कार्बेट टाइगर रिजर्व फिर अव्वल
देहरादून। बाघों के घनत्व के मामले में विश्व में पहले पायदान पर रहने वाले कार्बेट टाइगर रिजर्व के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ी है। भारत सरकार की आंकलन रिपोर्ट में कार्बेट टाइगर रिजर्व प्रबंधन को अतिउत्तम कैटेगरी मिली है। इससे कार्बेट टाइगर रिजर्व प्रबंधन उत्साहित है।
शुक्रवार को कार्बेट मुख्यालय में निदेशक समीर सिन्हा ने कहा कि भारत सरकार ने देश के समस्त टाइगर रिजर्वों की प्रबंध व्यवस्था पर आकलन कराया था, जिसमें कार्बेट को बहुत अच्छा श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भोपाल द्वारा छह टाइगर रिजर्वों का आर्थिक मूल्यांकन कराया गया। जिसकी रिपोर्ट में कार्बेट टाइगर रिजर्व से प्रतिवर्ष 1472 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होने की बात निकलकर आई है।
रिपोर्ट में आकलन किया गया है कि कार्बेट के प्रबंधन में खर्च किए गए प्रत्येक रुपए की एवज में 368 रुपए का लाभ प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कहा कि भारत सरकार की स्टेटस ऑफ टाइगर 2014 रिपोर्ट में उत्तराखंड में बाघों की संख्या 227 से बढ़कर 340 हो गई है। राज्य में बाघों की संख्या में करीब पचास फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
बाघ गणना में उत्तराखंड के 812 वन बीटों का आंकलन किया गया था, जिनमें 361 बीटों में बाघों की मौजूदगी के प्रमाण मिले। 806 जगहों पर लगाए कैमरा ट्रेप में 267 अलग-अलग बाघों के चित्र प्राप्त हुए। सर्वेक्षण के दौरान 3503 प्लॉटों में वनस्पतियों का आकलन भी किया। इस मौके पर उपनिदेशक डॉ. साकेत बडोला, डीएफओ राहुल, कहकशां नसीम मौजूद रहे।