शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. प्रादेशिक
  4. government jobs scam in Uttar Pradesh
Written By अरविन्द शुक्ला
Last Updated : मंगलवार, 6 अक्टूबर 2015 (20:10 IST)

यूपी में मुख्‍य सचिव के नाम पर लाखों की ठगी

यूपी में मुख्‍य सचिव के नाम पर लाखों की ठगी - government jobs scam in Uttar Pradesh
सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर हुआ है ये घोटाला 
 
लखनऊ। उत्तरप्रदेश शासन सचिवालय में तथा अन्य सरकारी विभागों में सरकारी नौकरियां दिलाने के नाम पर लाखों रुपए ठगने का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। ठगों ने सरकारी नौकरी दिलाने के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव तथा मुख्‍यमंत्री की प्रमुख सचिव के नाम का इस्तेमाल कर भोलेभाले लोगों को अपना शिकार बनाया है। यदि सरकार इस मामले की गंभीरता से जांच कराए तो कई सफेदपोश लोगों और कई अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं। यह फर्जी भर्ती जाल प्रदेशव्यापी भी हो सकता है।
ठगों का नाता उत्तरप्रदेश सचिवालय से है। ठगे गए लोगों ने बताया कि उन्हें ठगने वाला कथित दिवाकर दत्त त्रिपाठी अपने को सचिवालय का कर्मी बताता है। कभी मुखयमंत्री की प्रमुख सचिव अनीतासिंह तो कभी मुख्‍य सचिव आलोक रंजन के यहां वह अपनी तैनाती बताता है।
 
दिवाकर त्रिपाठी कई बार बेरोजगारों को सचिवालय के गेट नं. 9 से कृषि उत्पादन शाखा में ले गया जहां किसी अधिकारी के कमरे में ले जाकर बेरोजगारों को मंडी विभाग में नौकरी दिलाने का झांसा दिलाया।
 
हद तो तब हो गई जब दिवाकर त्रिपाठी ने बेरोजगार अमितसिंह पुत्र केहरसिंह को उसके घर के मकान नंबर 68, ग्राम मघ, बेहत रोड सहारनपुर के पते पर खाद्‌य एवं रसद विभाग उत्तरप्रदेश, लखनऊ के नाम चतुर्थ श्रेणी के पद के लिए रोजगार देने के नाम पर फर्जी साक्षात्कार पत्र भेज दिया।
 
साक्षात्कार पत्र फर्जी इसलिए था क्योंकि उसमें खाद्‌य एवं रसद विभाग का पता योजना भवन 9, सरोजनी नायडू मार्ग लखनऊ डाला गया था जबकि योजना भवन में खाद्‌य विभाग का कोई कार्यालय नहीं है। साक्षात्कार पत्र में खाद्‌य एवं रसद विभाग की तरफ से किसी ओपी सिंह के हस्ताक्षर हैं।
 
इस संवाददाता से मिले बेरोजगार जनपद सहारनपुर के हैं। इन्हें कथित दिवाकर दत्त त्रिपाठी ने ठगा है। त्रिपाठी के इस ठगी के धंधे में कुछ और सरकारी कर्मी भी साथ दे रहे हैं। एक महिला कर्मी सारिका देवी का नाम भी सामने आया है जो कि अपने को अधिकारी श्रीमती सुधा वर्मा का निजी सचिव बताती हैं। मालूम  हो कि श्रीमती सुधा वर्मा लखनऊ में एडिशनल कमिश्नर के पद पर सेवारत हैं। वे 1994 बैच की पीसीएस अधिकारी हैं। श्रीमती वर्मा से इस संवाददाता ने मोबाइल पर बात करने की कोशिश की तो उनका मोबाइल बंद था।
 
उल्लेखनीय है कि बेरोजगारों को सारिका देवी अपना कार्यालय जवाहर भवन बताती हैं, कमिश्नर कार्यालय नहीं। सारिका देवी भी शक के घेरे में हैं। सारिका के बैंक खातों में लाखों रुपए की रकम जमा कराई गई है।
 
मजेदार बात यह है कि ठग दिवाकर त्रिपाठी बेरोजगारों से सीधे या तो नकद धन वसूलता है या फिर वह अपने गैंग के अन्य सदस्यों के बैंक खातों में बेरोजगारों से सीधे धन डालने को कहता है। दिवाकर ने सहारनपुर निवासी तेजपाल से सारिका देवी के एसबीआई खाता संख्या 32556146870 में पांच लाख रुपए से अधिक की धनराशि कई किश्तों में जमा कराई, जिसकी पुष्टि स्वयं सारिका देवी ने की जिसका मोबाइल वार्तालाप तेजपाल के पास मौजूद है।
 
सारिका देवी स्वंय स्वीकार करती हैं कि उनके बैंक खातों में अनजान लोगों के पैसे आए हैं। सारिका कहती हैं कि उनका एटीएम कार्ड लेकर यह राशि निकाल ली गई है।
 
इसी प्रकार हरिओम, विरम, मेहरसिंह, सुन्दर राठी, निशा व रवि कुमार निवासी सहारनपुर को बेसिक शिक्षा विभाग में अनुदेशक के पद पर रखे जाने के लिए, बबलू को राजस्व निरीक्षक में पास कराने के लिए, अमित को खाद्‌य विभाग में चतुर्थ श्रेणी में लगवाने के लिए, प्रिया को समीक्षा अधिकारी परीक्षा में पास कराने के लिए, निसार को मुकदमा खत्म कराने के लिए, तेजपाल को सचिवालय में तैनात कराने के लिए दिवाकर त्रिपाठी ने खुद को प्रमुख सचिव अनीतासिंह का पीए बताकर इस व्यक्ति ने खाता संख्या 3443941185 एसबीआई तरुण कुमार, एसबीआई खाता संख्या 10946308652 अशोक तोमर, एसबीआई खाता संख्या 10952926002 संत कुमार, एसबीआई खाता संख्या 32478812864 सारिका देवी, एसबीआई खाता संख्‍या 32556146870 देवेन्द्र प्रताप, एसबीआई खाता संख्या 30467839134 अखिलेश कुमार, बैंक ऑफ बड़ोदा खाता संख्या 5031010002329 कमलसिंह यादव, यूनियन बैंक खाता संख्या 593102010010841 संगीता देवी आदि के बैंक खातों में लगभग साढ़े बारह लाख रुपए डलवाए और जब बेरोजगारों को कोई रोजगार न मिला उन्होंने पैसा वापस देने की बात कही तो अब दिवाकर त्रिपाठी आनाकानी कर रहा है। ठगे गए बेरोजगारों ने बताया कि जिनके बैंक खातों में रकम जमा कराई गई है ज्यादातर लोगों का संबंध जनपद फतेहपुर से है।
दिवाकर त्रिपाठी से इस संवाददाता ने जब मोबाइल से बात की तो उसने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा कि वह मुख्‍य सचिव के कार्यालय में तैनात है और वह डाक लेकर कानपुर आया है। उसने दावे के साथ कहा कि जाकर मेरे खिलाफ एफआईआर करा दो, उप्र में पुलिस भर्ती घोटाले में, सचिवालय भर्ती घोटाले में जब कुछ नहीं हुआ तो मेरा क्या होगा। चालाक त्रिपाठी को मालूम है कि उसने चूंकि अपने बैंक खाते में सीधे किसी से रकम नहीं ली इसलिए उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नही हैं।
 
देखने की बात यह है कि जो दिवाकर दत्त त्रिपाठी नाम बताकर लोगों को ठग रहा है वह असल है या कथित दिवाकर त्रिपाठी अपनी असल पहचान छिपाकर ठगी कर रहा है। इस संवाददाता ने जब मुख्‍य सचिव कार्यालय से दिवाकर दत्त त्रिपाठी नामक शख्स के बारे में जानकारी चाही तो मुख्‍य सचिव के निजी सचिव ने ऐसे किसी नाम के व्यक्ति की तैनाती से अनभिज्ञता जाहिर की है। अब ठगे गए बेरोजगार पुलिस व एसटीएफ में एफआईआर कराने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं।