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प्रवासी कविता : स्वच्‍छता अभियान

प्रवासी कविता : स्वच्‍छता अभियान - swachh bharat abhiyan
- डॉ. कौशलकिशोर श्रीवास्तव


 
मैंने सुना है सात समुंदर पार से
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हुंकार
और व्यापक जनता का तात्कालिक उद्गार 
गांव-गांव और शहर-शहर में चल पड़ा है
स्वच्‍छ भारत का महाअभियान 
जो है स्वस्थ जीवन की मजबूत पतवार। 
 
इसकी झोली में शामिल हैं
नदियों की सफाई, प्रदूषण का निवारण
वातावरण का संरक्षण, वृक्षारोपण
और इनके प्रति व्यापक जन-जागरण।
 
जब गंगा नदी के पारदर्शी जल में
दिखेगी प्राचीन वाराणसी की तस्वीर
और होगी इसकी संकरी गलियों की धुलाई
तो स्वच्छता को मिलेगी नई जिंदगी
और दूर-दूर तक फैलेगी यह कहानी।
 
स्वच्छ के फैलाव में
फिर से दिखेगा त्रिवेणी का संगम
गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन
जिसकी बहती धारा में है अमृत का वरदान
जो हमें देता है आरोग्य दान।
 
जब साफ-सुथरे गांवों में दिखेंगे हरे-भरे वृक्ष
और सरोवरों में खिलेंगे कमल के फूल
तब स्वत: बजेगी कृष्ण की बांसुरी
और नाचेगी गोपियों के साथ राधा
स्वस्थ समाज में आएगी लक्ष्मी की डोली
और होगी प्रदूषण की विदाई।
 
यह अभियान शुरू होगा घर से
शौचालय के निर्माणों से
विद्यालय और बाजारों से
फिर यह फैलेगा भारत के आंचल में
दुनिया के कोने-कोने में।
 
साभार- गर्भनाल