गुरुवार, 28 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. प्रादेशिक
  4. Aam Aadmi Party, arvind kejriwal
Written By
Last Modified: शनिवार, 28 मार्च 2015 (14:46 IST)

आम आदमी पार्टी की 'बवाल बैठक'

आम आदमी पार्टी की 'बवाल बैठक' - Aam Aadmi Party, arvind kejriwal
नई दिल्ली। आप के दो संस्थापक सदस्यों योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के भाग्य का फैसला करने के लिए आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक से पहले शुक्रवार को यहां खूब बवाल हुआ। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व को चुनौती देने वाले आप के संस्थापक सदस्य योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को आज राष्ट्रीय परिषद की बैठक में भारी बहुमत से पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी से बाहर कर दिया गया। इन दोनों नेताओं ने इस कदम को ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया।
नाटकीय घटनाक्रम में करीब 300 सदस्यीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पारित एक प्रस्ताव पर 230 सदस्यों ने दोनों असंतुष्ट नेताओं को हटाने का पक्ष लिया। केजरीवाल ने बैठक के दौरान भावुक भाषण दिया और मनीष सिसोदिया की ओर से दोनों नेताओं को हटाने का प्रस्ताव पेश किए जाने से पहले ही आप प्रमुख बैठक स्थल से रवाना हो गए।
 
इस घटनाक्रम से क्षुब्ध दिख रहे योगेन्द्र यादव ने कहा कि  यह लोकतंत्र की हत्या है। सभी चीजें पूर्वनिर्धारित पठकथा के अनुरूप खेली गई और निर्धारित मानदंडों को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए कुछ ही मिनट में प्रस्ताव पेश किया गया और इसे पारित कर दिया गया। यह पूरी तरह से गलत है। 
 
योगेन्द्र के समर्थक आनंद कुमार और अजीत झा को भी बैठक के दौरान राष्ट्रीय कार्यकरणी से हटा दिया गया।  इससे पहले बैठक से पहले यादव करीब 20 मिनट तक परिसर के बाहर धरने पर बैठे। उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के उस वर्ग को बैठक में शामिल होने के लिए भीतर आने की अनुमति नहीं दी गई जो अरविंद केजरीवाल खेमे के विरोधी हैं।
 
बैठक से कुछ ही घंटों पहले यादव ने एक पत्र सार्वजनिक किया जो आप के आंतरिक लोकपाल रामदास ने पार्टी नेतृत्व को लिखा था। पूर्व नौसेना प्रमुख ने इस पत्र में इस बात पर आश्चर्य जताया है कि पार्टी ने ‘विवाद से बचने के लिए’ उन्हें बैठक में शामिल नहीं होने को कहा है। इस पत्र में रामदास ने उस एसएमएस का हवाला दिया है जो उन्हें आप महासचिव पंकज गुप्ता ने भेजा है। इस एसएमएस में पार्टी ने उन्हें बैठक में भाग नहीं लेने के लिए कहने के कई कारण बताए हैं। 
 
दोनों खेमों के ‘आप’ स्वयंसेवक कापसहेड़ा सीमा पर स्थित कैलिस्टा रिसार्ट में बड़ी संख्या में एकत्र हुए और एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की। पार्टी के दो असंतुष्ट नेताओं यादव और भूषण के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सुबह करीब साढ़े नौ बजे पहुंचे और बाद में उन्होंने निर्णायक बैठक की अध्यक्षता की।
 
रिसार्ट के चारों ओर पुलिस और आरएएफ के भारी बल तैनात किए गए थे जहां एनसी सदस्यों को काउंटर पर पंजीकरण के बाद भीतर आने की इजाजत दी जा रही थी। पहचान, मोबाइल नंबर और निमंत्रण का एसएमएस नहीं दिखा पाने वाले सदस्यों को भीतर आने की अनुमति नहीं दी गई।
 
पार्टी सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में अरविंद केजरीवाल का खेमा यादव और भूषण को पार्टी से हटाने का प्रस्ताव पेश कर सकता है। दोनों पर आरोप है कि वे केजरीवाल को पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के पद से हटाने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि भूषण-यादव के खेमे ने कहा कि उन्हें पार्टी से हटाना आसान नहीं होगा। राष्ट्रीय परिषद की बैठक से पूर्व दोनों खेमों ने दावा किया कि उनके पास पर्याप्त संख्या में समर्थन है।
 
पार्टी के संविधान में कहा गया है कि सदस्य को अपनी बात रखने का मौका दिए बिना पार्टी उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती। आप के तीसरे सबसे महत्वपूर्ण अंग राष्ट्रीय परिषद में 350 से अधिक सदस्य हैं। इस बैठक में आप के विधायक और सांसद भी भाग लेंगे। रामदास ने इस पत्र में जिक्र किया कि उन्हें बैठक में भाग नहीं लेने को कहा गया क्योंकि ‘यह पार्टी का आंतरिक मामला है’ और ‘लोकपाल के कार्यकाल का राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अगली बैठक में नवीनीकरण किए जाने के संकेत पहले ही दिए गए थे।'
 
रामदास ने लिखा, गुप्ता ने यह भी लिखा कि इस बैठक के लिए राष्ट्रीय परिषद के अधिकृत सदस्यों के अलावा सिर्फ विधायकों और सांसदों को ही आमंत्रित किया गया है और ‘किसी भी अन्य व्यक्ति को आमंत्रित नहीं किया गया है।’ ‘इसलिए :हम: आपसे अनुरोध करते हैं कि किसी भी विवाद से बचने के लिए आप बैठक में न आएं।’ 
 
गौरतलब है कि यह मामला सामने आने से कुछ ही समय पहले आप के नेताओं के एक धड़े ने रामदास को पार्टी का लोकपाल बनाए रखने पर नाराजगी जताई थी।  पार्टी के इन नेताओं की नाराजगी पिछले माह रामदास द्वारा लिखे गए उस पत्र के कारण है, जिसमें उन्होंने नेतृत्व की आलोचना की थी। ‘आप’ की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था पीएसी (राजनीतिक मामलों की समिति) को 26 फरवरी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले पत्र लिखकर रामदास ने कहा था कि शीर्ष नेतृत्व के भीतर ही दो खेमे उभरकर आ रहे हैं। उन्होंने पार्टी से कहा था कि वह ‘एक व्यक्ति, एक पद’ की व्यवस्था पर गौर करे।
 
इस अनदेखी से नाराज रामदास ने कहा कि वह महाराष्ट्र स्थित अपने गांव से इस बैठक में शामिल होने के लिए आए थे। हालांकि वे पार्टी के अनुरोध का ‘सम्मान’ करते हुए बैठक में शामिल नहीं होंगे।  ‘मैं जानता हूं कि राष्ट्रीय परिषद पार्टी का आंतरिक मामला है। मैं यह भी जानता हूं कि पूर्व में पीएसी से लेकर एनईसी और एनसी तक सभी संस्थाओं में विशेष आमंत्रित जन: पर्यवेक्षकों को बुलाया जाता रहा है। लोकपाल के कार्यकाल के नवीकरण की जरूरत के संदर्भ में रोष व्यक्त करते हुए रामदास ने कहा कि पार्टी ने लोकपाल के रूप में उनके प्रारंभिक कार्यकाल को पहले ही बढ़ा दिया था, जब उनसे वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए नामांकन भरे जाने से पहले उत्तरप्रदेश और हरियाणा के उम्मीदवारों की पहचान एवं विश्वसनीयता की जांच करने के लिए कहा गया था। (भाषा)