मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. »
  3. व्रत-त्योहार
  4. »
  5. राम नवमी
  6. राम तुम्हारा देश अब लगता है परदेस
Written By WD

राम तुम्हारा देश अब लगता है परदेस

Ram Navami | राम तुम्हारा देश अब लगता है परदेस
- डॉ. राजकुमार 'सुमित्र'
ND

राम तुम्हारा देश अब लगता है परदेस ।
अवधपुरी में चल रहे, मारक अध्यादेश॥

उदासीन हैं मन के मालिक
भ्रमित हुए हैं मतदाता,
नेताओं ने पाल रखा है
गिरगिट से गहरा नाता।

गंगा यमुना हुईं प्रदूषित
रक्त सनी सरयूधारा,
रोती है कश्मीर कुमारी
सप्तसिन्धु है अंगारा।

पुण्यभूमि के पुण्य निवासी,
भोग रहे हैं क्लेश

दशरथ ही पीढ़ी का आदर
बाकी रहा किताबों में
गुरु वशिष्ठ भी उलझ गए हैं
हिकमत और हिसाबों में।

मां सीता के दर्शन दुर्लभ
कौशल्याएं दुखियारी
धूर्त मंथराओं की चालों से
गई हमारी मति मारी
सत्य धर्म की मर्यादा ने,
बदल लिया है वेश

आज मस्त-सा जीवन जीना
समझा जाता बेमानी
लखनलाल का शौर्य, समर्पण
कहलाता है नादानी।

सुग्रीवों की कमी नहीं है
किन्तु बालि दल भारी है
समझौतों का नाम दोस्ती
और दोस्ती मक्कारी है।
बदल गए हैं रिश्ते नाते, बदला है परिवेश

हनुमान की सेवा निष्ठा
आज मूर्खता कहलाती
सच्चा सेवक वही कहलाता
जिसकी फोटो छप जाती।

वन कन्याएं बेची जातीं
अस्मत के बाजारों में,
न्यायनीति जीवित है केवल
लगने वाले नारों में।

सत्ताधारी बन जाते हैं,
ब्रह्मा, विष्णु महेश॥

शबरी अब भी बेर बीनती
केवट नाव चलाता है
हैं निषाद की आंखें गीली
स्वप्न भंग हो जाता है

नर से बढ़कर माना तुमने
अपने वानर भालू को
हम नारायण मान रहे हैं
नेता आलू बालू को।

बुद्धिमान को सुनना पड़ते, बुद्धू के उपदेश॥
राम तुम्हारी मर्यादा का
अब तो काम तमाम हुआ
तीर्थों की पटरानी दिल्ली
सबका तीरथ धाम हुआ॥

सब जनता के सेवक बनकर
अपना घर भरते जाते
एक साल संसद में रहकर
जीवन भर पेंशन पाते।

आम आदमी की किस्मत में,
आश्वासन-संदेश॥