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Written By भाषा
Last Modified: कोलकाता , सोमवार, 25 अगस्त 2014 (20:26 IST)

घर नहीं गईं शर्मिला, मां से भी नहीं मिली...

घर नहीं गईं शर्मिला, मां से भी नहीं मिली... -
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कोलकाता। जेल से रिहा किए जाने के बावजूद सामाजिक कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला ने अपने घर नहीं जाने और अपनी मां से तब तक नहीं मिलने के अपने संकल्प को बरकरार रखने का फैसला किया है जब तक कि सरकार आफस्पा को समाप्त नहीं कर देती।

42 वर्षीय शर्मिला इंफाल स्थित सरकारी जवाहर लाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड हॉस्पिटल के बाहर एक अस्थाईआश्रय गृह में 14 साल से चल रहे अपने अनशन को जारी रखे हुए हैं। वहां पुलिस हिरासत में उन्हें जबरन नाक के जरिए तरल पदार्थ चढ़ाया जा रहा है। उनका घर जहां उनकी मां और भाई रहते हैं वह अस्पताल से कुछ ही मीटर की दूरी पर है।

शर्मिला ने भाई सिंघजीत ने कहा, लेकिन शर्मिला ने घर नहीं जाने और मां से तब तक नहीं मिलने का फैसला किया है जब तक कि कठोर सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को समाप्त करने की उनकी मांग को सरकार नहीं मान लेती है। शर्मिला हालांकि कल जेल में तब्दील किए गए अस्पताल से बाहर निकलने के बाद अपने बड़े भाई से मिल चुकी हैं। अदालत ने इससे पहले उन्हें आत्महत्या के प्रयास के आरोप से बरी कर दिया था।

सिंघजीत ने कहा, मेरी मां ने उनसे अनशन जारी रखने को कहा है। साथ ही कहा है कि मैं उससे तभी मिलूंगी जब उसका मिशन पूरा हो जाएगा। शर्मिला ने 5 नवंबर 2000 को अपना अनशन शुरू किया था।

उन्होंने घोषणा की थी कि भावनात्मक आवेग से बचने के लिए अनशन के दौरान वह अपनी मां से नहीं मिलेंगी। तब से वह अपनी मां से सिर्फ एकबार मिली हैं जब उनकी मां शखी देवी को उसी अस्पताल में साल 2009 में भर्ती कराया गया था। (भाषा)