गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. प्रादेशिक
  4. Arvind Kejriwal, Mayank Gandhi, aam admi party
Written By
Last Updated : गुरुवार, 5 मार्च 2015 (16:07 IST)

मयंक गांधी ने केजरीवाल के खिलाफ क्या लिखा है पत्र में

मयंक गांधी ने केजरीवाल के खिलाफ क्या लिखा है पत्र में - Arvind Kejriwal, Mayank Gandhi, aam admi party
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की पीएसी (राजनीतिक मामलों की सम‍िति) से दो वरिष्ठ सदस्यों योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को बाहर करने के बाद भी पार्टी का विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। पीएसी के सदस्य और पार्टी के बड़े चेहरे मयंक गांधी ने अब यादव और भूषण को हटाने के तरीके पर ऐतराज जताते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग में हुई बातें सार्वजनिक कर दी हैं। मयंक ने पार्टी के निर्देशों को धता बताते हुए कार्यकर्ताओं के नाम लिखे खुले पत्र में ये बातें कही हैं।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और महाराष्ट्र से पार्टी के बड़े नेता मयंक गांधी ने बागी रुख अख्तियार करते हुए सीधे-सीधे अरविंद केजरीवाल पर उंगली उठाई है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने साफ-साफ कह दिया था योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण पीएसी में रहते हैं तो मैं काम नहीं कर पाऊंगा। मयंक गांधी ने ब्लॉग लिखकर यह भी कहा कि वह जानते हैं कि इस खुलासे से उन्हें भी इसके नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। मयंक के ब्लॉग पर टिप्पणी करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि अंतत: सत्य सामने आ ही जाता है।

मयंक के मुताबिक योगेंद्र और भूषण खुद ही पीएसी से किनारे होने को राजी थे लेकिन केजरीवाल इन्हें बाहर करने पर अड़े हुए थे और इसी के चलते इनकी पीएसी का पुनर्गठन करने या पीएसी से गैरहाजिर रहने की मांग नहीं मानी गई और सीधे-सीधे बर्खास्तगी का प्रस्ताव पेश कर दिया गया। मयंक की लिखी चिट्ठी का मजमून नीचे दिया जा रहा है।
अगले पन्ने पर, आखिर क्या है पत्र में...

प्रिय कार्यकर्ताओ,
मैं माफी चाहता हूं कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कल जो कुछ हुआ उसे बाहर किसी को न बताने के निर्देशों को तोड़ रहा हूं। वैसे मैं पार्टी का एक अनुशासित सिपाही हूं।
वर्ष 2011 में जब अरविंद केजरीवाल लोकपाल के लिए बनी संयुक्त मसौदा समिति (ज्वाइंट ड्राफ्ट कमेटी) की बैठक से बाहर आते थे तो कहते थे कि कपिल सिब्बल ने उनसे कहा है कि बैठक में जो कुछ हुआ उसे वे बाहर न बताएं। लेकिन अरविंद कहते थे कि ये उनका कर्तव्य है कि वे देश को बैठक की कार्यवाही के बारे में बताएं क्योंकि वे कोई नेता नहीं थे बल्कि लोगों के प्रतिनिधि थे। अरविंद ने जो कुछ किया वह वास्तव में सत्य और पारदर्शिता थी।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मेरी मौजूदगी कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधि के तौर पर ही है और मैं ईमानदार नहीं होऊंगा अगर मैं ये निर्देश मानता हूं। इसलिए कार्यकर्ताओं को ऐसे किसी समीकरण से नहीं हटाया जा सकता। आखिर वे पार्टी के स्रोत हैं। उन्हें लीक की गई जानकारियों और छिटपुट बयानों से जानकारी मिले, इसकी बजाय मैंने फैसला किया है कि मैं मीटिंग का तथ्यात्मक ब्योरा सार्वजनिक करने का फैसला किया है।

पिछली रात मुझसे कहा गया कि अगर मैंने कुछ भी खुलासा किया तो मेरे खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। अब जो हो, मेरी पहली निष्ठा सत्य के प्रति है। यहां योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की बर्खास्तगी के संबंध में मीटिंग के तथ्य दिए जा रहे हैं। मैं राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निवेदन करूंगा कि मीटिंग के मिनिट्स रिलीज किए जाएं।

संक्षिप्त पृष्ठभूमि :  दिल्ली के चुनाव प्रचार के दौरान प्रशांत भूषण ने कई बार धमकी दी कि वे पार्टी के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे क्योंकि उन्हें उम्मीदवारों के चयन पर कुछ आपत्ति थी। हममें से कुछ किसी तरह इस मुद्दे को चुनाव तक शांत रखने में सफल रहे।

ऐसा आरोप था कि योगेंद्र यादव, अरविंद केजरीवाल के खिलाफ साजिश कर रहे हैं और इसके कुछ सबूत भी रखे गए। अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव के बीच मतभेद सुलझने की हद से बाहर चले गए और उनके बीच विश्वास का संकट था।

26 फरवरी की रात जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य उनसे मिलना चाहते थे, अरविंद ने ये संदेश दिया कि अगर ये दो सदस्य पीएसी में रहेंगे तो वे संयोजक के तौर पर कार्य नहीं कर पाएंगे। 4 मार्च को हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की यही पृष्ठभूमि थी।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक :  योगेंद्र यादव ने कहा कि वे समझ सकते हैं कि अरविंद उन्हें पीएसी में नहीं देखना चाहते, चूंकि अरविंद के लिए उनके साथ काम करना मुश्किल है इसलिए वे और प्रशांत पीएसी से बाहर रहेंगे लेकिन उन्हें बाहर नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में दो फॉर्मूले उनके द्वारा पेश किए गए।

-पीएसी का पुनर्गठन हो और नए सदस्य चुने जाएं। इसके लिए होने वाले चुनाव में प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव अपनी उम्मीदवारी पेश नहीं करेंगे।

-पीएसी अपने वर्तमान रूप में ही काम करती रहे और योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण मीटिंग में हिस्सा नहीं लेंगे।

मीटिंग कुछ समय के लिए रुक गई और मनीष व अन्य सदस्यों ने दिल्ली टीम के आशीष खेतान, आशुतोष, दिलीप पांडेय और अन्य से मशविरा किया। इसके बाद मनीष ने योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की बर्खास्तगी का प्रस्ताव रखा। संजय सिंह ने इसका समर्थन किया। मैं इन दो कारणों की वजह से वोटिंग से बाहर रहा।

-अरविंद पीएसी में अच्छे से काम कर सकें इसके लिए मैं इस बात से सहमत हूं कि प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पीएसी से बाहर रह सकते हैं और कुछ दूसरी महत्वपूर्ण भूमिका ले सकते हैं।
-मैं उन्हें सार्वजनिक रूप से बाहर रखने के प्रस्ताव के विरोध में था खासकर तब जब कि वे खुद अलग होना चाहते थे। इसके अलावा उन्हें हटाने का ये फैसला दुनिया भर के कार्यकर्ताओं की भावनाओं के खिलाफ है।

यानी, मैं उनके पीएसी से बाहर जाने से सहमत था लेकिन जिस तरह से और जिस भावना से ये प्रस्ताव लाया गया वह अस्वीकार्य था। इसलिए मैंने गैरहाजिर रहने का निर्णय लिया। दूसरी जानकारियां मीटिंग के मिनट्स जारी होने पर बाहर आ सकती हैं।

ये कोई विद्रोह नहीं है और न ही पब्लिसिटी का कदम है। मैं प्रेस में नहीं जाऊंगा। मेरे इस कदम के चलते मेरे खिलाफ प्रत्यक्ष या परोक्ष कार्रवाई हो सकती है, तो ऐसा हो जाए।
जय हिन्द,
मयंक गांधी