शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
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Written By WD

ओबामा को भारतीय खाना लगता है 'बेहद दिलकश'

-शोभना, अनुपमा जैन

ओबामा को भारतीय खाना लगता है ''बेहद दिलकश'' -
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नई दिल्ली। सुदूर अमेरिका में भारतीय व्यंजनों की सोंधी खुशबू से महकता कक्ष और भारतीय साज-सज्जा से सजी मेज पर परोसे गए स्वादिष्ट भारतीय व्यंजन खाते अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा और उनकी पत्‍नी मिशेल, खाना खाते ही राष्ट्रपति ने इन व्यंजनों को बनाने वाले भारतीय मूल के मास्टर शेफ विकास खन्ना की ओर तृप्त भाव से देखते हुए कहा, भारतीय खाना बेहद दिलक़श होता है। यह सुनकर मास्टर शेफ विकास खन्ना के चेहरे की मुस्कराहाट और ज़्यादा चौड़ी हो गई।

दरअसल कूटनीति सिर्फ बंद कमरों में होने वाली बोझिल मंत्रणा ही नहीं बल्कि पेट के ज़रिए दिलों तक उतरने की कला भी है। आज ज़माना है दुनियाभर में तेज़ी से छा रहे भारतीय व्यंजनों और तेज़ी से बढ़ते उनके कद्रदानों का। चमड़ी का रंग चाहे कुछ भी हो, भारतीय व्यंजनों की खुशबू और उसके अन्दर का प्रेम इन्हे खींच रहा है। सुदूर दक्षिण कोरिया हो, इसराइल, ब्रूनेई, अफ्रीकी देश हों, चाहे खाड़ी देश, यूरोप या ऑस्ट्रेलिया, भारतीय खानपान हर आम और खास को भा रहा है।

दरअसल हिन्दुस्तानी खाना सिर्फ लज़ीज़ ही नहीं बल्कि उसके साथ-साथ मिलजुलकर प्रेमभाव से काम करने और बांटकर खाने की 'सांझा चूल्हा' संस्कृति है। शायद इसीलिए भारत सरकार भारतीय 'खानपान डिप्लोमेंसी' को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दे रही है और इसी के तहत भारतीय राजनयिक दुनियाभर के लोगों तथा राजनेताओं के दिलों तक पहुंचने के लिए भारतीय खानपान को भी कूटनीति के एक नायाब नुस्खे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

इसी संदर्भ में विदेश मंत्रालय द्वारा कल रात 'खानपान डिप्लोमेंसी' पर मास्टर शेफ विकास खन्ना का विशिष्ट हस्तियों के साथ रखे गए संवाद कार्यक्रम में खन्ना ने अमरीकी राष्ट्रपति द्वारा की गई इस टिप्पणी का मुस्कराते हुए ज़िक्र किया। इस अवसर पर बड़ी तादाद में भारतीय राजनयिक तथा विशिष्ट अतिथि भी मौजूद थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैय्यद अकबरूद्दीन के अनुसार, भारतीय खानपान दुनियाभर के लोगों को भारत से जोड़ने और उनके दिलों तक पहुंचने की कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

दुनियाभर में भारतीय खानपान जिस तेज़ी से लोकप्रिय हो रहा है, हमारे राजनयिक भी खानपान डिप्लोमेंसी को भारत की छवि को और ज़्यादा रोशन करने तथा भारत के हितों को दुनिया के सामने रखने के लिए ज़्यादा प्रभावी ढंग से इस्तेमाल कर रहे हैं। निश्चित तौर पर दुनियाभर के लोगों तथा राजनेताओं के दिलों तक पहुंचने का ये एक नायाब तरीका है। खन्ना का भी मत है कि भारतीय खानपान के मुरीद दुनियाभर में तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

खाना पकाना सिर्फ कला ही नहीं, बल्कि प्रेम और प्रार्थना भी है और उन्हें लगता है कि खासतौर पर भारतीय पाक कला की इसी भावना से दुनियाभर के लोग दीवाने हो रहे हैं। कुछ समय पूर्व जब उन्हें राष्ट्रपति ओबामा के एक कार्यक्रम के लिए भारतीय व्यंजनों का भोज बनाने के लिए चुना गया तो उन्होंने हिमालय क्षेत्र के व्यंजनों को उस भोज में परोसा जिसमें लद्दाख का खास व्यंजन 'एमादाशी' भी था। हिमालय की ऊंचाइओं से आए 'मिर्ची पनीर' की तरी में सादा आटे की उबाली हुई गोलियों वाले इस दैविक व्यंजन ने अमेरिका के प्रथम दंपति को पूरी तरह से तृप्त कर दिया।

खन्ना के अनुसार, यही है पेट के ज़रिए दिलों तक पहुंचने का भारतीय पाक कला का जादू। संवाद कार्यक्रम में मौजूद एक पूर्व राजनयिक के अनुसार पाक कला कूटनीति, दरअसल एक पुराना चलन है जिस पर हमें दुनियाभर में भारतीय भोजन की बढ़ती लोकप्रियता के मद्देनज़र और ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि खासतौर पर अब जबकि भारत में विदेश मंत्री भी महिला हैं, कूटनीति के टेढ़े-मेड़े और जटिल रास्तों में दिलों तक पहुंचने के इस नायाब तरीके पर भी ज़्यादा तवज्जो दी जा सकेगी।

गौरतलब है कि अमेरिका की तत्कालीन विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के कार्यकाल में भी अमेरिकी खानपान तथा कृषि उत्पादों के साथ पाक कला कूटनीति को सक्रियता से लागू किया गया था। कूटनीति का ये तारीका काफी कारगर भी माना गया। इसमें देश के जानेमाने बावर्चियों के ज़रिए विदेशों में अमेरिकी भोजन को लोकप्रिय बनाने के कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे। जानकार सूत्रों के अनुसार विदेशों में स्थित निजी भारतीय रेस्‍टोरेंटस के साथ भारतीय दूतावास हिन्दुस्तानी खाने को बढ़ावा देने में सहयोग देते रहते हैं। पर्यटन व सांस्कृतिक मंत्रालय भी अक्सर भारत महोत्सव पर खानपान के कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं।

इसी कार्यक्रम में मौजूद एक अन्य पूर्व राजनयिक के अनुसार, आज विदेशों में भारत के खानपान की लोकप्रियता का आलम यह है कि कुछ पड़ोसी देशों के लोग भी विदेशों में भारतीय खाना बेच रहे हैं। गौरतलब है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन सहित कितने ही राष्ट्राध्यक्ष व शासनाध्यक्ष भारतीय खाने के कद्रदान रहे हैं। भारत आने वाले विशिष्ट विदेशी अतिथियों के लिए भी सरकारी भोज कार्यक्रोमों में विशुद्ध भारतीय व्यंजन व पेय परोसे जाते हैं, जो उन्हें काफी भाते भी हैं।

खानपान के शौकीन एक विद्वान के अनुसार, नेपोलियन से एक बार एक फ्रांसीसी राजनयिक ने कहा था, आप मुझे एक अच्छा बावर्ची दे दो, फिर देखो कितने देशों के साथ समझौते हो सकते हैं। सही भी है, जटिल कूटनीतिक मंत्रणाओं के बाद अगर उस देश की सोंधी मिट्टी समेटे लज़ीज़ खाने का दौर हो तो तल्खियों के बावजूद मेलमिलाप का कुछ माहौल तो बनता ही है।

समारोह में खन्ना द्वारा शाकाहारी भोजन पर लिखी पुस्तक 'हिम्स फ्रॉम द सॉइल', 'धरा से फूटते शबद' भी पहली बार जारी की गई पुस्तक में भारत के शाकाहारी व्यंजनों की विधियां हैं। अमृतसर में जन्मे और वहीं पले-बढ़े शेफ विकास खन्ना अब न्यूयॉर्क में लोकप्रिय रेस्त्रां 'जुनून' चलाते हैं।

अंतरराष्‍ट्रीय ख्याति प्राप्त शेफ विकास खन्ना का कहना है कि वे मूलतः अमृतसर के एक बावर्ची ही हैं जिन्हें किस्मत न्यूयॉर्क ले आई ताकि वे दुनिया को अपने हाथ का पका खाना खिला सकें, जबकि उनके प्रशंसकों का कहना है कि उनके हाथ के पके खाने के कमाल ने अमिताभ बच्चन से लेकर बराक ओबामा तक को उनका प्रशंसक बना दिया।