शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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Written By अरविन्द शुक्ला

एक मुसलमान ने बनवाया माता का मंदिर

एक मुसलमान ने बनवाया माता का मंदिर -
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लखनऊ। लोकसभा के चुनाव सिर पर हैं। सभी राजनीतिक दल अपने चुनाव घोषणा पत्र भूलकर बस सांप्रदायिकता के नशे में चूर हैं, मानो देश में सांप्रदायिकता के सिवाय कोई दूसरा एजेंडा ही नहीं है। कड़वी और जहरबुझी बातें माहौल में घोली जा रही हैं किंतु इस सबसे अनजान पुराने लखनऊ के एक मुसलमान ने भाईचारे की मिसाल पेश की है।

नवाबों, बादशाहों के समय हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की चली आ रही परपंरा को निभाते हुए पुराने लखनऊ के बाजारखाला क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मोहल्ला मेंहदीगंज के रहने वाले एक मुसलमान शमीम हैदर (शम्मू भाई) ने मेंहदीगंज चौराहे पर न केवल अपने पैसों से मंदिर बनवाया बल्कि उसके निर्माण में श्रम करके हाथ बंटवाया और मंदिर में खुद पेंटिंग भी की। शम्मू भाई को मंदिर बनवाने के लिए कुछ क्षेत्रीय लोगों के विरोध का सामना भी करना पड़ा, परंतु उन्होंने अपना इरादा नहीं बदला और मंदिर बनवाकर ही दम लिया।

उल्लेखनीय है कि मेंहदीगंज चौराहे से कुछ ही दूरी पर इसी क्षेत्र में ऐतिहासिक शीतलादेवी माता का मंदिर भी स्थित है, जहां होली के 8वें दिन शीतला अष्टमी पर लखनऊ का मशहूर 'आठों का मेला' लगता है। इस अवसर पर सरकार की तरफ से स्थानीय अवकाश भी घोषित है।

गत 14 अप्रैल को इस मंदिर में मूर्ति की स्थापना पूरे विधि विधान-पूजन के साथ की गई जिसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया। रात तक चले इस भंडारे में आसपास के सैकड़ों लोगों ने भोजन (प्रसाद) ग्रहण किया।

इससे पूर्व दोपहर में गाजे-बाजे के साथ क्षेत्र में बारात (शोभायात्रा) भी निकाली गई जिसमें बैजनाथ वर्मा, ब्रह्मदत्त वाजपेयी, अजय वर्मा, संतोष बाजपेयी, अश्करी हैदर, मोहम्मद तामिल, नाजिर हुसैन, मदन, सुधीर, मेहताब हुसैन, लियाकत अली, अंसार अली, दानिश, राजकुमारी वर्मा, लक्ष्मी वर्मा, मीनाक्षी वर्मा, नीलू वर्मा, रुद्र, भूमि, नीलम साहू, रीता साहू, उर्मिला साहू, संतोषी, प्रीति साहू, रेखा साहू, चंद्रिका प्रसाद चौरसिया, भोले, दिलीप वर्मा, अशोक वर्मा, आनंद वर्मा, नवीन, अन्ना सहित बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे एवं बुजुर्ग शामिल हुए।

शोभायात्रा में कई झाकियां भी सजाई गई थीं। एक मुसलमान द्वारा मंदिर का निर्माण करवाकर उसमें मूर्ति की स्थापना करवाए जाने की पूरे क्षेत्र में व्यापक चर्चा है। कौमी एकता के लिए अपनी अलग पहचान रखने वाले नवाबों के शहर लखनऊ से मन को सुकून पहुंचाने वाली एक अच्छी खबर निकलकर आई है।

गोमती पार इलाके में अलीगंज के मशहूर पुराने हनुमान मंदिर को बहू बेगम द्वारा बनवाए जाने, पुराने लखनऊ के ऐतिहासिक शीतलामाता मंदिर के निर्माण में नवाब गाजीउद्दीन हैदर के सहयोग को लखनऊवासी जहां सदैव याद करते रहते हैं, वहीं लखनऊ के कई अन्य धार्मिक स्थलों के भी वजूद में आने में मुसलमान भाइयों के योगदान की तारीफ होती रहती है। वहीं आज के समय में भी ऐसे लोग गाहे-बगाहे निकलकर सामने आ जाते हैं, जो अपने कार्यों से अवध की तहजीब, आपसी भाईचारे को और मजबूत कर जाते हैं।

समाज में आज भी शमीम हैदर (शम्मू भाई) जैसे लोग मौजूद हैं, जो किसी के बहकावे में न आकर धर्म के आधार पर इंसान अथवा उसके धार्मिक स्थलों से भेदभाव नहीं करते हैं और जितना पवित्र अपने धर्म, मजहब व इबादतगाह को मानते हैं उतना ही दूसरे धर्म, मजहब व इबादतगाह को भी मानते हैं।

मंदिर निर्माण करवाकर समाज में हिन्दू-मुस्लिम एकता, भाईचारे की मिसाल पेश करने वाले शमीम हैदर कहते हैं कि आपस में भाईचारा इसी तरह मजबूत बना रहे, यही उनकी कोशिश है। उन्होंने बताया कि वर्षों से मेंहदीगंज चौराहे पर स्थित शीतलामाता के पदचिह्नों की लोग पूजा-अर्चना करते चले आ रहे थे।

शीतलामाता का यह स्थान खुले में होने एवं आवारा पशुओं के वहां घूमते रहने व इस पवित्र स्थान की ठीक प्रकार से देखरेख न होने से वे काफी दुखी थे और उन्होंने मन में ठान लिया था हिन्दू भाई जिस खुले स्थान पर पूजन-अर्चन करते हैं, वे उस जगह पर छोटा मंदिर बनवाएंगे और खुदा का शुक्र है कि वे इस नेक कार्य को अंजाम दे सके।