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Last Updated : बुधवार, 30 दिसंबर 2015 (10:55 IST)

राम मंदिर पर होगी जनभावना की जीत : स्वामी अवधेशानंदगिरिजी

राम मंदिर पर होगी जनभावना की जीत : स्वामी अवधेशानंदगिरिजी - Acharya Mahamandleshwar Avdeshanand Giri Swami Maharaj interview
- सुधीर शर्मा एवं धर्मेन्द्र सांगले

भारत मंदिर-मठों का देश है, इसलिए राम मंदिर पर चर्चा होना स्वाभाविक है। राम मंदिर का मुद्दा बहुत वर्षों से न्यायालयीन प्रकरण है। न्यायालय जनभावनाओं के आधार पर भी अपने परिणाम देता है, लेकिन दोनों पक्ष न्यायालय के सम्मान के लिए सजग हैं। यह बात जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंदगिरिजी महाराज ने वेबदुनिया से एक विशेष साक्षात्कार में कही। 

 
रामकथा के सिलसिले में इंदौर पधारे अवधेशानंदजी ने धर्म की परिभाषा बताते हुए कहा कि यह अभ्युदय और  श्रेयस की सिद्धि करता है। मनुष्य स्वभावत: शांति, प्रेम, समाधान चाहता है। धर्म व्यक्ति को समाधान के साथ  ही साथ जीवन यात्रा को सिद्धि भी देता है।

वर्तमान में चल रहे प्रतिस्पर्धा से बढ़ते तनाव के कारण छात्रों द्वारा आत्महत्या के बढ़ती घटनाओं पर स्वामीजी  ने कहा कि स्पर्धा ने विद्यार्थियों के आसपास तनाव खड़ा किया है। कॉलेजों में कटऑफ भी विद्यार्थियों में तनाव को बढ़ावा दे रहे हैं। जिस लड़की ने सीबीएसई में देश में टॉप किया, उसे स्टीफन कॉलेज में एडमिशन  नहीं मिला क्योंकि वह वहां की परीक्षा को उत्तीर्ण नहीं कर पाई। उच्च पद, करियर, ऊंचा वेतन इन चीजों ने  विद्यार्थियों में आकर्षण पैदा किया है। इस आकर्षण ने प्रतिस्पर्धा बढ़ाई है और प्रतिस्पर्धा के कारण ही तनाव  बढ़ा है।  
 
देखें साक्षात्कार का वीडियो-  
 
 
अवधेशानंदजी ने कहा माता-पिता की अपने बच्चों से अधिक अपेक्षाएं ही उन्हें स्वाभाविक रूप से बढ़ने नहीं देती है। बालक के अंदर जो भी है, उसे वृक्ष की तरह से स्वाभाविक रूप से प्रकट होने दें। माता-पिता स्पर्धा का  वातावरण बच्चों के आसपास निर्मित न होने दें।  स्वामीजी ने माता-पिता को नसीहत देते हुए कहा कि वे अपने बच्चों पर लालबत्ती का तनाव हावी न होने दें। 
 
वर्तमान में स्पर्धा का युग है, अति आदर का युग है। आज व्यक्ति ऐसा बनना चाहता है, जिसमें उसे बहुत आदर - सम्मान मिले। वर्तमान समय ने ही बच्चों में आज अंधी प्रतिस्पर्धा की भूख जगाई है। बेहतर होगा कि हम स्पर्धा  जरूर करें, लेकिन वह स्वस्थ और अच्छे आचरण वाली हो, तभी एक आदर्श भारत का निर्माण हो सकेगा।