स्तन कैंसर पीड़िता को परिवार के सहयोग की जरूरत
इंदौर। स्तन कैंसर पीड़िता को परिवार के भावनात्मक सहयोग के साथ-साथ सामाजिक सपोर्ट की भी जरूरत होती है। नारी के बाहरी सौंदर्य को परखने के बजाए उसके आंतरिक रूप को देखने की जरूरत होती है। यह बात मनीषा सोनी पाठक (एसएसपी) ने मुख्य अतिथि के तौर पर स्तन कैंसर विजेताओं की प्रमुख संस्था (संगिनी) द्वारा आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में कही।
उन्होंने कहा कि नारी को एक इंसान के नजरिए से देखना चाहिए। इससे पहले संगिनी की मानद सचिव डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने संगिनी सोसायटी के उद्गम से अब तक की यात्रा की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्तन कैंसर पीड़िता को रोग के साथ-साथ अकेलेपन, से भी लड़ना पड़ता है। उसे न सिर्फ सही देखभाल की जरूरत होती है बल्कि सटीक परामर्श भी चाहिए होता है। संगिनी अपने स्तर पर स्तन कैंसर पीड़िताओं हर संभव मदद करती है। पर इतना ही काफी नहीं है, इसे एक अभियान के तौर पर समाज में पैठ बनाने की जरूरत है।
सोसायटी की अनुराधा सक्सेना ने बीते वर्ष की गतिविधियों का लेखा-जोखा सामने रखा और भविष्य की .योजनाओं का जिक्र किया। स्तन कैंसर पीड़िताओं को सर्जरी के बाद लगने वाले आवश्यक सामानों की एक किट भी निःशुल्क वितरित की जाती है।
सर्जरी के बाद कई महिलाओं को लिम्फाडीमा की शिकायत हो जाती है, संगिनी उनके पुनर्वास का काम करती है। इसी के तहत 20 मरीजों को लिम्फाडीमा का ट्रीटमेंट दिया गया तथा 5 मरीजों को लिम्फाडीमा मशीन से उपचार प्रदान किया गया। स्तानकैंसर विजेता आज इतनी सक्षम हो गई हैं कि वे मैराथान दौड़ तक में हिस्सा ले रही हैं।
हर साल की तरह इस वर्ष भी कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण स्तन कैंसर विजेताओं द्वारा खेला गया 'जान है तो जहान है' नामक ड्रामा रहा। विशाखा मराठे और सीमा नातू ने प्रेरक गीत प्रस्तुत किया। भाले परिवार ने एक मोहक नृत्य प्रस्तुत किया।
स्तन कैंसर के क्षेत्र में काम कर रहे विशेषज्ञों की एक रोचक तथा ज्ञानवर्धक परिचर्चा आयोजित की गई थी। इसमें सभी दर्शकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसमें डॉ. राकेश तारण, डॉ. फरीद खान, डॉ. निशांत खरे,डॉ सुधीर कटारिया तथा विधि विजयर्गीय ने दर्शकों के प्रश्नों के उत्तर दिए। संचालन रेखा कासट ने किया।