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Last Modified: सोमवार, 3 अप्रैल 2017 (22:29 IST)

'तलाक' पर ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के वंशज बोले...

'तलाक' पर ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के वंशज बोले... - Divorce disputes, divorce, Islamic Sharia
अजमेर। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के वंशज एवं सज्जादानशीन प्रमुख दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा है कि एक बार में तीन तलाक का तरीका आज के समय में अप्रासंगिक ही नहीं, खुद पवित्र कुरान की भावनाओं के विपरीत भी है।
 
निकाह जब दो परिवारों की उपस्थिति में होता है तो तलाक एकांत में क्यों? यहां सोमवार को सालाना उर्स के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में दरगाह दीवान ने इस्लामी शरीयत के हवाले से कहा कि इस्लाम में शादी दो व्यक्तियों के बीच एक सामाजिक करार माना गया है। इस करार की साफ-साफ शर्तें निकाहनामा में दर्ज होनी चाहिए। 
 
उन्होंने कहा कि क्षणिक भावावेश से बचने के लिए तीन तलाक के बीच समय का थोड़ा-थोड़ा अंतराल जरूर होना चाहिए। यह भी देखना होगा कि जब निकाह लड़के और लड़की दोनों की रजामंदी से होता है, तो तलाक मामले में कम से कम स्त्री के साथ विस्तृत संवाद भी निश्चित तौर पर शामिल किया जाना चाहिए। 
 
उन्होंने कहा कि पैगंबर हजरत मुहम्मद ने कहा था कि अल्लाह को तलाक सख्त नापसंद है। कुरान की आयतों में साफ दर्शाया गया है कि अगर तलाक होना ही हो तो उसका तरीका हमेशा न्यायिक एवं शरई हो। 
 
उन्होंने कहा कि कुरान की आयतों में कहा गया है कि अगर पति-पत्नी में क्लेश हो तो उसे बातचीत के द्वारा सुलझाने की कोशिश करें। जरूरत पड़ने पर समाधान के लिए दोनों परिवारों से एक-एक मध्यस्थ भी नियुक्त करें। समाधान की यह कोशिश कम से कम 90 दिनों तक होनी चाहिए। (भाषा) 
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