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पीए संगमा : प्रोफाइल

पीए संगमा : प्रोफाइल - PA Sangma Hindi  profiles
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा की पहचान पूर्वोतर के तेजतर्रार नेता के रूप थी।  पीए संगमा ने अपने राजनीतिक करियर की  शुरुआत युवा कांग्रेस से की थी, लेकिन बाद में कांग्रेस का साथ छोड़ नई पार्टी बना ली थी।  संगमा का नई दिल्ली में 4 मार्च,  2016 को थोड़े समय की बीमारी के बाद निधन हो गया। 
जन्म और शिक्षा :  पीए संगमा का जन्म 1 सितंबर 1947 को पश्चिमी गारो पहाड़ी स्थित चपाथी गांव, मेघालय में हुआ था।  उनके पिता दिप्चोन च. मारक और माता चमीरी ए. संगमा थीं। शिलॉंग के सेंट एंथोनी कॉलेज से उन्होंने अपना ग्रेजूएशन पूरा किया।
 
राजनीतिक करियर : संगमा 1996 से 1998 तक लोकसभा के स्पीकर रहे और 1988 से 1990 तक मेघालय के मुख्यमंत्री भी  रहे। पीए संगमा ने नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को शुरू करने में सहयोग दिया था। वे आठ बार लोकसभा के सदस्य बने। 
 
पी ए संगमा, ममता बैनर्जी की पार्टी एआईटीएमसी/ टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) के सदस्य भी रहे। उन्होंने नेशनल पीपुल्स पार्टी  की नींव रखी, जिसका चिन्ह एक किताब था।  1973 में पीए संगमा, प्रदेश यूथ कांग्रेस के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए थे।

अगले वर्ष उन्हें मेघालय में ही महासचिव बना दिया  गया था। वर्ष 1977 में, वे तुरा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य के तौर पर चुने गए थे। पीए संगमा को 20 मई  1999 को कांग्रेस से निकाल दिया गया था क्योंकि उन्होंने शरद पवार और तारिक अनवर के साथ मिलकर सोनिया गांधी के  विदेशी होने पर भी पार्टी प्रमुख बनने का विरोध किया था। 
 
टूटा राष्ट्रपति बनने का सपना :  उन्होंने शरद पवार और तारिक अनवर के साथ मिलकर ही नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की नींव रखी।  बाद में शरद पवार की सोनिया गांधी से बढती नजदीकियों के चलते, संगमा पश्चिम बंगाल की उस समय की मुख्यमंत्री और टीएमसी की चीफ ममता बनर्जी के साथ हो गए। दोनों ने मिलकर नेशनलिस्ट त्रिनमूल कांग्रेस की स्थापना की।
 
संगमा के राष्ट्रपति पद की दावेदारी का समर्थन एआईएडीएमके, बीजेडी और बाद में बीजेपी ने भी किया था। उन्होंने वर्तमान  राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के खिलाफ इस पद के लिए दावेदारी की थी। प्रणब मुखर्जी की जीत के साथ, संगमा का राष्ट्रपति बनने  का सपना टूट गया। उनके दो बेटे और एक बेटी अगाथा संगमा हैं जो कि केन्द्र सरकार में राज्य मंत्री रह चुकी हैं।
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