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Written By WD

जो वाराणसी को नहीं जानते, वहाँ की सियासत कर रहे हैं...

जो वाराणसी को नहीं जानते, वहाँ की सियासत कर रहे हैं... -
इंदौर। जो लोग वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित नहीं हैं वो क्या वाराणसी का प्रतिनिधित्व करेंगे? क्या वो कबीर को, बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई को उसकी गहराई से जानते हैं? वाराणसी एक शहर नहीं, संस्कृति है। ये बात वरिष्ठ पत्रकार सईद नकवी ने यहाँ इंदौर में कही। वे प्रतिष्ठित संस्था 'अभ्यास मंडल' द्वारा 'राजनीति और संस्कृति' विषय पर आयोजित व्याख्यान में बोल रहे थे।
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सईद नकवी ने नाम लिए बगैर मोदी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा की ये देश गंगा-जमुनी तहज़ीब का देश है। शायरों और कलाकारों ने इसे समृद्ध किया है। जायसी, रहीम, कबीर, राही मसूम रज़ा ये सब उसी परंपरा के वाहक हैं। आज की सियासत उसे तोड़ने का काम कर रही है। ये घातक है। आज के राजनेता देश के इतिहास को जाने पढ़े बगैर यहाँ राज करने की बात करते हैं।

नकवी ने ये भी कहा कि काशी के विश्वनाथ मंदिर के बाहर बनी मस्ज़िद भी उन्हें तकलीफ देती है, चुभती है और ये ग़लत है। उन्होंने तो ये चुनौती भी दी की क्या वे (मोदी) 2002 के दंगों में अहमदाबाद में तोड़ी गई मज़ार को दोबारा बनाने की हिम्मत दिखा सकते हैं? अगर ऐसा है तो मैं उन्हें मानने के लिए तैयार हूँ। बहुत सारे शेर, कबीर के दोहे, रसखान के पद और ग़ालिब की शायरी के ज़रिए अपनी बात रखते हुए सईद नकवी ने कट्टरवाद पर तीखे हमले किए। (वेबदुनिया न्यूज)