बुधवार, 24 अप्रैल 2024
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इन मंदिरों में नहीं जा सकते मर्द...

इन मंदिरों में नहीं जा सकते मर्द... - brahma temple
शन‌ि श‌िंगणापुर में चबूतरे पर चढ़कर शन‌ि महाराज की पूजा को लेकर इन द‌िनों म‌ह‌िलाओं और ट्रस्ट के बीच व‌िवाद छ‌िड़ा हुआ है, लेक‌िन सवाल स‌िर्फ शन‌ि धाम को लेकर नहीं है क्योंक‌ि भारत में और भी कई मंद‌िर हैं जहां मह‌िलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं है। इनमें केरल का पद्मनाभ मंद‌िर, पुष्कर और हरियाणा में स्‍थ‌ित कार्त‌िकेय मं‌द‌िर सह‌ित करीब एक दर्जन मंद‌िर ऐसे हैं, जहां क‌िसी न क‌िसी कारण से मह‌िलाओं का मंद‌िर में प्रवेश वर्जित है।
 
इसलिए यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि ईश्वर के दरबार में ल‌िंग भेद का क्या कारण है? हमारी सहजबुद्धि तो इसे महिलाओं के साथ किया जाने वाला लिंगभेद मानती है, लेकिन हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ गीता में भगवान श्री कृष्‍ण कहते हैं क‌ि संसार प्रकृति यानि स्‍त्री स्वरूप है और वह मात्र एक पुरुष हैं। प्रकृत‌ि में वही ब‌ीजारोपण करते हैं।
 
मीरा ने भी इस बात को दोहराया था जब उन्हें एक मंद‌िर में प्रवेश करने से पुजारी ने रोका था। मीरा ने पुजारी के रोकने पर कहा था क‌ि इस मंद‌िर में श्रीकृष्‍ण के अलावा दूसरा पुरुष कौन है, वहीं श्रीकृष्‍ण के कई मंद‌िरों में तो ब‌िना स्‍त्री हुए प्रवेश ही नहीं क‌िया जा सकता है।
 
इसलिए ल‌िंग के आधार पर मंद‌िरों में प्रवेश को लेकर व‌िवाद नया नहीं है, यह एक लम्बे समय से चला आ रहा है। लेक‌िन ऐसा नहीं है क‌ि मंद‌िरों में प्रवेश से ल‌िंग के आधार पर स‌िर्फ मह‌िलाओं को ही रोका जाता है। भारत के कुछ मंद‌िर ऐसे भी हैं ज‌िनमें मह‌िलाओं को तो प्रवेश और पूजा की इजाजत है लेक‌िन पुरुषों को प्रवेश और पूजा की इजाजत नहीं है।
 
राजस्थान के पुष्कर तीर्थ में ब्रह्माजी की पत्नी देवी साव‌ित्री का एक मंद‌िर है जो रत्नाग‌िरि पर्वत पर स्‍थ‌ित है। इस मंद‌िर में ‌स‌िर्फ मह‌िलाओं को प्रवेश का अध‌िकार प्राप्त है और वही माता की गोद भराई करती हैं। पुरुषों को मंद‌िर में प्रवेश का अध‌िकार नहीं है। इसका कारण यह बताया जाता है कि ब्रह्माजी ने पहले से ही एक पत्नी के होते हुए भी दूसरी शादी कर ली थी ज‌िससे नाराज होकर देवी ने ब्रह्माजी को पुष्कर में शाप द‌िया था और बाद में रत्नाग‌िरि पर बस गई थीं। इसल‌िए यहां पर देवी के मंद‌िर में पुरुषों को प्रवेश की इजाजत नहीं है।
 
साव‌ित्री देवी के अलावा आंध्रप्रदेश के व‌िशाखापत्तनम स्‍थ‌ित कामाख्या देवी का मंद‌िर भी ऐसा है जहां स‌िर्फ मह‌िलाओं को ही पूजा का अध‌िकार प्राप्त है। इस मंद‌िर में पुजारी भी एक स्‍त्री ही है। इसी तरह उत्तरप्रदेश के चंदौली जिले के शहर सकलडीहा में एक मंदिर है। मंद‌िर करीब 120 साल पुराना माना जाता है। यह मंद‌िर संत श्रीपथ की याद में यह  स्थापित किया गया था।
 
ऐसी मान्यता है क‌ि इस मंद‌िर में जब कभी भी कोई पुरुष प्रवेश करता है, उसका कुछ न कुछ बुरा जरूर होता है। उस व्यक्‍त‌ि की क‌िस्मत ब‌िगड़ जाती है और सब कुछ उल्टा सीधा होने लगता है। इसल‌िए परिवार की म‌ह‌िला के साथ कोई पुरुष आता भी है तो मंद‌िर के बाहर ही बना रहता है, अंदर प्रवेश नहीं करता है।