गुरुवार, 18 अप्रैल 2024
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Written By WD

धार्मिक कट्टरता, आतंकवाद से भारत चिंतित

-शोभना जैन

धार्मिक कट्टरता, आतंकवाद से भारत चिंतित -
नई दिल्ली (वीएनआई)। भारत ने आज अरब जगत के साथ सदियों पुराने रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाने की स्पष्ट प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए इस क्षेत्र के कुछ देशों में धार्मिक कट्टरपन, उग्रवाद तथा आतंकवाद बढ़ने तथा इस सबके वहां क्षेत्रीय स्थिरता पर फैलने वाले प्रभाव पर गहरी चिंता जताई लेकिन साथ ही उसने कहा कि भारत सदैव अरब देशों को समर्थन व सहायता देने को तैयार है लेकिन उसका दृढ़ मत है कि अरब देशों को बिना किसी बाहरी दखलंदाजी या बाहरी फरमान के अपने भाग्य का फैसला खुद ही करना होगा।
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भारत ने एक बार फिर कहा कि फिलीस्तीनी मसले पर तीव्र समर्थन के साथ-साथ इसराइल के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने की उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज (गुरुवार को) राजधानी में पहले भारत-अरब लीग राष्ट्र मीडिया संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए यह घोषणा की।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार क्षेत्र के सभी देशों के साथ, सभी के आपसी लाभ के लिए रिश्ते मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस मकसद को पूरा करने के लिए हमें एक- दूसरे की स्थितियां तथा संवेदनाएं समझने की पूरी समझबूझ से कोशिशें करनी होंगी।

विदेश मंत्री ने कहा कि अरब जगत के विभिन्न देशों के चुनौतीपूर्ण तथा निरंतर बदलाव के इस दौर में सकारात्मक बातचीत की जितनी ज्यादा जरूरत आज है, शायद उतनी पहले कभी नहीं रही। भारत तथा अरब राष्ट्र कोई नए मित्र अथवा नए साझीदार नहीं हैं बल्कि हमारे रिश्ते सदियों पुराने हैं। भारत सरकार सदियों पुराने इन रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रीय विकास के लक्ष्यों के साथ-साथ क्षेत्रीय शांति व स्थिरता के लिए ये संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने कहा कि भारत अरब देशों के मौजूदा घटनाक्रम (अरब स्प्रिंग के बाद के घटनाक्रम) को बहुत ध्यानपूर्वक देख रहा है। भारत निरंतर अपनी उसी नीति का पालन कर रहा है, जो कि गैर दखलंदाजी तथा किसी को सही-गलत नहीं ठहराने के सिद्धांतों पर आधारित है। लेकिन उसका दृढ़ मत है कि अरब देशों को बिना किसी बाहरी दखलंदाज़ी या बाहरी फरमान के अपने भाग्य का फैसला खुद ही करना होगा।

विदेश मंत्री ने इस क्षेत्र की चर्चा करते हुए कहा कि अरब जगत का पुराना साथी होने के नाते भारत उन देशों की स्थिरता को लेकर चिंतित है, जहां आतंकवाद व धार्मिक कट्टरता सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर रहे हैं। वह चिंतित है इस बात से कि इन सबका क्षेत्रीय स्थिरता पर असर फैल रहा है। यह चिंता बहुत स्वाभाविक भी है, क्योंकि हम दोनों के भाग्य कई तरह से एक-दूसरे से जुड़े हैं।

निश्चित तौर पर हमारे राष्ट्रीय व ऊर्जा हित महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सबसे अहम है इंसानी रिश्ते। उन्होंने कहा कि मोर्सुल में 40 निर्दोष भारतीयों को अभी तक बंधक बनाए रखने और सोमालिया में समुद्री लुटेरों द्वारा 7 भारतीय कर्मियों को लंबे वक्त से बंधक बनाए जाने से निश्चय ही आम भारतीय भी इस क्षेत्रीय अस्थिरता से प्रभावित हुआ है।

इसराइल-गाजा संघर्ष की चर्चा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर भारत की नीति को लेकर किसी प्रकार के भ्रम या गलतफहमी की कोई गुंजाइश ही नहीं है। हालांकि मीडिया के कुछ वर्गों में इसे लेकर परस्पर विरोधी व्याख्याएं चलीं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि मैं एक बार फिर दोहराना चाहती हूं कि फिलीस्तीन मसले पर तीव्र समर्थन के साथ-साथ इसराइल के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने की भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं है। साथ ही भारत गाजा में बड़ी संख्या में निर्दोष नागरिकों के मारे जाने पर बहुत चिंतित है।

उसने दोनों ही पक्षों से अत्यधिक संयम बरतने तथा फिलीस्तीन मुद्दे का व्यापक समाधान खोजने की दिशा में प्रयास किए जाने पर बल दिया है। भारत अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा द्विपक्षीय स्तर पर इस मसले पर जमकर राजनीतिक समर्थन देने के अलावा फिलीस्तीन तथा उसकी जनता को आर्थिक तथा विकास कार्यों के लिए सहायता देता रहा है।

भारत के पश्चिम एशिया के साथ संबंधों की चर्चा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र तथा भारत के बीच संबंध काफी बढ़े हैं, लेकिन संबंधों के विस्तार की अब भी अपार संभावनाएं हैं। अगर सभी अरब देशों को मिला दिया जाए तो अरब जगत भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है।

उन्होंने कहा कि 2012-13 में 180 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। यह क्षेत्र हमारे राष्ट्रीय हितों के लिए बहुत अहम है। यह क्षेत्र हमारी ऊर्जा सुरक्षा का मजबूत स्तंभ है, हमारी तेल तथा गैस जरूरतों का 60 प्रतिशत यही क्षेत्र पूरा करता है, लगभग 70 लाख प्रवासी भारतीय यहां काम करते हैं। भारत इनकी जन्मभूमि है तो खाड़ी देश इनकी कर्मभूमि। और इन लोगों ने दोनों को और करीब से जोड़ा है। ये लोग दोनों के बीच पुल हैं। वहां से ये लोग सालाना लगभग 40 अरब डॉलर भारत में अपने घरों को भेजते हैं।

भारत तथा अरब जगत के बीच सदियों पुराने भावनात्मक रिश्तों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अरब सागर दोनों देशों के तट चूमता है। मशहूर अरब विद्वान अल- बरूनी ने भारत-अरब सांस्कृतिक रिश्तों का इतिहास लिखा। अरब संस्कृति तथा विचारों पर भारतीय प्रभाव की बाबत लिखा। मुझे बताया गया है कि अरब के कई जाने-माने घरानों के उपनाम अल-हिन्दी है। अनेक अरब महिलाओं में 'हिन्दी' नाम बहुत लोकप्रिय है। भारत ने अपनी खरीफ तथा रबी फसलों के नाम भी शायद अरब शब्दावली से ही किए है।

8वीं सदी में भारत के संस्कृत ग्रंथ 'सूर्य सिद्धांत' से अरब जगत में खगोल विद्या आई। भारतीय फिल्में, खानपान, संगीत वहां बहुत लोकप्रिय हैं। शिक्षा के लिए भारत उनका एक पसंदीदा स्थल है।

महात्मा गांधी जब 1931 में गोलमेज सम्मेलन से वापस स्वेज नहर के रास्ते लौट रहे थे तो मिस्र के मशहूर कवि अहमद शौकी ने उनकी शान में कविता लिखी।

विदेश मंत्री ने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के पत्रकारों के बीच के इस संवाद से दोनों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान का एक मजबूत पुल बनेगा जिससे आपसी समझ-बूझ और बढ़ेगी, गहरी होगी।

गौरतलब है कि विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में अरब लीग के 16 राष्ट्रों के पत्रकार तथा अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। मकसद है इस तरह के द्विपक्षीय विचार-विमर्श से आपसी समझ-बूझ तथा आपसी सहयोग बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा सकें।