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Written By भाषा
Last Modified: शनिवार, 19 अक्टूबर 2013 (00:04 IST)

परिवर्तन का चक्रवात 'फैलिन' से ज्यादा असरकारक होगा- नरेन्द्र मोदी

परिवर्तन का चक्रवात ''फैलिन'' से ज्यादा असरकारक होगा- नरेन्द्र मोदी -
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चेन्नई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत में 'परिवर्तन के चक्रवात' का असर हाल ही में ओड़िशा और आंध्रप्रदेश में आए चक्रवाती तूफान 'फैलिन' से ज्यादा होगा।

मोदी ने यहां एकत्र हुए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि तमिलनाडु 'परिवर्तन की लहर' का एक हिस्सा रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि दक्षिण भारत के लोग भी कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देख रहे हैं।

मोदी ने तिरुचिरापल्ली की सभा में भारी भीड़ होने का उल्लेख करते हुए कहा कि तमिलनाडु भी इस परिवर्तन का हिस्सा होगा। मोदी ने कहा कि यदि भाजपा केन्द्र में सत्ता में आई तो तमिलनाडु सबसे विकसित राज्य होगा।

खुदाई से भारत की जग हंसाई : उन्होंने उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा एक हजार टन सोने की खोज के लिए की जा रही जमीन खुदाई की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि पूरी कवायद से भारत की जग हंसाई हो रही है। मोदी ने कहा कि यदि विदेशों मे जमा भारतीयों के धन को वापस ले आया जाए तो सोने के लिए खुदाई की जरूरत न पड़ेगी।

साहसी विदेश नीति की वकालत : संप्रग सरकार की विदेश नीति को ‘उपहासजनक’ और दिल्ली केंद्रित करार देते हुए मोदी ने ऐसी ठोस विदेश नीति की वकालत की जिसमें राज्य भी शामिल हों।

मोदी ने यहां ‘भारत और दुनिया’ विषय पर नानी पालखीवाला स्मृति व्याख्यान में कहा, ‘वर्तमान विदेश नीति कोई नीति नहीं बल्कि ‘मजाक’ है। यह बदली जानी चाहिए। हमें इस काम को गंभीरता से लेना है।’ उन्होंने कहा कि विशाल होने के बाद भी यह देश इस क्षेत्र के अन्य देशों पर असर नहीं डाल पाता है क्योंकि गंभीरता की कमी है और राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है।

उन्होंने कहा कि भारत बस दिल्ली नहीं है। विदेश नीति जनता द्वारा न कि दिल्ली में बैठे कुछ नेताओं द्वारा तय होनी चाहिए।'

मोदी ने कहा, ‘क्या (विदेश नीति में) राज्यों की भूमिका नहीं है।’ उन्होंने कहा कि अन्य शहरों में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हो सकते हैं जैसा कि राजग शासन काल में हुआ जब पाकिस्तान के नेतृत्व की आगरा और शिमला में वार्ता के लिए मेजबानी की गई।

विदेश नीति पर मोदी की टिप्पणी काफी मायने रखती है क्योंकि तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के सत्तारुढ़ दल क्रमश: अन्नाद्रमुक और तृणमूल कांग्रेस ने हाल के वर्षों में श्रीलंका और बांग्लादेश को लेकर भारत की नीति पर असर डालने की कोशिश की है। (भाषा)