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Written By वार्ता
Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 27 जुलाई 2014 (12:01 IST)

भारतीय वायुसेना के लिए नायाब तोहफा 'ग्लोबमास्टर'

भारतीय वायुसेना के लिए नायाब तोहफा ''ग्लोबमास्टर'' -
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होने के लिए सोमवार को जब छठा विशालकाय परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर यहां उतरेगा तो उसके आंचल में भारत के लिए एक नायाब तोहफा होगा।

इस विमान के गर्भ से पालम हवाई अड्डे पर वह विमान प्रकट होगा जिसे भारतीय वायुसेना के पायलट कभी 1950 के दशक में उड़ाकर प्रशिक्षण लिया करते थे, वहीं टी-6जी हार्वड प्रशिक्षण विमान अब पूरी ऐतिहासिक शानो-शौकत के साथ जीर्णोद्धार के बार भारत पहुंच रहा है।

वायुसेना ने अतीत की यादों को संजोने के लिए अपने पहले प्रशिक्षण विमान टाइगर मोथ के बाद 50 के दशक के टी-6जी का ब्रिटेन में रिफ्लाइट एयरवर्क्स से नया रूप दिलवाया है और अब यह विमान उड़ान भरने की स्थिति में आ गया है।

अमेरिका की बोइंग कंपनी से भारतीय वायुसेना ने 10 ग्लोबमास्टर विमान खरीदे हैं जिनमें से 6ठा विमान वहां से रवाना हो चुका है और रास्ते में यह ब्रिटेन रुकते हुए भारतीय वायुसेना के इतिहास की कीमती धरोहर को ला रहा है।

वायुसेना के पहले प्रशिक्षण विमान को भी ब्रिटेन में नया रूप दिया गया और पिछले साल वायुसेना दिवस पर उस खूबसूरत विमान ने हिंडन में उड़ान भरकर सबका दिल जीत लिया था। अबकी बार 8 अक्टूबर की परेड में टी-6 जी उसी शान से उड़ान भरेगा।

वायुसेना ने सामरिक परिवहन क्षमता को मजबूत करने के लिए अमेरिका से 4 अरब 10 करोड़ डॉलर की लागत से 10 सी-17 विमान लिए हैं। इनमें से 5 विमान हिंडन में स्काई लॉर्ड्स स्क्वॉड्रन में शामिल हो चुके हैं।

भारतीय वायुसेना अपने इतिहास को सुरक्षित रखने के लिए 8 अक्टूबर 1932 को अपनी स्थापना के बाद से इस्तेमाल किए गए पुराने विमानों को उड़ान की स्थिति में लाकर एक विंटेज फ्लाइट स्क्वाड्रन बना रही है। टी-6जी विमान को उसी में शामिल किया जाएगा।

वायुसेना की योजना स्पिटफायर, वैम्पायर, वापिती और हरिकेन विमानों का भी जीर्णोद्धार करने की है। दुनियाभर की वायुसेनाएं अपने पुराने विमानों को नया रूप देकर इतिहास संजोती रही हैं और भारतीय वायुसेना ने उसी नक्शेकदम पर चलते हुए विंटेज स्क्वाड्रन गठित किया है। (वार्ता)