जानिए अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद के जन्म से जुड़ा राज...
इंदौर। देश में ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है, जब शहर, कस्बों के पुराने नाम में सरकार के किए बदलाव को आम चलन में आसानी से कबूल करने में स्थानीय लोगों ने खासी हिचकिचाहट दिखाई हो, लेकिन अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली भाबरा के अधिकतर निवासी इस कस्बे के नए नाम ‘चन्द्रशेखर आजाद नगर’ को तेजी से अपना रहे हैं। वे अमर शहीद के जन्म से जुड़ी कहानियां भी बताते हैं।
स्थानीय निवासियों की मांग को मंजूर करते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने स्वाधीनता संग्राम के अमर शहीद के सम्मान में उनकी आलीराजपुर जिले स्थित जन्मस्थली भाबरा का नाम वर्ष 2011 में बदलकर चन्द्रशेखर आजाद नगर कर दिया था।
करीब 15,000 की आबादी वाले इस कस्बे में नाश्ते और खाने-पीने की चीजों की दुकान चलाने वाले रामेश्वर त्रिवेदी ने कहा कि हमें गर्व है कि आजाद जैसे महान क्रांतिकारी हमारे कस्बे में पैदा हुए थे। उनका नाम आज हमारे कस्बे की पहचान बन गया है।
मुस्लिम दाई ने करवाई थी आजाद की मां की जचगी : 60 वर्षीय बुजुर्ग की आंखों में एक चमक नजर आती है, जब वे आजाद की माता जगरानी देवी की एक झोंपड़ी के बाहर बरसों पहले खींची गई धुंधली-सी तस्वीर दिखाते हुए कहते हैं, ‘आजाद 23 जुलाई 1906 को इसी झोंपड़ी में पैदा हुए थे।
हमने अपने बड़े-बुजुर्गों से सुना है कि उनकी पैदाइश के वक्त उनकी मां की जचगी एक मुस्लिम दाई ने कराई थी।’ गुजरात सीमा से सटे मध्यप्रदेश के इस कस्बे के कई घरों और दुकानों में आपको आजाद की तस्वीर मिल जाएगी जिसकी भगवान की तरह पूजा की जाती है। चन्द्रशेखर आजाद नगर की स्थानीय संस्था ‘आजाद फ्रेंड्स क्लब’ के अध्यक्ष कुलदीप सिंह बताते हैं कि भाबरा का नाम बदलवाकर चंद्रशेखर आजाद नगर कराने के लिए स्थानीय लोगों ने लम्बी मुहिम चलाई है, इसलिए स्थानीय स्तर पर कस्बे के नए नाम को तेजी से अपनाया जा रहा है।
सिंह ने बताया कि सरकारी व्यवहार में चंद्रशेखर आजाद नगर को पूरी तरह अपना लिया गया है। हालांकि कई स्थानीय लोग अपने पते में चंद्रशेखर आजाद नगर के बाद कोष्ठक में भाबरा भी लिखते हैं, ताकि उनका सही पता समझने में किसी को कोई दिक्कत न हो।
स्मारक उपेक्षा का शिकार : चंद्रशेखर आजाद नगर की जिस झोपड़ी में आजाद करीब 110 साल पहले जन्मे थे, वह लम्बे समय तक सरकारी उपेक्षा के कारण बेहद जीर्ण-शीर्ण हो गई। प्रदेश सरकार ने इस झोपड़ी की जगह स्मारक का निर्माण कराते हुए इसे 23 जुलाई 2012 को लोकार्पित किया था। इस स्मारक को ‘अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद स्मृति मंदिर’नाम दिया गया है जहां आजाद के प्रशंसक श्रद्धा से शीश नवाते हैं।
आजाद का मूल नाम चन्द्रशेखर तिवारी था और वे महज 14 साल की उम्र तक अपनी जन्मस्थली भाबरा में रहे थे। इस कस्बे में लड़कपन बिताने के बाद वे वाराणसी की संस्कृत विद्यापीठ में पढ़ने चले गए थे। फिर क्रांतिकारी के रूप में देश की स्वतंत्रता के आंदोलन में कूद गए थे। (भाषा)