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि भुक्तभोगी के परिवारवाले उनसे मिले थे, इसी के बाद मोहनलालगंज घटना की सीबीआई जांच का फैसला लिया गया और पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद भी मिल पाई।
बात जनता दरबार की भी चली। 
 
राम नाईक ने कहा कि जनता दरबार लगाना जनप्रतिनिधियों का काम है। राजभवन में कोई शिकायत लेकर आता है तो उसका निपटारा करने का उनके द्वारा भरसक प्रयास किया जाता है। इस मौके पर उत्तर प्रदेश जर्नलिस्‍ट एसोसिएशन (उपजा) के संरक्षक एवं वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार, प्रदेश महामंत्री रमेशचन्द्र जैन, कोषाध्यक्ष प्रदीप शर्मा, लखनऊ इकाई के अध्यक्ष अरविन्द शुक्ला, उपाध्यक्ष सुशील सहाय और मंगल सिंह आदि ने पत्रकारों से जुड़ी समस्याओं का एक ज्ञापन भी राज्यपाल को सौंपा। राज्यपाल ने कहा, वे मुख्यमंत्री से पत्रकारों की समस्याओं का जल्द से जल्द निराकरण करने को कहेंगे।