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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , सोमवार, 7 जनवरी 2013 (20:13 IST)

मोहन भागवत की तुलना अकबरुददीन ओवैसी से

मोहन भागवत की तुलना अकबरुददीन ओवैसी से -
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जदयू के एक नेता द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की तुलना एमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी से किए जाने पर भाजपा ने सोमवार को कड़ी आपत्ति जताई और मांग की कि जदयू संयम का परिचय दे।

जदयू महासचिव एवं प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने सोमवार को कहा कि भागवत और ओवैसी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उनसे भागवत की इस कथित टिप्पणी के बारे में पूछा गया था कि महिलाएं घर की देखभाल करने के लिए अपने पति के साथ बंधन में बंधी हैं।

तिवारी ने कहा कि यह आदिमानव वाली मानसिकता है। वे (संघ) प्राचीन काल को पुनर्जीवित कर रहे हैं। उनके (भागवत के) संगठन का दर्शन यह है कि ऊंची जाति के लोगों के साथ बैठने के लिए निचली जाति के लोगों को दंडित किया जाना चाहिए और यदि वह संस्कृत सुनता है तो उसके कानों में पिघला सीसा डाल देना चाहिए।

तिवारी की इस टिप्पणी की भाजपा और संघ ने आलोचना की। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने तिवारी के बयान पर गहरा अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि हम ऐसी निराधार, प्रमाणरहित और अभद्र टिप्पणी की निंदा करते हैं। ओवैसी की तुलना भागवत से करने संबंधी तिवारी की टिप्पणी निंदनीय है।

उन्होंने कहा कि संघ ने आदिवासियों, दलितों और महिलाओं के उन्नयन के लिए काफी सराहनीय काम किया है। जदयू को तिवारी से संयम बरतने को कहना चाहिए।


भाजपा का हिन्दुत्ववादी चेहरा उमा भारती ने भी तिवारी की आलोचना करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति ने दिमाग खो दिया हो, वही संघ प्रमुख की तुलना ओवैसी से कर सकता है। मुझे ऐसे लोगों पर दया आती है।

संघ नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि भागवत देशभक्त हैं, जबकि ओवैसी विश्वासघाती। ओवैसी ने आतंकवाद और हिंसा को जायज ठहराया है। जो लोग इस तरह की टिप्पणियां करते हैं उनका दिमागी इलाज बहुत जरूरी है।

प्रसाद ने कहा कि भाजपा और जदयू के संबंध 16 साल से भी अधिक लंबे हैं। हमने कई चुनाव मिलकर लड़े और हमारी बिहार में सरकार है। यही समय है कि तिवारी भाजपा और जदयू के लंबे संबंधों को समझें। भाजपा की नाराजगी इस वजह से भी है कि तिवारी ने इस प्रकरण में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को घसीटने की कोशिश की।

तिवारी ने कहा कि हम मोदी से भी पूछना चाहेंगे क्योंकि वे भी संघ से निकले हैं। मोदी बताएं कि क्या वे महिलाओं, दलितों, निचले तबके के लोगों और अल्पसंख्यकों के बारे में भागवत के विचारों का समर्थन करते हैं या नहीं। (भाषा)