गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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इसलिए वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर हैं लड़कियां...

इसलिए वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर हैं लड़कियां... - girls compelled for doing prostitution
बंगाल के चाय बागानों का बंद होना किस हद तक लोगों को प्रभावित कर सकता है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है बंगाल का कस्बा बीरपाड़ा, जहां कभी डंकन चाय का बागान हुआ करता था। उत्तरी बंगाल में चाय बागानों के बंद होने के बाद से चाय बागानों में श्रमिक का काम करने वाली लड़कियां अपना शरीर बेचने तक को मजबूर हो गई हैं।
 
अपने परिवारों का पेट पालने के लिए सोलह से अठारह वर्ष के बीच की उम्र की लड़कियों को इस तरह का काम करने को मजबूर होना पड़ रहा है। पैसा कमाने के लिए संघर्ष कर रही लड़कियां स्कूलों में पढ़ा करती थीं, लेकिन बागान के बंद होने से उनके परिवार की आमदनी का जरिया ही खत्म हो गया।  
 
डंकन के बीरपाड़ा चाय बागान में लड़कियों को अपने ‍कथित ग्राहकों के साथ मोलभाव करते देखा जा सकता है। अपने ग्राहकों को रिझाने के लिए वे ऐसी ड्रेस पहनती हैं ताकि लोगों का ध्यान आकर्षित हो। हालांकि राज्य सरकार ने इन परिवारों को दो रुपए प्रति किलो की दर से चावल की सहायता उपलब्ध कराई है लेकिन इन गरीबों के लिए यह मदद नाकाफी है।
 
अपना नाम न बताने की शर्त पर एक लड़की का कहना है कि 'सरकार की दया पर हम कब तक जीवित रह सकेंगे? जिंदा रहने के लिए चावल के अलावा भी बहुत सारी चीजों की जरूरत होती है?' इन लड़कियों का कहना है कि इस तरह से कम से कम उनके परिवारों को प्रतिदिन खाना तो मिल रहा है। पहनने के लिए कपड़े मिल रहे हैं और थोड़े बहुत पैसे भी बच जाते हैं।  
 
इन लड़कियों को नेशनल हाइवे 31 के पास बने ढाबों के आसपास देखा जा सकता है और उनके ज्यादातर ग्राहक ट्रक ड्राइवर होते हैं। 'किसी-किसी रात इन्हें 500 रुपए तक मिल जाते हैं तो कभी कुछ भी नहीं। इसमें से भी दलाल अपना हिस्सा ले लेते हैं लेकिन बाकी का पैसा हमारा होता है। इस काम के अलावा कौन हमें पैसे देगा?।' जब इन लड़कियों से पूछा जाता है कि वे ऐसा क्यों कर रही हैं तो उनका यही उत्तर होता है। 
 
इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को चाय बागान कर्मचारी यूनियन के आरएसपी नेता गोपाल प्रधान भी जानते हैं। उनका कहना है कि इस हालत से हम भी शर्मिंदा हैं लेकिन हम असहाय हैं। अब जब तक यह बात स्पष्ट नहीं हो जाती कि चाय बागान कब से फिर खुलेंगे, इन लड़कियों का भविष्य अंधकारमय ही है।