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Last Updated : मंगलवार, 21 अक्टूबर 2014 (13:10 IST)

एनआरआई कैसे करें दीपावली पूजन, जानिए विशेष प्रतीक चिह्न

एनआरआई कैसे करें दीपावली पूजन, जानिए विशेष प्रतीक चिह्न - एनआरआई कैसे करें दीपावली पूजन, जानिए विशेष प्रतीक चिह्न
विदेशों में बैठे भारतीयों को अक्सर त्योहारों का मौसम आरंभ होते ही भारत की याद सताने लगती है, क्योंकि जो पूजन-अर्चन का पावन वातावरण भारत में होता है वह विदेशी धरा पर नहीं मिल पाता। हालांकि विदेश में बसे भारतीय आपस में मिलकर अपना माहौल बना ही लेते हैं लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी धार्मिक व्यक्तियों को पूजन में आती है और वे इस कमी को महसूस भी करते हैं।


 

 
विदेश में बैठे भारतीयों के लिए प्रस्तुत है दीपावली पूजन के खास प्रतीक चिह्न। इन मंगल वस्तुओं को पूजन में शामिल करके आप आसानी से मां महालक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। 
 
आगे पढ़ें दीपावली पूजन के प्रतीक चिह्न  :- 
 

 

* दीपक : दीपावली के पूजन में दीपक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सिर्फ मिट्टी के दीपक का ही महत्व है।


 

इसमें पांच तत्व हैं मिट्टी, आकाश, जल, अग्नि और वायु। अतः प्रत्येक हिंदू अनुष्ठान में पंचतत्वों की उपस्थिति अनिवार्य होती है। कुछ लोग पारंपरिक दीपक की रोशनी को छोड़कर लाइट के दीपक या मोमबत्ती लगाते हैं जो कि उचित नहीं है।
 

 

* रंगोली : उत्सव-पर्व तथा अनेकानेक मांगलिक अवसरों पर रंगोली या मांडने से घर-आंगन को खूबसूरती के साथ सजाया जाता है।


 

यह सजावट ही समृद्धि के द्वार खोलती है। घर को साफ सुथरा करके आंगन व घर के बीच में और द्वार के सामने और रंगोली बनाई जाती है।
 
 

* कौड़ी : पीली कौड़ी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।


 

दीपावली के दिन चांदी और तांबे के सिक्के के साथ ही कौड़ी का पूजन भी महत्वपूर्ण माना गया है। पूजन के बाद एक-एक पीली कौड़ी को अलग-अलग लाल कपड़े में बांधकर घर में स्थित तिजोरी और जेब में रखने से धन समृद्धि बढ़ती है।
 
 

* तांबे का सिक्का : तांबे में सात्विक लहरें उत्पन्न करने की क्षमता अन्य धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है।


 

कलश में उठती हुई लहरें वातावरण में प्रवेश कर जाती हैं। यदि कलश में तांबे के पैसे डालते हैं, तो इससे घर में शांति और समृद्धि के द्वार खुलेंगे। देखने में ये उपाय छोटे से जरूर लगते हैं लेकिन इनका असर जबरदस्त होता है।
 
 

* मंगल कलश : भूमि पर कुंकू से अष्टदल कमल की आकृति बनाकर उस पर कलश रखा जाता है।


 

एक कांस्य, ताम्र, रजत या स्वर्ण कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रखा होता है। कलश पर कुंकूम, स्वस्तिक का चिह्न बनाकर, उसके गले पर मौली (नाड़ा) बांधी जाती है।
 
 

* श्रीयंत्र : धन और वैभव का प्रतीक लक्ष्मीजी का श्रीयंत्र। यह सर्वाधिक लोकप्रिय प्राचीन यंत्र है।


 

श्रीयंत्र धनागम के लिए जरूरी है। श्रीयंत्र यश और धन की देवी लक्ष्मी को आकर्षित करने वाला शक्तिशाली यंत्र है। दीपावली के दिन इसकी पूजा होना चाहिए।
 
 

* कमल और गेंदे के फूल : कमल और गेंदे के पुष्प को शांति, समृद्धि और मुक्ति का प्रतीक माना गया है।


 

सभी देवी-देवताओं की पूजा के अलावा घर की सजावट के लिए भी गेंदे के फूल की आवश्यकता लगती है। घर की सुंदरता, शांति और समृद्धि के लिए यह बेहद जरूरी है।
 
 

नैवेद्य और मीठे पकवान : 


 

लक्ष्मीजी को नैवद्य में फल, मिठाई, मेवा और पेठे के अलावा धानी, पताशे, चिरौंजी, शक्करपारे, गुझिया आदि का भोग लगाया जाता है। नैवेद्य और मीठे पकवान हमारे जीवन में मिठास या मधुरता घोलते हैं।