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Written By कीर्ति राजेश चौरसिया
Last Updated : बुधवार, 16 जनवरी 2019 (19:34 IST)

किसानों पर टूटा आफत का पहाड़, प्रशासन की लापरवाही से खड़ी फसलें हुईं तबाह...

किसानों पर टूटा आफत का पहाड़, प्रशासन की लापरवाही से खड़ी फसलें हुईं तबाह... - Chhatarpur wate, farm administrative negligence
छतरपुर जिले के करीब 150 किसानों पर उस समय आफत का पहाड़ टूट पड़ा, जब अचानक उनके खेत पानी से भर गए और उनकी खड़ी फसलें तबाह हो गईं। यह सब प्राकृतिक आपदा के चलते नहीं हुआ बल्कि इसे प्रशासनिक लापरवाही से जोड़कर देखा जा रहा है।
 
छतरपुर जिले के हरपालपुर नगर से महज 10 किलोमीटर दूर स्थित धसान नदी से लगे ग्राम कैथोकर, सरसेड़, चपरन के लगभग 150 किसानों की फसलें अचानक धसान नदी में पानी भरने के कारण डूब गईं।

साथ ही सहायक नालों के अंतर्गत आने वाली धुरापाटो, सूड़ा एवं ढगर क्षेत्र की गेहूं, लाही एवं लाखों रुपए के तरबूज के बीज अचानक लहचूरा बांध में पानी बढ़ने के कारण बर्बाद हो गए। इसके कारण किसानों पर आफत का पहाड़ टूट पड़ा है।
 
प्रशासन को गुहार लगाने के बावजूद भी पटवारी को छोड़कर कोई भी व्यक्ति मौके पर नहीं पहुंचा और अब भी लगातार धसान नदी का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा है।

अपुष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार धसान नदी में टीकमगढ़ क्षेत्र में सुजारा बांध से पानी छोड़े जाने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई।

साथ ही लहचूरा बांध से पानी को नहीं छोड़ने के कारण धसान नदी के सहायक नाले उफान पर हो गए। जिन नालों का जलस्तर 3 से 4 फुट रहता उनमें 10 से 15 फुट पानी भर गया।

इसके कारण खेत और फसल डूब क्षेत्र में आ गए। प्रथम दृष्टया इस मामले में प्रशासनिक लापरवाही सामने आ रही है। हालांकि हकीकत जांच के बाद ही सामने आएगी। 
 
किसान अरविंद रैकवार का कहना है हमने 90 हजार रुपए में बलकट (किराए) पर ली 20 बीघा जमीन में से 18 बीघा जमीन में पानी भर गया जिसके कारण उसमें 86 हजार रुपए का जो तरबूज का बीज लगाया था, वह नष्ट हो गया।

इसी प्रकार बृजलाल कुशवाहा का कहना है कि उसने भी 20 बीघा जमीन में तरबूज का बीज लगाया था और बीज उत्तम क्वालिटी का होने के कारण दो लाख का बीज एवं उसमें एक लाख रुपए की लागत आने के कारण करीब तीन लाख का नुकसान झेलना पड़ा।
 
धुरापाटो में किसान मोहन रैकवार ने एक लाख चालीस हजार रुपए में 100 बीघा जमीन बलकट पर ली थी और उसमें चार लाख रुपए  की लागत से तरबूज का बीज लगाया था जो कि पानी में डूबने के कारण पूरी तरह खराब हो गया। इसी प्रकार चित्रकोटी कुशवाहा की जमीन पानी में डूबने के कारण गेहूं एवं सरसों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई। 
 
स्थानीय माध्यम से प्रशासन को अवगत भी कराया गया, लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बाद भी लहचूरा बांध के फाटक नहीं खुलने के कारण जलस्तर बढ़ता चला गया और करीब 15 फुट पानी भर जाने के कारण धसान नदी के सहायक नाले से लगी फसलें पूरी तरह पानी में डूब गई। इसके चलते 150 किसानों की रोजी-रोटी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ब्याज पर पैसे लेकर किराए पर जमीन लेने की किसानों पर तो आफत ही टूट पड़ी है। 
 
सरसेड़ के किसानों के दो पंप इंजन एवं बैलगाड़ी सहित पानी के पाइप नालों में डूब गए। जब इस संवाददाता ने धुरापाटों, सूड़ा एवं डगर की जगह को मौके पर जाकर देखा जहां किसान नाव पर बैठकर अपने डूबे हुए पानी के पंपों को एवं अन्य सामान को निकालने में लगे हुए थे। किसानों का कहना है कि अभी तक बांध बनने के बाद कभी भी फसल के समय 4 से 5 फुट तक पानी रहा, इससे ज्यादा कभी भी पानी नही बढ़ा। बल कटने पर मुआवजा भी जमीन मालिकों को मिलता है, किसानों को नहीं।
 
एसडीएम बीवी गंगेले नौगांव ने मोबाइल पर बताया कि मुझे जानकारी मिल चुकी है। लहचूरा बांध से पानी कम करने के लिए मैं अधिकारियों से बात कर रहा हूं। वहीं सदर पटवारी आशीष पांडे अंशु मौजा सरसेड़ ने बताया कि मौके पर जाकर निरीक्षण किया जहां पाया कि अब तक करीब 50 हेक्टेयर फसल लगी बूम भूमि डूब क्षेत्र में मौके पर मिली। मैंने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया है।
 
सुबह जिला मुख्यालय पहुंचकर पूरे मामले से ADM को अवगत कराया तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से मामले को संज्ञान में लिया। साथ ही बताया कि मामला सीमावर्ती उत्तरप्रदेश से जुड़ा हुआ है। वहां से पानी छोड़ा गया और यहां भर गया। फिर भी हमने मौके पर पूरी प्रशासनिक टीम को भेजा है। साथ ही बताया कि कुछ किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं। हम मुआयना करवा रहे हैं। बाकी अग्रिम जांच के बाद ही स्पष्ट नतीजों पर कार्यवाही करेंगे।
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