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Last Modified: रविवार, 19 अक्टूबर 2014 (22:28 IST)

हरियाणा में भाजपा, महाराष्ट्र में भी सरकार बनना तय

हरियाणा में भाजपा, महाराष्ट्र में भी सरकार बनना तय - BJP, elections, Haryana, Maharashtra
चंडीगढ़, मुंबई। कांग्रेस को उसके गढ़ों में मात देते हुए नरेंद्र मोदी की लहर ने भाजपा को एनसीपी के अप्रत्याशित समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कगार पर पहुंचा दिया है, जबकि हरियाणा में पार्टी अपने बूते सरकार बनाएगी।
लोकसभा चुनावों में मिली शानदार कामयाबी के बाद मोदी की पहली बड़ी परीक्षा के तौर पर देखे जा रहे इन विधानसभा चुनावों ने साबित किया कि दोनों राज्यों में भाजपा का प्रभाव कायम है। दोनों ही राज्यों में पार्टी ने आक्रामक चुनाव अभियान चलाया था।
 
हरियाणा में पार्टी को पहली बार अपने दम पर बहुमत मिला। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में भाजपा को 47 सीटें हासिल हुई जबकि पिछले चुनाव में पार्टी को महज चार सीटें नसीब हुई थी। राज्य में 10 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस 40 से सिमटकर 15 सीटों पर आ गई। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) 19 सीटें जीतकर दूसरे पायदान पर रही।
 
भाजपा ने महाराष्ट्र में भी दमदार प्रदर्शन किया। सीट बंटवारे के मुद्दे पर अपनी सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना से नाता तोड़ने वाली भाजपा को 288 विधानसभा सीटों में से 122 सीटें हासिल हुई। बहुमत के लिए पार्टी को 145 सीटों की जरूरत थी। पार्टी ने पिछले चुनावों में 47 सीटें जीती थी। 
 
शिवसेना को 63 सीटों से संतोष करना पड़ा और वह सरकार गठन में कोई अहम भूमिका भी नहीं निभा सकती, क्योंकि 41 सीटें जीतने वाली एनसीपी ने सरकार बनाने के लिए भाजपा को अप्रत्याशित एवं बिना शर्त समर्थन की पेशकश की है। निवर्तमान विधानसभा में महाराष्ट्र सरकार की अगुवाई कर चुकी कांग्रेस 81 से सिमटकर 42 सीटों पर आ गई।
 
राज ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) को महज एक सीट मिली। पिछले चुनाव में पार्टी को 13 सीटें मिली थीं। हैदराबाद स्थित मुस्लिम मजलिस राज ठाकरे की पार्टी से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही। मुस्लिम मजलिस ने दो सीटें जीतकर राज्य में अपना खाता खोला।
 
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह बिन मांगा समर्थन नहीं देंगे क्योंकि भाजपा पिछले 15 सालों से कांग्रेस के साथ सत्ता में रही एनसीपी का समर्थन ले सकती है। मोदी ने एनसीपी को ‘नैचुरली करप्ट पार्टी’ यानी स्वाभाविक तौर पर भ्रष्ट पार्टी करार दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि एनसीपी के नेता शरद पवार एवं अन्य ‘‘उसी कांग्रेस के गोत्र से आते हैं।
 
आज शाम भाजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक हुई पर इससे पहले पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने एक तरह से शिवसेना को नजरअंदाज करते हुए साफ कर दिया कि उन्हें एनसीपी का समर्थन स्वीकार करने से परहेज नहीं है।
 
बैठक में हिस्सा लेने वाले मोदी ने दोनों राज्यों में भाजपा की जीत को 'ऐतिहासिक करार' दिया और कहा कि यह पार्टी के लिए बहुत प्रसन्नता एवं गौरव की बात है। शाह ने कहा कि दोनों राज्यों में मिली जीत मोदी सरकार के कामकाज और उसकी नीतियों पर जनता की मंजूरी की मुहर है और इससे साबित होता है कि मोदी लहर का असर बरकरार है।
 
नवनिर्वाचित भाजपा विधायक कल बैठक कर अपने मुख्यमंत्रियों को चुन सकते हैं। जब यह अटकलें शुरू हुईं कि क्या भाजपा शिवसेना से संपर्क करेगी, तभी एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने राज्य की स्थिरता एवं विकास के हित में सरकार बनाने के लिए भाजपा को बाहर से समर्थन देने का ऐलान किया। 
 
पटेल ने संवाददाताओं से कहा, एनसीपी ने महाराष्ट्र में भाजपा की प्रस्तावित सरकार को समर्थन देने का फैसला किया है...सबसे बड़ी पार्टी को एक स्थिर सरकार बनाने देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। भाजपा केंद्र में भी शासन कर रही है और इससे राज्य को फायदा होगा। 
 
भाजपा ने अकेले दम पर 257 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 23 सहयोगी उम्मीदवारों को अपना चुनाव चिह्न दिया था । पार्टी के गठबंधन सहयोगी राष्ट्रीय समाज पक्ष को एक सीट हासिल हुई। निवर्तमान सदन में शिवसेना के पास 45, कांग्रेस के पास 81 और एनसीपी के पास 62 सीटें थीं।
 
दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन के दौरान बार-बार पूछे गए सवालों पर अमित शाह ने कहा कि भाजपा ने शिवसेना से गठबंधन नहीं तोड़ा था।
 
शिवसेना पर निशाना साधते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा, नतीजों ने साबित कर दिया है कि कौन सही था..हमें जितनी सीटों की पेशकश की गई थी, हमने उससे ज्यादा सीटें जीती। भाजपा राज्य की 288 में से 134 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी पर शिवसेना 119 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं थी।
 
शाह ने जोर देकर कहा, हम अपने सहयोगी दलों का सम्मान करते हैं और गठबंधन बनाए रखना चाहते हैं पर अपने कार्यकर्ताओं का बलिदान देकर नहीं। महाराष्ट्र एवं हरियाणा में चुनावी जीत को ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की दिशा में दो और कदम बताते हुए शाह ने कहा कि यह मोदी सरकार के कामकाज पर जनता की मुहर है। 
 
शाह ने कहा कि भाजपा के प्रदर्शन ने दोनों राज्यों में कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष पद के काबिल भी नहीं छोड़ा है। उन्होंने कहा कि इस जीत से साबित हो गया कि मोदी देश के निर्विवाद नेता हैं। यह जीत विरोधी पार्टियों के उस दावे को भी झुठलाती है कि उप-चुनावों में लगे मामूली झटकों के बाद मोदी लहर खत्म हो चुकी है।
 
शाह ने कहा, नतीजों ने साबित किया है कि सुनामी की तरह मोदी की लहर सभी विरोधी पार्टियों को धराशाई कर रही है। संसदीय बोर्ड ने फैसला किया कि महाराष्ट्र एवं हरियाणा में दो-दो पर्यवेक्षकों को भेजा जाएगा ताकि इस बात पर फैसला हो सके कि मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए।
 
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा प्रवक्ता जेपी नड्डा पर्यवेक्षक के तौर पर महाराष्ट्र जाएंगे जबकि संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू और भाजपा उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा को हरियाणा भेजा जाएगा।
 
करीब दो घंटे चली बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा कि बोर्ड द्वारा दो पन्नों का एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें मोदी के नेतृत्व और अमित शाह के सांगठनिक कौशल को जीत का श्रेय दिया गया। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने जनादेश को पूरी विनम्रता से स्वीकार करते हुए दोनों राज्यों के वोटरों के प्रति आभार व्यक्त किया। (भाषा)