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Written By अरविन्द शुक्ला
Last Modified: लखनऊ , सोमवार, 3 अगस्त 2015 (00:52 IST)

निलंबित आईपीएस अमिताभ ठाकुर करोड़पति

निलंबित आईपीएस अमिताभ ठाकुर करोड़पति - Amitabh Thakur, IPS
लखनऊ। आरटीआई एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने आरोप लगाया है कि निलंबित आईपीएस अमिताभ ठाकुर करोड़ों की सम्पत्ति के मालिक हैं। शर्मा ने कहा कि ठाकुर पर बाराबंकी में परिवारजनों के नाम से 13.811 हेक्टेयर कृषि भूमि की खरीद-फरोख्त करने, पत्नी नूतन ठाकुर द्वारा 2625 वर्गफुट के प्लाट पर बलात कब्जा करने का आरोप लगाया है। उनका यह भी आरोप है ‍कि अमिताभ द्वारा पद का दुरुपयोग कर विभाग में कार्यरत महिला का शारीरिक शोषण करने के लिए विभागीय कार्यवाही का दुरुपयोग किया है। 
 
संजय शर्मा ने मीडिया को बताया कि  अमिताभ ठाकुर ने अपनी काली कमाई को खपाने के लिए अपने परिवार, सगे-सम्बन्धियों और मित्रों के नामों से रीयल एस्टेट में भारी-भरकम निवेश किया है।
 
पहले जारी सम्पत्तियों के अतिरिक्त अमिताभ ठाकुर ने जनवरी 2008 में अपनी माता श्रीमती माधुरीबाला पत्नी तपेश्वर नारायण ठाकुर और पिता तपेश्वर नारायण ठाकुर पुत्र बद्री नारायण के नाम से ग्राम तीरगांव परगना सतरिख तहसील नबाबगंज जिला बाराबंकी में 6.907 हेक्टेयर कृषि भूमि 2 लोगों से खरीदी और 2014 में मेरे द्वारा मामला उठाए जाने पर जून 2014 और जुलाई 2014 में इन जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में दर्जनभर लोगों को बेच दिया।
 
इस प्रक्रिया में अमिताभ ठाकुर ने अकूत लाभ भी अर्जित किया जिस पर समुचित टैक्स भी नहीं दिया गया। यह जांच का विषय है कि इन सम्पत्तियों को खरीदने के लिए धन कहां से आया और इन सम्पत्तियों को बेचने के बाद धन कहां गया।
 
शर्मा ने बताया कि अमिताभ ठाकुर ने अपने उच्च पुलिस पद की धौंस जमाकर पद का दुरुपयोग करते हुए ग्राम खरगापुर, परगना, तहसील व जिला लखनऊ के खसरा संख्या 249 अ,व का मिश्रण के 2625 वर्गफुट के भूखण्ड संख्‍या 38 पर अपनी पत्नी श्रीमती नूतन ठाकुर का बलात अवैध कब्जा किया हुआ है, जिसकी जांच आवश्यक है। नूतन ठाकुर के अवैध कब्जे के कारण भूस्वामी अपनी संपत्ति से वंचित हो गया है। 
 
शर्मा का कहना है कि अमिताभ ठाकुर ने एक लोकसेवक की हैसियत से अपनी उच्च स्थिति का दुरुपयोग अपनी अनियमितताओं से सम्बंधित सूचनाओं के प्रगटन को रोकने के लिए किया। अमिताभ ने अपने निदेशालय के जनसूचना अधिकारी के कुछ दिनों के अवकाश की अवधि में मौके का अनुचित लाभ उठाया उठाया और जनसूचना अधिकारी के पदीय अधिकारों का अतिक्रमण तक करते हुए अधिनियम की धारा 6 (2) के प्रतिकूल शर्मा को उनके कार्यालय आने को बाध्‍य किया। 
 
अमिताभ इस मामले में दोहरे मापदण्ड अपनाने के कारण ईमानदारी की कमी के भी दोषी हैं क्योंकि ये स्वयं को आरटीआई एक्टिविस्ट कहते हैं पर इन्होने दोहरा मापदंड अपनाकर अपने से सम्बंधित वही सूचना देने से मना किया जो सूचना (अन्य लोकसेवकों के बारे में) ये स्वयं मांगते रहे हैं।
 
संजय शर्मा ने बताया कि अमिताभ ठाकुर ने एक लोकसेवक की हैसियत से अपनी उच्च स्थिति का दुरुपयोग कर राज्य सूचना आयोग में लम्बित 143 मामलों में बिना अवकाश, अल्प अवकाश की स्वीकृति के अपनी अवैध उपस्थिति दर्ज कराई। 
 
अमिताभ इस मामले में दोहरे मापदण्ड अपनाने के कारण ईमानदारी की कमी के भी दोषी हैं क्योंकि ये स्वयं को सोशल एक्टिविस्ट कहते हैं पर इन्होने दोहरा मापदंड अपनाकर अनियमितता करके 143 मामलों में बिना अवकाश, अल्प अवकाश की स्वीकृति के अपनी अवैध उपस्थिति दर्ज कराई जिसके लिए इनको दण्डित किया जाना जरूरी है। 
 
शर्मा ने कहा कि अमिताभ ठाकुर ने लोकसेवक की हैसियत से अपने उच्च पद में निहित शक्तियों का दुरुपयोग कर विभागीय कार्यवाही की प्रक्रिया का दुरुपयोग नागरिक संगठन विभाग में कार्यरत महिला कार्मिक का शारीरिक शोषण करने के लिए किया और इस कनिष्ठ महिला कार्मिक को निलंबित कराकर अनुचित अपहानि भी पहुंचाई है। 
 
अमिताभ ठाकुर ने लैंगिक उत्पीड़न की इसी पीडिता का फोटो समाचार पत्र में छपवाया था और इसी महिला का फोन अपने अधीनस्थ पुरुष कार्मिक से टेप कराया था जिसकी सूचना पूर्व में दी जा चुकी है। दिनांक 14 नबम्बर 2014 की एक नोटशीट के अनुसार अमिताभ ठाकुर ने जांच अधिकारी की नियुक्ति के सामान्य नियमों और प्रक्रिया का उल्लंघन कर कानपुर के अधिवक्ता प्रदीप गुप्ता की एक शिकायत में स्वयं को जांच अधिकारी नियुक्त कराने के लिए निदेशक पर दबाव डाला। 
 
अपनी इस शिकायत में अधिवक्ता प्रदीप गुप्ता ने कतिपय कार्मिकों द्वारा अवैध HRA/CCA की वसूली करके राजस्व चोरी की शिकायत की थी। अमिताभ ठाकुर द्वारा दिनांक 16-11-14 को अधिवक्ता प्रदीप गुप्ता की शिकायत पर जांच करने के स्थान पर नागरिक सुरक्षा कानपुर की सहायक उप नियंत्रक महिला कार्मिक की जांच कर दिनांक 24-11-14 को उसे चेतावनी जारी कर दी, जबकि नागरिक सुरक्षा निदेशालय के पत्र संख्या 390 दिनांक 18 मार्च 2015 के अनुसार अमिताभ ठाकुर की इस कथित जांच के आधार पर किसी भी कार्मिक के विरुद्ध कार्यवाही नहीं की गई। 
 
दिनांक 14 जून 2014 की एक नोटशीट के अनुसार  अमिताभ ठाकुर ने इस कनिष्ठ महिला कार्मिक के विरुद्ध प्राप्त एक शिकायत पर जांच अधिकारी की नियुक्ति के सामान्य नियमों और प्रक्रिया का उल्लंघन कर स्वयं को जांच अधिकारी नियुक्त कराने के लिए निदेशक पर दबाव डाला।
 
नागरिक सुरक्षा के निदेशक के एक पत्र संख्या 1004 दिनांक 02-07-15 के अनुसार अमिताभ ठाकुर अपने वरिष्ठ अधिकारियों की शिकायतें करके और उनके विरुद्ध समाचार पत्रों में बयान देकर उन पर अपने मनमाफिक कार्य करने का दवाव बनाते हैं। 
 
इसीलिए नागरिक सुरक्षा के निदेशक ने भी अपने इस पत्र संख्या 1004 दिनांक 02-07-15 द्वारा इस कनिष्ठ महिला कार्मिक के द्वारा महिला आयोग में अमिताभ ठाकुर पर लगाए गए शारीरिक शोषण के प्रयास के गंभीर आरोपों पर भी कार्यवाही करने से इंकार कर दिया। 
 
इस कनिष्ठ महिला कार्मिक को दिनांक 19 मार्च 2015 को निलंबित किया जा चुका है। अब इस महिला कार्मिक ने दिनांक 29-07-15 को 5 पेज का पत्र भेजकर यूपी के पुलिस महानिदेशक से न्याय की गुहार लगाई है।