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Written By WD
Last Modified: शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014 (11:25 IST)

महिलाएं क्यों मोदी से कभी नहीं शादी करना चाहेंगी?

महिलाएं क्यों मोदी से कभी नहीं शादी करना चाहेंगी? -
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महत्वपूर्ण खुलासा : मैंने करीब सौ महिलाओं से यह मूर्खतापूर्ण सवाल पूछा है : क्या आप नरेन्द्र मोदी से विवाह करेंगी? मैंने खुद से भी यह प्रश्न पूछा है (संभव है कि वह बूढ़ी महिलाओं को पसंद करते हों?)। लेकिन क्यों ? क्योंकि जब एक महिला एक आदमी में थोड़ी रुचि लेकर सोचती है तो वह आमतौर पर कुछेक निरर्थक सवालों को पूछती है, जैसे कि , क्या वह पति बनने लायक है? क्या मैं उसके साथ बच्चे पैदा करना पसंद करुंगी? क्या वह एक रखवाला साबित होगा?

मुंबई मिरर में शोभा डे ने लिखा है- इसका उम्र से कोई लेना-देना नहीं है। चूंकि यह बात मैं नमो के आकर्षण, सेक्स अपील की भारत की महिलाओं के संबंध में लिख रही हूं (जोकि महत्वपूर्ण मतदाता भी हैं), मैं इस सवाल को कैसे रोक सकती थी? इसलिए यहां इस जबर्दस्त विषय पर पहला नमूना पेश है:

नरेन्द्र मोदी - बहुत तेज आदमी हैं या एक बुद्धू ? नमो एक निश्चित तौर पर इस किस्म के व्यक्ति नहीं हैं जिन्हें आप अपनी मां से मिलाना चाहेंगे। वे आपकी मां को बहुत अधिक डरा सकते हैं। आप उन्हें अपने मित्रों से भी मिलाना नहीं चाहेंगे (यह एक जरूरी बात है कि गर्ल फ्रेंड्‍स को बॉय फ्रेंड्‍स, ‍पतियों के चयन को अपनी स्वीकृति देनी चाहिए। जहां तक इस व्यक्ति को पिताजी से मिलाने की बात हो तो हे राम, इसका भी कोई मौका नहीं है। आखिरकार पिता ‍बेटियों के जीवन में असल चौकीदार होते हैं। दूसरे को चुने?

अगले पन्ने पर चयन का दूसरा पैमाना...


चयन का दूसरा पैमाना: क्या नमो यात्रा के दौरान एक अच्छे साथी सिद्ध होंगे? यह बात भी संदिग्ध है। जब भी उन्हें पांच आदमी दिखेंगे वे भाषण देना शुरू कर देंगे। वे जिस तरह की साइट सीइंग में दिलचस्पी रखते होंगे तो यह एक्सप्रेसवे के हेलीकॉप्टर सर्वे तक सीमित हो सकती है। क्या नमो एक अच्छे श्रोता साबित हो सकते हैं (संभवत: यह ऐसा अकेला गुण है महिलाएं इसे पुरुषों में खोजती हैं)? इस सवाल का उत्तर होगा निश्चित तौर पर नहीं। मोदी को अपनी ही आवाज पसंद है। और वे किसी भी दूसरे मर्द या औरत की आवाज पसंद नहीं करते हैं।

इसके अलावा, वह बोलते नहीं हैं - वह गरजते हैं। लोगों से बात नहीं करते हैं वरन उन्हें सुनाते हैं। कोई भी महिला बोला जाना पसंद करती है। उनकी यह छवि बनती है कि उनके पास उसे सुनने के लिए ना तो धैर्य होगा और ना ही रुचि और वह इस तरह की बातचीत को अपने बहुमूल्य समय की पूरी तरह से बर्बादी समझेंगे। वास्तव में अगर महिला बहुत अधिक भावुक होकर उनके सामने लार ही ना टपका रही हो। मोदी घमंडी और उपेक्षापूर्ण लगते हैं, अपने आपमें खोए और अपने बारे में बहुत ही उंची राय रखने वाले।

युवा महिलाएं प्रशंसा और अभिनंदन पसंद करती हैं। ठीक ऐसा ही पुरुषों में भी होता है। पर मोदी हमेशा ही अपनी ही पीठ ठोकने की स्थिति में रहते हैं और कोई उनसे भले ही दो फीट की दूर पर बैठा हो, उससे वे आंख मिलाना भी शायद ही पसंद करते हों। मोदी को देखकर ऐसी धारणा बनती है कि अपने ही आप से प्रेम में पागल हैं।

मोदी के बारे में सब कुछ नकारात्मक नहीं... अगले पन्ने पर...


अब इसे थोड़ा सा संतुलित कर दें, मुझे कहने दें कि मोदी के बारे में सभी कुछ पूरी तरह से नकारात्मक नहीं है। ऐसी भी महिलाएं हैं जो कि गुफा मानवों की भी प्रशंसा कर सकती हैं। ऐसी भी महिलाएं हो सकती हैं जोकि मोदी को पुराने अर्थों में 'मर्द' न समझें-याद रखिए कि उनके पास प्रभावी 56 इंच का सीना है (जोकि अब सिकुड़कर 44 इंच रह गया है) हालांकि यह बात ऐसी नहीं हो कि 'मैं टार्जन, तुम जेन' की पटकथा का रुपांतर हो, कुछ महिलाएं मान सकती हैं कि नमो मर्द की मजबूती के नमूने हैं-वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जोकि निश्चित तौर पर मर्दानी चिंताओं पर जोर देते हैं और मेट्रोसेक्सुअलिटी की तनिक भी चिंता नहीं करते हैं। वास्तव में मेरी चिंता यह है कि वे किसी भी तरह की सेक्सुअलिटी (कामुकता) में कोई दिलचस्पी नहीं रखते हैं।

यह कामुकता मेट्रो हो, नई उमर की हो या अन्य किसी भी तरह की उनके लिए ताकत ही सेक्स है। इस तरह की स्थिति में एक महिला के लिए जगह की कहां बचती है? कुछ महिलाओं इस बात पर जोर दे सकती हैं कि एक आदमी को पाना राहत की बात है जोकि किसी तरह की कामुक सिरहन पैदा नहीं करता हो। यह अच्छी बात है लेकिन किसी तरह की कोई सिरहन पैदा न करना भी अच्छी बात नहीं है ना? वह फिर एक बार कहते हैं कि शादी उनके लिए नहीं है।

इस बात पर कोई ध्यान न दें कि जिस पत्नी को उन्होंने 17 वर्ष की उम्र में छोड़ दिया हो, जसोदाबेन इस बारे में कुछ भी सोचती हो। उनके अकेलेपन का अर्थ है कि वे संत की बराबरी करते हैं और इसका मतलब है कि वे पूरी तरह ईमानदार हैं हालांकि यह तक विचित्र लग सकता है। फिर भी हाल ही में उन्होंने कहा है कि कोई पत्नी नहीं, कोई परिवार नहीं का अर्थ है कि आपको सम्पत्ति इकट्‍ठा करने करने का कोई लालच नहीं है। जोकि अंत में भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से रोक लगा सकता है। यह उनका एक और विचित्र बयान है और यह उन्हें एक ऐसा अजीब आदमी बनाता है जोकि हमारे समय के साथ तालमेल नहीं रखता है।

कोई महिला श्रीमती गब्बर सिंह बनना पसंद नहीं करेगी...


सॉरी, लेकिन नमो पूरी तरह से ''मैं तेरा हीरो'' के अर्थ में भी पूरी तरह फिट नहीं बैठते हैं। वास्तव में, मेरा मतलब उनके शारीरिक डीलडौल से नहीं है। यह बात उनके विचित्र कुर्ता के बारे में भी नहीं है जोकि उनके शरीर के मध्यभाग से उदारतापूर्वक नीचे आता है। यह ऐसी किसी भी बात के बारे में नहीं है।

पंद्रह वर्ष पहले राजनीतिक क्षेत्रों से बाहर किसी भी व्यक्ति ने नरेन्द्र मोदी का नाम नहीं सुना होगा। लेकिन जब वे प्रसिद्ध हो गए तो यह प्रसिद्धि भी गोधरा समेत सभी गलत कारणों से नहीं थी। पिछले दो वर्षों में ही मोदी ने खुद को मजबूती से स्थापित किया है और घर-घर में प्रचलित नाम बन गए। लेकिन यहां एक फांस भी है। उन्हें जितना प्यार किया जाता है उससे कहीं ज्यादा डरा जाता है। उनकी जितनी इज्जत नहीं की जाती उससे ज्यादा उनकी प्रशंसा की जाती है।

महिलाएं धौंस जमाने वाले, तानाशाह, स्वेच्छाचारी और अहंवादी व्यक्तियों से घृणा करती हैं। दुर्भाग्य की बात है कि मोदी इस तरह की बुरी श्रेणी में आते हैं। इसलिए हम इस बारे में ईमानदारी से बात करें- हालांकि हम भावनात्मक लोग हैं। हम विशेष रूप से प्रेम कहानियों का सुखद अंत पसंद करते हैं। अगर नरेन्द्र मोदी को बॉलीवुड की एक मशहूर‍ फिल्म में किसी रोल के लिए चुना जाता तो वे किस भूमिका को अच्छी तरह से निभा सकते थे। आगे बढि़ए और अपने आप से पूछिए कि वे 'शोले' में गब्बर सिंह बनते या बीरू बनते ? इस प्रश्न का उत्तर पूरी तरह से स्पष्ट है। और सही दिल दिमाग रखने वाली कोई महिला श्रीमती गब्बर सिंह बनना पसंद नहीं करेगी।