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Written By WD

भक्तों की सांसों से पिघल रहा है हिमलिंग

-सुरेश एस डुग्गर

भक्तों की सांसों से पिघल रहा है हिमलिंग -
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श्रीनगर। भक्तों के सांसों की गर्मी से तेजी से पिघलता अमरनाथ यात्रा का प्रतीक हिमलिंग विवाद का मुद्दा बनता जा रहा है।

अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने इसके पिघलने की प्रक्रिया से पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि यह प्राकृतिक प्रक्रिया है, पर कश्मीर के पर्यावरणविद इसे मानने को तैयार नहीं हैं जिनका कहना था कि क्षमता से अधिक श्रद्धालुओं को यात्रा में शामिल होने की अनुमति देने से ऐसा हुआ है।

जिस तेजी से हिमलिंग पिघल रहा है वह कुछ दिनों के बाद बमुश्किल से ही दिख पाएगा। गुफा में क्षमता से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने से हिमलिंग को नुक्सान पहुंच रहा है, क्योंकि लाखों भक्तों की गर्म सांसों को हिमलिंग सहन नहीं कर पा रहा है।

श्राइन बोर्ड के अधिकारी अप्रत्यक्ष तौर पर भक्तों की सांसों की थ्योरी को मानते हैं, पर प्रत्यक्ष तौर पर वे इसे कुदरती प्रक्रिया करार देते थे।

श्राइन बोर्ड के अधिकारी कहते थे कि ग्लोबल वार्मिंग भी इसे प्रभावित कर रही है। वे इससे इंकार करते थे कि गुफा में क्षमता से अधिक श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

वर्ष 1996 के अमरनाथ हादसे के बाद नितिन सेनगुप्ता कमेटी की सिफारिश थी कि 75 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को यात्रा में शामिल न होने दिया जाए, पर ऐसा कभी नहीं हो पाया।

पिछले साल तो मात्र 2 ही दिनों में 75 हजार ने हिमलिंग के दर्शन कर रिकॉर्ड बनाया था, तो इस बार 29 दिनों में साढ़े 3 लाख श्रद्धालु गुफा में पहुंचे हैं।

इस पर पर्यावरणविद खफा हैं। वे कहते हैं कि यात्रियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि न सिर्फ हिमलिंग को पिघलाने में अहम भूमिका निभा रही है, यात्रा मार्ग के पहाड़ों के पर्यावरण को भी जबरदस्त क्षति पहुंचा रही है।

यात्रा शुरू होने के बाद भक्तों के अलावा गुफा के आस-पास बड़ी तादाद में सुरक्षाकर्मी भी मौजूद हैं। भारी भीड़ की वजह से अमरनाथ गुफा के आसपास का तापमान और बहुत बढ़ गया है, हालांकि श्राइन बोर्ड ने दावा किया था कि पिछले 2-3 साल में उन्होंने कुछ ऐसे उपाय किए हैं जिससे गुफा तापमान न बढ़े।

जब 28 जून को बाबा बर्फानी ने पहली बार दर्शन दिए थे, तब शिवलिंग का आकार 20 फुट का था और धीरे-धीरे वह अब 2-4 फुट का रह गया है। ये पहला मौका नहीं है जब बाबा बर्फानी पहली बार अपने भक्तों से रूठते जा रहे हों, इससे पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है। दर्शन करके लौटते भक्त बताते हैं कि महादेव का धीरे-धीरे यूं अंतर्ध्यान होना उनकी क्रोधलीला है।

कब-कब अंतर्ध्यान हुए हैं बाबा बर्फानी? अगले पन्ने पर...



* 2013 में 16 फुट से बाबा बर्फानी 7 फुट के ही रह गए।

* 2012 में शिवलिंग का आकार 22 फुट से घटकर 12 फुट हो गया था।

* 2011 में 16 फुट के बाबा बर्फानी ने दर्शन दिए थे, जो महज 5 दिनों में 4 फुट तक पिघल गए थे।

* 2010 में 12 फुट के शिवलिंग का आकार पिघलकर पहले 6 फुट हुआ और बाद में 3 फुट हो गया था।