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अरविंद केजरीवाल : प्रोफाइल

अरविंद केजरीवाल : प्रोफाइल - Arvind Kejriwal's Hindi Profile
अरविंद केजरीवाल एक भारतीय राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे पहले भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में थे और बाद में नौकरी छोड़कर सामाजिक, राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ गए। उन्‍होंने दिल्‍ली में 3 बार मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित को हराकर बड़ी जीत हासिल की और मुख्‍यमंत्री बने।  
प्रारंभिक जीवन : अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा राज्य के हिसार जिले के सिवानी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम गोविंद और माता का नाम गीता केजरीवाल है। वे अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। उनका बचपन सोनीपत, मथुरा और हिसार में बीता। 
 
केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली और टाटा स्टील में काम करने के बाद 1992 में भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए। वे मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी, रामकृष्ण मिशन और नेहरू युवा केन्द्र से भी जुड़े रहे हैं। 2006 में जब वे आयकर विभाग में संयुक्त आयुक्त थे तब उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी। 
 
पारिवारिक पृष्‍ठभूमि : अरविंद यादव का विवाह सुनीता से हुआ जो खुद भी एक आईआरएस अधिकारी हैं। इनके दो बच्चे हैं, बेटी का नाम हर्षिता और बेटे का नाम पुलकित है। अरविंद केजरीवाल ने 'स्वराज' नामक एक पुस्तक भी लिखी है।
 
उपलब्धि : उन्हें 2006 में रमन मैगसेसे पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ गरीबतम आदमी का पक्ष मजबूत करने के लिए उसे सूचना का अधिकार देने का कानून बनवाया। 
 
वे एक एनजीओ 'साथी' से भी जुड़े हुए हैं। केजरीवाल ने ‍पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन नाम का एक गैर-सरकारी संगठन भी बनाया है। 24 नवंबर, 2012 को उन्होंने एक राजनीतिक पार्टी 'आम आदमी पार्टी' का गठन किया और उनका दावा है कि उनकी पार्टी का उद्देश्य स्वराज है। उन्हें इसके लिए देशभर से पुरस्कार और प्रोत्साहन मिला।
 
राजनीतिक जीवन : अरविंद केजरीवाल एक भारतीय राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे पहले भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में थे और बाद में नौकरी छोड़कर वे सामाजिक, राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ गए। 
 
वर्ष 1999 में जब वे सरकारी सेवा में थे, तभी उन्होंने परिवर्तन नामक आंदोलन चलाया, जिसके जरिए उन्होंने दिल्ली और आसपास के इलाकों में लोगों की मदद करने का लक्ष्य रखा। सूचना का अधिकार कानून बनाने के लिए उन्होंने अरुणा रॉय के साथ चुपचाप सामाजिक आंदोलन चलाया था। 
 
बाद में उन्होंने जनलोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे के साथ मिलकर अनशन किया और धरनों, प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। देशभर से उन्हें समर्थन मिला और उन्होंने प्रशांत भूषण, शांति भूषण, संतोष हेगड़े और किरण बेदी के साथ मिलकर जनलोकपाल के लिए आंदोलन चलाया, लेकिन यह आंदोलन सरकारी पेंतरेबाजी और राजनीतिक दलों की खींचतान के चलते आगे नहीं बढ़ सका। इसके लिए अन्ना हजारे और केजरीवाल जेल भी गए, अंतत: कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल सका। 
 
भारी विरोध और लंबे विचार-विमर्श के बाद संसद ने लोकपाल बिल का मसौदा बनाने के लिए तीन बिंदुओं पर विचार करने का प्रस्ताव पास किया। अरविंद केजरीवाल के साथ काम करने वाले हजारे और किरण बेदी ने जनलोकपाल के लिए किसी भी पार्टी से जुड़ने से इनकार कर दिया और दोनों ने खुद को केजरीवाल से अलग कर लिया और 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन' से जुड़े अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे केजरीवाल से दूर रहें। 
 
इसके बाद केजरीवाल राजनीति में सक्रिय हो गए और उन्होंने 2 अक्टूबर, 2012 को एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया और 24 नवंबर, 2012 को इसे आम आदमी पार्टी का नाम दिया। 
 
अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने से पहले एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तौर पर केजरीवाल ने रॉबर्ट वाड्रा, सलमान खुर्शीद, नितिन गडकरी, उद्योगपतियों और नेताओं के खिलाफ आरोप लगाए।
 
आम आदमी पार्टी के 45 वर्षीय नेता ने सामने से मोर्चा संभालकर गैर परंपरागत तरीके से अपनी मुहिम शुरू की और उनकी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर कांग्रेस के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया।
 
अरविंद केजरीवाल ने 'आप' को सत्ता में लाकर राजनीतिक सोच बदल दी। आम आदमी पार्टी (आप) की इस जीत से कार्यकर्ताओं की उस पार्टी ने उस व्यंग्य का एक मीठा-सा बदला ले लिया है जिसमें उसे कभी 'बेहद कमजोर' बताया गया था।
 
'आप' के एजेंडे में आम आदमी के हितों को केंद्र में रखते हुए केजरीवाल ने 3 बार मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित को हराया। बहुमत नहीं मिलने पर आम आदमी पार्टी को कांग्रेस ने समर्थन की पेशकश की और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में जनता से राय मांगकर पूछा कि उन्हें सरकार बनानी चाहिए या नहीं? 
 
सोशल मीडिया से लेकर गली-गली में सड़कों पर जनता से राय ली गई। इसमें करीब 75 प्रतिशत जनता ने कहा कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली में सरकार बनानी चाहिए। इस तरह अपने गठन के पहले ही साल में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सरकार बनाई और अरविंद केजरीवाल दिल्ली के 9वें मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री की शपथ के दौरान भी केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने वीआईपी सुविधाओं से दूर मेट्रो ट्रेन और बसों से रामलीला मैदान पहुंचकर शपथ ग्रहण की।
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