राम तुम्हारा देश अब लगता है परदेस
राम तुम्हारा देश अब लगता है परदेस । अवधपुरी में चल रहे, मारक अध्यादेश॥उदासीन हैं मन के मालिकभ्रमित हुए हैं मतदाता, नेताओं ने पाल रखा हैगिरगिट से गहरा नाता।गंगा यमुना हुईं प्रदूषितरक्त सनी सरयूधारा, रोती है कश्मीर कुमारीसप्तसिन्धु है अंगारा।पुण्यभूमि के पुण्य निवासी,भोग रहे हैं क्लेश॥दशरथ ही पीढ़ी का आदरबाकी रहा किताबों में गुरु वशिष्ठ भी उलझ गए हैंहिकमत और हिसाबों में।मां सीता के दर्शन दुर्लभकौशल्याएं दुखियारीधूर्त मंथराओं की चालों सेगई हमारी मति मारीसत्य धर्म की मर्यादा ने,बदल लिया है वेश॥आज मस्त-सा जीवन जीनासमझा जाता बेमानीलखनलाल का शौर्य, समर्पणकहलाता है नादानी।सुग्रीवों की कमी नहीं हैकिन्तु बालि दल भारी है समझौतों का नाम दोस्तीऔर दोस्ती मक्कारी है।बदल गए हैं रिश्ते नाते, बदला है परिवेश॥हनुमान की सेवा निष्ठाआज मूर्खता कहलातीसच्चा सेवक वही कहलाताजिसकी फोटो छप जाती।वन कन्याएं बेची जातींअस्मत के बाजारों में,न्यायनीति जीवित है केवललगने वाले नारों में।सत्ताधारी बन जाते हैं,ब्रह्मा, विष्णु महेश॥ शबरी अब भी बेर बीनतीकेवट नाव चलाता हैहैं निषाद की आंखें गीलीस्वप्न भंग हो जाता है।नर से बढ़कर माना तुमने अपने वानर भालू को हम नारायण मान रहे हैंनेता आलू बालू को।बुद्धिमान को सुनना पड़ते, बुद्धू के उपदेश॥राम तुम्हारी मर्यादा काअब तो काम तमाम हुआतीर्थों की पटरानी दिल्लीसबका तीरथ धाम हुआ॥सब जनता के सेवक बनकरअपना घर भरते जातेएक साल संसद में रहकरजीवन भर पेंशन पाते।आम आदमी की किस्मत में, आश्वासन-संदेश॥