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किरण बेदी : प्रोफाइल

किरण बेदी : प्रोफाइल - Kiran Bedi hindi profile
किरण बेदी एक सामाजिक कार्यकर्ता और रिटायर्ड आईपीएस हैं। वे पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल हैं। किरण बेदी ने 1972 में पुलिस सेवा में प्रवेश के बाद 2007 में सेवा से रिटायमेंट ले लिया था। 
वे लोकप्रिय टीवी सीरिज 'आप की कचहरी' की होस्ट भी रह चुकी हैं। 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में किरण बेदी भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री उम्मीदवार थीं। हालांकि इस चुनाव में भाजपा को मात्र तीन सीटें ही मिल पाईं। किरण बेदी भी कृष्णानगर से आम आदमी पार्टी के एकके बग्गा से हार गईं। उन्होंने दो गैर सरकारी संगठन भी बनाए हैं जिनमें से एक को नवज्योति इंडिया फाउंडेशन और दूसरे को इंडिया विजन फाउंडेशन के नाम से जाना जाता है। वे पुंड्डुचेरी की लेफ्निेंट गर्वनर हैं।
 
जन्म और शिक्षा : किरण बेदी का जन्म 9 जून, 1949 को अमृतसर पंजाब में हुआ था। वे प्रकाश पेशावरिया और प्रेम पेशावरिया की चार बेटियों में से दूसरे नंबर की हैं। उनकी तीन बहनें हैं जिनमें से शशि कनाडा में रहती हैं और एक कलाकार हैं। दूसरी बहन रीता क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और लेखक हैं जबकि तीसरी बहन अनु एक वकील हैं।
 
उन्होंने सैक्रेड हार्ट कन्वेंट स्कूल, अमृतसर से शिक्षा की शुरुआत की थी। बाद में वे छात्र जीवन में टेनिस खेलती रहीं और उन्होंने टेनिस में कई खिताब जीते। वे ऑल-‍एशियन टेनिस चैम्पियनशिप और एशियन लेडीज टाइटल विजेता रह चुकी हैं। 
 
वे इंग्लिश में बीए (ऑनर्स) होने के साथ-साथ पॉलिटिकल साइंस में एमए और कानून की स्नातक हैं। साथ ही, वे आईआईटी दिल्ली से डॉक्टरेट भी ले चुकी हैं। 1972 में उन्होंने एक कारोबारी बृज बेदी से विवाह किया था। तीन वर्ष बाद उनकी बेटी साइना पैदा हुई थी। वे दो साल के लिए खालसा कॉलेज फॉर वीमेन, अमृतसर में एक लेक्चरर रहीं और बाद में जुलाई 1972 में भारतीय पुलिस सेवा में भर्ती हुई थीं।
 
इंदिरा गांधी की कार को क्रेन से उठवा दिया : एक आईपीएस रहते हुए उन्होंने बहुत सारे महत्वपूर्ण काम किए। वे संयुक्त राष्ट्र पीसकीपिंग ऑपरेशन्स से भी जुड़ी रहीं और इसके लिए उन्हें मैडल भी दिया गया था।
 
किरण बेदी को क्रेन बेदी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि जब वे दिल्ली में ट्रैफिक में उच्च पदस्थ अधिकारी थीं तब उन्होंने तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की कार को क्रेन से उठवा लिया था और पार्किंग नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना भी लगाया था।
 
पुरस्कार और सम्मान : नवज्योति पुलिस सुधार के लिए और इंडिया विजन फाउंडेशन जेल सुधारों के लिए सक्रिय तौर पर काम कर रहे हैं। उन्हें 1994 में सरकारी सेवा के लिए रमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। हालांकि उन्हें और भी बहुत से पुरस्कार मिल चुके हैं।
 
उन्हें जेल प्रशासन में महत्वपूर्ण सुधार करने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने कैदियों के कल्याण के लिए तिहाड़ जेल में बहुत सारे सुधार किए जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें रमन मेगसेसे पुरस्कार के साथ साथ जवाहर लाल नेहरू फेलोशिप भी मिली थी। जेल सुधारों के लिए उन्हें 2005 में मानद डॉक्टरेट भी प्रदान की गई थी।
 
किरण बेदी अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर नशा करने वाले कैदियों के सुधार के लिए नशामुक्ति अभियान चलाया और अब उनके फाउंडेशन निरक्षरता और महिला सशक्तीकरण के लिए काम कर रहे हैं। वे इंडिया अगेंस्ट करप्शन की एक प्रमुख सदस्य रही हैं जिसने अण्णा हजारे और अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर जन लोकपाल के लिए आंदोलन किया था। वे और उनके साथी देश में मजबूत लोकपाल की नियुक्ति करने के लिए सरकार से आग्रह करते रहे हैं। 
 
जहां एक ओर उन्हें बहुत सारे पुरस्कार, प्रशंसा मिली है वहीं एक विदेशी कैदी को चिकित्सा सेवा उपलब्ध न कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी आलोचना की थी और उनके खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले की शुरुआत की थी। 1988 में बाधवा आयोग ने वकीलों पर लाठी चार्ज करवाने के लिए बेदी की आलोचना की थी।
 
बहुत सारे लोकप्रिय इंटरव्यूज शो के होस्ट करण थापर ने भी उनसे जुड़े विवादों को लेकर एक लेख लिखा था और इस कारण से वे थापर के एक इंटरव्यू शो में नहीं गई थीं। जन लोकपाल के लिए चल रहे आंदोलन के दौरान भी सरकारी और गैर सरकारी लोगों ने उनपर कट्‍टरपंथी होने का आरोप लगाया था। उन पर सांसदों का अपमान करने के भी आरोप लगे। 
 
किरण बेदी पर हवाई टिकट का बेजा किराया वसूलने और गलत तरीके से अपनी बेटी को एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश दिलाने का भी आरोप लगा। जिस कोटे के अंतर्गत उनकी बेटी को मेडीकल सीट मिली वह उत्तर-पूर्व के छात्रों के लिए था लेकिन उनका कहना था कि वे मिजोरम में सेवारत हैं इसलिए उनकी बेटी भी उत्तर पूर्व की है।
 
उन पर गैर-सरकारी संगठनों के फंड का दुरुपयोग करने का भी आरोप लग चुका है। उनके जीवन पर एक नॉन फिक्शन फीचर फिल्म भी बन चुकी है जिसका दुनिया भर में प्रदर्शन किया गया था। उन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनी जो कि बहुचर्चित हुई। किरण बेदी की कई जीवनियां भी बाजार में बिक रही हैं। खुद किरण बेदी ने कई पुस्तकें लिखी हैं जो चर्चित हुई हैं।
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