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Last Updated : बुधवार, 2 अगस्त 2017 (01:16 IST)

अबु दुजाना को मार फिर जीत का सेहरा बांधा राष्ट्रीय रायफल्स ने

अबु दुजाना को मार फिर जीत का सेहरा बांधा राष्ट्रीय रायफल्स ने - Abu Dujana, Terrorist, Jammu Kashmir
श्रीनगर। अबु दुजाना की मौत की जीत का सेहरा विश्व की सबसे बड़ी आतंकवाद विरोधी फोर्स अर्थात राष्ट्रीय रायफल्स के सिर पर बंधा है। अगर साफ शब्दों में कहें तो कश्मीर घाटी सेना की राष्ट्रीय रायफल्स जिस तेजी से आतंकियों का सफाया कर रही है। जिस वजह से सेना की राष्ट्रीय रायफल्स को आतंकियों का यमराज कहा जाने लगा है। 
 
यह भी सच है कि कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान जवानों की वीरता की वजह से राष्ट्रीय रायफल्स को 6 अशोक चक्र, 34 कीर्ति चक्र, 221 शौर्य चक्र और 1508 सेना मेडल मिल चुके हैं। राष्ट्रीय रायफल्स के जवानों ने अपने अदम्य साहस से हजारों आतंकियों को ढेर किया है।
 
विश्व की सबसे बड़ी आतंकवाद विरोधी फोर्स अर्थात राष्ट्रीय रायफल्स जम्मू कश्मीर में 26 सालों से सफलता के झंडे गाड़ रही है। पिछले 26 सालों में राज्य में मारे गए कुल 24000 आतंकवादियों में से 12 हजार को अकेले राष्ट्रीय रायफल्स ने ही मार गिराया है। यही नहीं बारह हजार के करीब आतंकवादियों को उसने जिन्दा पकड़ा भी है।
 
यह सच है कि 12 सेक्टरों में बंटी हुई राष्ट्रीय रायफल्स विश्व की सबसे बड़ी आतंकवाद विरोधी फोर्स है जिसके पास वर्तमान में एक लाख से अधिक जवान और आफिसर हैं। यह फोर्स सिर्फ जम्मू कश्मीर में ही तैनात है और इसके गठन की जरूरत उसी समय महसूस हुई थी जब राज्य में पाकिस्तान समर्थक आतंकवाद ने पांव पसारे थे।
इस सबसे बड़ी काउंटर इंसरजंसी फोर्स  अर्थात राष्ट्रीय रायफल्स फोर्स सफलता के झंडे गाड़ने में कतई पीछे नहीं है। पिछले 26 सालों के दौरान इस फोर्स द्वारा प्राप्त की गई सफलताओं को गिनाते हुए अधिकारी बताते हैं कि जहां उसने आतंकवाद का खात्मा करने में अहम भूमिका निभाई है वहीं वह अब ऑपरेशन सद्भावना के तहत लोगों का दिल जीतने के साथ ही उनकी भलाई के कार्य में लिप्त है।
 
जानकारी के लिए जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ जंग में राष्ट्रीय राइफल्स सबसे अहम भूमिका निभाती है। इसे भले ही अर्धसैनिक बल समझा जाता हो, लेकिन राष्ट्रीय राइफल्स, सेना का ही हिस्सा है और इसमें सेना के चुनिंदा जवान होते हैं, जो ऊंचाई वाले इलाकों में हर परिस्थिति में दुश्मन को ढेर करने में माहिर होते हैं।
 
इन्हें बहुत कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। इसे दुनिया में आतंकवाद से लड़ने के लिए खासतौर पर गठित सबसे बड़ा बल माना जाता है। जानकारों के मुताबिक राष्ट्रीय राइफल्स का काम ‘थैंकलेस जाब’ की तरह है क्योंकि खबरों में इसका ज्यादा नाम ही नहीं लिया जाता, जबकि सीमापार से आने वाले आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने में यही अग्रणी रहता है।
 
राष्ट्रीय रायफल्स के अधिकारी बताते हैं कि अपने गठन से लेकर अभी तक की 26 सालों की अवधि के दौरान राष्ट्रीय रायफल्स ने राज्यभर में 12000 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है। राज्य में सक्रिय सभी सुरक्षाबलों द्वारा मार गिराए गए आतंकवादियों की संख्या का यह आधा है।
 
जब कश्मीर घाटी में आतंकवाद चरम पर था तब सरकार ने कश्मीर घाटी में सेना की राष्ट्रीय रायफल्स की तैनाती का फैसला लिया। राष्ट्रीय रायफल्स ने कश्मीर में आतंकवाद के सफाए में अहम भूमिका निभाई। सेना की राष्ट्रीय रायफल्स को आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में महारथ हासिल है। जिस वजह से काउंटर इंसरजेंसी ऑपरेशन का जिम्मा राष्ट्रीय रायफल्स को सौंपा गया है।
 
आतंकी घर में छिपे हों या फिर जंगलों में सेना की राष्ट्रीय रायफल्स उनको ढेर करने में सक्षम है। हाईटेक हथियारों की मदद से सेना कश्मीर घाटी में अबू कासिम, बुरहान वानी, अबू दुजाना को ढेर कर चुकी है। सेना कश्मीर घाटी में आतंकी के सफाए के लिए एके-47, एके-56, राकेट लांचर, ग्रेनेड का प्रयोग करती है। वहीं आतंकियों की लोकेशन का पता लगाने के लिए सेना के पास कई उपकरण मौजूद हैं।
 
इसका गठन 1990 में विशेष तौर पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से लड़ाई के लिए जनरल एसएफ रोड्रिग्ज ने किया था और जनरल बीसी जोशी के मार्गदर्शन में यह आतंक निरोधक गतिविधियों के लिए पूरी तरह से तैयार हुई। 
 
जम्मू कश्मीर में आतंकियों से जंग में तकरीबन 95,000 की क्षमता वाले इस बल की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उत्तर-पूर्व की असम राइफल्स की ही तर्ज पर गठित राष्ट्रीय राइफल्स इतने साल के अनुभव के बाद अब जम्मू कश्मीर के चप्पे-चप्पे से वाकिफ है। 
 
पाकिस्तान से भरपूर हथियार और उच्चस्तरीय प्रशिक्षण लेकर आने वाले आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने में राष्ट्रीय राइफल्स का कोई सानी नहीं है। स्थानीय लोगों के साथ बेहतर संबंधों के कारण राष्ट्रीय रायफल्स का खुफिया नेटवर्क भी खासा मजबूत है।
 
राष्ट्रीय रायफल्स के गठन से पहले एक ऐसे अर्धसैनिक बल की भी कल्पना की गई थी जिसमें पूर्व सैनिकों के अलावा विभिन्न अर्धसैनिक बलों और केंद्रीय पुलिस संगठनों के जवान हों। यह कल्पना साकार न हो सकी और जब जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के चलते हालात बिगड़ते ही चले गए तो सेना प्रमुख एसएफ रोड्रिग्ज ने सेना के ही जवानों के साथ राष्ट्रीय रायफल्स के गठन का फैसला किया। 
 
आज 65 बटालियन (लगभग सात डिवीजन) वाली राष्ट्रीय रायफल्स आतंकियों के साथ जंग के अलावा एलओसी की निगरानी के लिए भी तैयार दिखती है। राष्ट्रीय रायफल्स का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि सेना मुख्यालय में इसका अपना एक अलग निदेशालय है। इसके दो सीआई फोर्स मुख्यालय कश्मीर घाटी और तीन पीरपंजाल के दक्षिण में स्थित हैं। राष्ट्रीय रायफल्स के लोगो पर लिखा ‘दृढ़ता और वीरता’ अपने आप में काफी-कुछ कह जाता है।