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Written By ND

ऐसे नहीं चुने जाते अजूबे

ऐसे नहीं चुने जाते अजूबे -
विश्व के सात नए अजूबों को चुनने के लिए स्वीडन की संस्था न्यू 7 वंडर द्वारा दुनिया भर में बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है। दुनिया के 21 स्मारकों में से 7 का चयन होना है और इसमें भारत का ताजमहल भी शामिल है। 7 अजूबों के चयन का आधार बनाया जा रहा है इंटरनेट, टेलीफोन और एसएमएस को। कहा जा रहा है कि 'आपका एक वोट दिला सकता है ताज को सात अजूबों में स्थान'।

हकीकत यह है कि दुनिया के किसी भी स्मारक को प्रमाणित करने का अधिकार सिर्फ यूनेस्को के पास है। यूनेस्को की विश्व धरोहर चुनने की किसी भी प्रक्रिया में एसएमएस (जनमत) को कभी माध्यम नहीं बनाया गया और न आगे ऐसा कुछ किए जाने की घोषणा की गई है। यूनेस्को 1983 में ताजमहल को विश्व धरोहर घोषित कर चुका है। हाल ही में दिल्ली के लाल किले को भी यह दर्जा मिला है।

पहले भी घोषित हुए हैं अजूबे : इसके पहले भी कई निजी संस्थाओं द्वारा सात अजूबों की घोषणा की जाती रही है, लेकिन यूनेस्को ने ऐसे किसी भी संस्था की सूची को कभी मान्यता नहीं दी। 1998 में अमेरिकन सोसायटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स और अमेरिका के ही हिलमैन वंडर्स ने सात पर्यटक आश्चर्यों की सूची जारी की। सीएनएन भी सात प्राकृतिक आश्चर्यों की सूची जारी कर चुका है।

ऐसे चुनी जाती हैं विश्व धरोहर : यूनेस्को एक अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मोन्यूमेंट्स एंड साइट्स (आईसीओएमओएस यानी इकोमोस) द्वारा की गई सिफारिशों और सुझावों के आधार पर किसी स्मारक को विश्व धरोहर का दर्जा देता है। कई चरणों में होने वाली इस प्रक्रिया में करीब एक साल का वक्त लग जाता है।

चरण-1
हर साल एक फरवरी को पेरिस स्थित यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर में यूनेस्को की स्टेट पार्टीज द्वारा दुनिया के स्मारकों की एक सूची सौंपी जाती है। यूनेस्को के अधिकारियों द्वारा नामांकनों की पूरी जाँच-पड़ताल करके यह सूची 15 मार्च तक इकोमोस के हवाले कर दी जाती है।

चरण-2
यह सूची इकोमोस के अंतरराष्ट्रीय सचिवालय के पास आ जाती है। इसके बाद शुरू होता है विशेषज्ञों की नियुक्ति का सिलसिला, जो स्मारकों की प्रकृति और लोकप्रियता के बारे में अपने सुझाव देने का काम करते हैं। विशेषज्ञों की नियुक्ति के लिए इकोमोस दुनियाभर में फैले अपने नेटवर्क का इस्तेमाल करता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय होती है।

चरण-3
इकोमोस द्वारा चुने गए विशेषज्ञों के नेतृत्व में नामित स्मारकों की संख्या से दोगुने दल बनाए जाते हैं। प्रत्येक स्मारक के लिए परीक्षण और आकलन के लिए विशेषज्ञों के दो-दो दल जाते हैं।

पहला दल संबंधित स्मारक के वैश्विक महत्व के बारे में अपनी राय देता है। मूलतः यह लाइब्रेरी में बैठकर करने वाला काम होता है। स्मारक से संबंधित दस्तावेज, किताबें, अखबारों में प्रकाशित लेखों के आधार पर यह दल सुझाव देता है कि दुनिया में उसकी कितनी लोकप्रियता है।

दूसरा दल स्मारक के प्रबंधन, संरक्षण, विश्वसनीयता, प्राचीनता और पर्यटकों के आने के बारे में ऑन साइट निरीक्षण करता है। संबंधित स्मारक पर जाकर विशेषज्ञ गहन जाँच-पड़ताल करते हैं। यह दल अपना काम गोपनीय तरीके से करता है। कई बार ऐसे ऐतिहासिक स्थानों के प्रबंधकों या प्रशासकों से बातचीत भी की जाती है, लेकिन उन्हें पूछने का उद्देश्य नहीं बताया जाता है।

चरण-4
दूसरी ओर स्मारकों के बारे में इकोमोस कुछ अन्य विशेषज्ञ संस्थाओं की सलाह भी लेता है। जिनमें अंतरराष्ट्रीय औद्योगिक धरोहर संरक्षण समिति, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ लैंडस्केप आर्किटेक्ट और इंटरनेशनल कमेटी फॉर द डाक्यूमेंटेशन एंड कंजरवेशन ऑफ मोनूमेंट्स एंड साइट्स ऑफ द मॉडर्न मूवमेंट शामिल हैं।

चरण-5
दोनों ओर से रिपोर्ट सितंबर तक इकोमोस के पास आ जाती है। इकोमोस द्वारा दोनों रिपोर्ट के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसमें किसी स्मारक को विश्व धरोहर का दर्जा दिए जाने के संबंध में सिफारिशें होती हैं। इस पर इकोमोस के अधिकारियों की तीन-चार दिनों तक चर्चा होती है। इसमें आने वाले सुझावों के आधार पर रिपोर्ट में परिवर्तन कर यूनेस्को को सौंप दी जाती है।

यूनेस्को को सौंपी जाने वाली रिपोर्ट में इकोमोस या तो किसी स्मारक को विश्व विरासत का दर्जा देने की सिफारिश करती है या उसका नामांकन रद्द कर देती है। इकोमोस यदि किसी स्मारक की जानकारियों से संतुष्ट नहीं है, तो दोबारा विशेषज्ञों की सलाह लेती है। यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी की जून में होने वाली बैठक में स्मारकों को 'विश्व धरोहर' घोषित करने की मुहर लग जाती है।

प्राचीन काल के सात आश्चर्य : प्राचीन काल के विश्व के सात आश्चर्य मानव निमित स्मारक थे जिनका चयन 200 ईसापूर्व बैजंटियम के फिलोन ने किया था। उनका यह चयन एथेन्स निवासियों की यात्रा वृतांत पर आधारित था, जो उन्होंने भूमध्यसागर की यात्रा के दौरान उसके आसपास देखे थे। इन सभी का निर्माण 2500 ईपू से 200 ईपू के मध्य हुआ था। आज इनमें से केवल मिस्त्र के पिरामिड का ही अस्तित्व शेष है। उसने जो चयन किए वे थे-

1. मिस्र के पिरामिड, मिस्र
2. बेबीलोन का झूलता बगीचा, बेबीलोनिया
3. आर्टेमिस का मंदिर, यूनान
4. जीजस की प्रतिमा, यूनान
5. माउसोलस का मकबरा, यूनान
6. रोड्स कोलोसस, यूनान
7. अलेक्जेन्ड्रिया का प्रकाश स्तंभ, मिस्र

फर्जीवाड़ा बंद करें : ताजमहल की प्रतिष्ठा सुरक्षित रखने के लिए सेंटर फॉर हेरिटेज एंड आर्कियोएस्ट्रोनोमी ने जनहित याचिका दाखिल करने की धमकी दी है।

संस्था के संस्थापक सचिव एन.रघुनंदन कुमार ने ताज के लिए अनाधिकारिक अभियान पर कड़ी आपत्ति जताई है। कुमार ने कहा कि यूनेस्को पहले ही कह चुका है कि सात अजूबों के लिए बनाई जा रही सूची पूरी तरह से अवैधानिक है और वह निजी मामला है।