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Last Updated : सोमवार, 21 जून 2021 (10:21 IST)

हरियाणा : भिवानी के एक गांव में सदियों बाद घोड़ी चढ़ा अनुसूचित जाति समाज का दूल्हा

हरियाणा : भिवानी के एक गांव में सदियों बाद घोड़ी चढ़ा अनुसूचित जाति समाज का दूल्हा | SC Groom
भिवानी (हरियाणा)। भिवानी जिले के गोबिंदपुरा गांव में पंचायत ने करीब 300 साल पुरानी भेदभावपूर्ण प्रथा को अंतत: समाप्त करते हुए यहां बसे अनुसूचित जाति के हेड़ी समाज के दूल्हे को पूरे धूम-धाम से घोड़े पर सवार कराकर बारात के लिए विदा किया।

 
गौरतलब है कि करीब 300 साल पहले बसे गांव गोबिंदपुरा की आबादी करीब 2,000 है और यहां सिर्फ दो समाज राजपूत एवं हेड़ी के लोग रहते हैं। गांव में राजपूतों की आबादी करीब 1,200 और हेड़ी समाज के लोगों की संख्या 800 है। गोबिंदपुरा पंचायत के सरपंच बीर सिंह ने रविवार को उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि हमारा गांव पहले हालुवास माजरा देवसर पंचायत में आता था। इसे हाल ही में अलग पंचायत की मान्यता मिली है।
 
उन्होंने कहा कि गोबिंदपुरा के पंचायत बनने के वक्त से ही हमारा विचार था कि यहां चली आ रही रूढ़ीवादी, पुरातनपंथी और भेदभावपूर्ण परंपराओं को समाप्त किया जाए और गांव में रहने वाले दोनों ही समाज के लोगों को बराबरी से समान रूप से अपनी-अपनी खुशियां बांटने का अवसर मिले।

 
उन्होंने बताया कि गांव में हेड़ी समाज के दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ने या बहुत धूम-धाम से बारात निकालने की परंपरा कभी नहीं रही। उन्होंने बताया कि शायद गांव बसने के वक्त करीब 300 साल पहले समाज और सामाजिक ताने-बाने के कारण ऐसी परंपरा शुरू हुई थी और यह अभी तक चली आ रही थी। बीर सिंह ने बताया कि करीब 3 साल पहले भी हेड़ी समाज के लोगों से दूल्हे की घुड़चढ़ी करने और धूमधाम से बारात निकालने को कहा था, लेकिन उस दौरान पंचायत में लोग इसे लेकर नाराज हो गए थे और कोई फैसला नहीं हो सका था।
 
उन्होंने बताया कि हमें हेड़ी समाज के लड़के विजय की शादी का पता चला। मैंने इसे अवसर के रूप में लिया। राजपूत समाज के कुछ लोगों को साथ लेकर उसके घर गए और परिवार को धूम-धाम से बारात निकालने, घुड़चढ़ी के लिए राजी किया। सिंह ने बताया कि इस बार गांव में इसे लेकर किसी ने नाराजगी भी जाहिर नहीं की। उन्होंने कहा कि हालांकि, मैंने एहतियात के तौर पर इसकी सूचना जिला प्रशासन को भी दी थी। प्रशासन ने हमारे अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए पुलिस के एक जवान को विजय की सुरक्षा के लिए भी भेजा था। इस कुप्रथा को समाप्त किए जाने और विजय की बारात धूम-धाम से निकलने से उसके पिता किशन सहित पूरा हेड़ी समाज बहुत खुश है। (भाषा)