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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: मंगलवार, 21 मार्च 2017 (21:47 IST)

सेना बोली, कश्मीर चुनावों पर आतंकी धमकी का असर नहीं

सेना बोली, कश्मीर चुनावों पर आतंकी धमकी का असर नहीं - Army, officer, Lok Sabha
श्रीनगर। सेनाधिकारी दावा कर रहे हैं कि कश्मीर में दो लोकसभा सीटों पर होने जा रहे चुनावों पर आतंकी धमकी का कोई प्रभाव नहीं है पर हालात इसके उल्ट हैं। चुनाव मैदान में उतरने वाले राजनीतिक दल पुलिस की ’सलाह’ पर प्रचार अभियान को सिर्फ डोर-टू-डोर तक ही सीमित रखे हुए हैं। असुरक्षा का हवाला देते हुए पैंथर्स पार्टी ने भी चुनाव मैदान में उतरने से इंकार किया है।
यह सच है कि चुनाव बहिष्कार की चेतावनी और कार्यकर्ताओं पर हमले की आशंका के चलते पार्टियों के उम्मीदवार रैलियां करने के स्थान पर डोर-टू-डोर प्रचार करने पर अधिक जोर दे रहे हैं। पुलिस भी अधिक सतर्कता बरत रही हैं। गत रविवार को भी दक्षिण कश्मीर में पीडीपी के कार्यकर्ता सम्मेलन पर कुछ अज्ञात लोगों ने पथराव कर तीन को घायल कर दिया था।
 
पार्टी के अनंतनाग से उम्मीदवार तसद्दुक मुफ्ती पहले ही पार्टी कार्यकर्ताओं को अपनी जान जोखिम में न डालने की बात कह चुके हैं। ऐसे में प्रमुख दलों के नेता व कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में एहतियात बरत रहे हैं। पार्टियां अधिक जोर लोगों के घरों में जाकर उनसे मिलने पर लगा रही हैं।
 
सोमवार को भी श्रीनगर संसदीय सीट पर नेंका-कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार डॉ. फारुक अब्दुल्ला ने नामांकन भरने के बाद उनके कई नेताओं ने अलग-अलग स्थानों पर जाकर लोगों से पार्टी उम्मीदवार के हक में समर्थन मांगा। पीडीपी जिसकी प्रतिष्ठा इन उपचुनावों पर दांव पर लगी है, उसने जरूर इक्का-दुक्का सम्मेलन आयोजित किए हैं। मगर अभी इस पार्टी की ओर से भी अधिक जोर नहीं लगाया गया है।
 
स्थानीय निवासी अब्दुल रज्जाक, नाजम खान ने बताया कि अभी तक कोई भी नेता उनके पास नहीं आया है। दोनों ही श्रीनगर शहर में रहते हैं। लोगों में फिलहाल चुनावों को लेकर कोई अधिक उत्साह नहीं है लेकिन सभी की नजरें इस बात पर जरूर टिकी हुई हैं कि पीडीपी इन सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखती है या नहीं।
 
असुरक्षा के माहौल की पुष्टि पीडीपी उम्मीदवार तस्सदुक मुफ्ती कर रहे हैं तो नेशनल पैंथर्स पार्टी इस असुरक्षा के माहैज्ञल के चलते चुनाव मैदान में उतरने से इंकार कर चुकी है। नेशनल पैंथर्स पार्टी ने कश्मीर में दोनों संसदीय सीटों पर हो रहे उपचुनाव के बहिष्कार की घोषणा की है।
 
पार्टी संरक्षक प्रो. भीम सिंह ने सरकार पर उनके नेताओं की सुरक्षा वापस लेने का आरोप भी लगाया। प्रो. सिंह ने कहा कि उनके पार्टी के नेता सैयद मसूद इंद्राबी, मंजूर अहमद नाईक, फारुक अहमद डार, शाह फियाज, हकीन आरिफ अली को वर्षों से सुरक्षा मिली हुई थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने उनसे सुरक्षा वापस ले ली है। वर्ष 1996 में विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेता मुहम्मद रमजान बांडे को आतंकियों की गोलियों का निशाना बनना पड़ा था। 
 
हालांकि एक दिन पहले पार्टी ने उपचुनाव लड़ने का फैसला किया था। गत रविवार को पीडीपी के सम्मेलन पर हमले के बाद उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है। प्रो. सिंह ने कहा कि सर्दियों में कश्मीर के 60 प्रतिशत मतदाता काम के सिलसिले में पड़ोसी राज्यों में होते हैं। यह मामला उन्होंने भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त के समक्ष भी रखा है। उन्होंने इस पर गौर करने का आश्वासन दिया है।
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