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Written By भाषा
Last Modified: दार्जीलिंग , सोमवार, 24 मार्च 2014 (18:17 IST)

टीएमसी-जीजेएम में दार्जीलिंग फतह को लेकर होगा घमासान

टीएमसी-जीजेएम में दार्जीलिंग फतह को लेकर होगा घमासान -
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दार्जीलिंग। दार्जीलिंग लोकसभा सीट से न तो तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी चुनाव लड़ेंगी, न ही गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख बिमल गुरुंग लड़ेंगे। लेकिन अलग राज्य की मांग से उठे विवाद के बाद यह दोनों के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है।

पश्चिम बंगाल की इस सीट पर सबकी निगाहें हैं। तृणमूल ने यहां से भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया को उम्मीदवार बनाया है, वहीं जीजेएम के समर्थन से भाजपा उम्मीदवार एसएस अहलूवालिया होंगे।

अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर दार्जीलिंग की पहाड़ियां 80 के दशक से ही उबलती रही हैं जिसकी मांग गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख सुभाष घीसिंग करते थे, हालांकि बाद में वे अपनी मांग से पीछे हट गए।

वर्ष 2006 में घीसिंग को उनके सहयोगी रहे गुरुंग ने बेदखल कर दिया और अलग राज्य की मांग के आंदोलन को आगे बढ़ाया।

बंगाल में 2011 में सत्ता परिवर्तन के बाद जीजेएम ने राज्य की तृणमूल सरकार और केंद्र की संप्रग-2 सरकार के साथ त्रिपक्षीय गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन समझौता किया।

लेकिन यह समझौता कम ही समय तक चला, क्योंकि केंद्र ने आंध्रप्रदेश का बंटवारा कर अलग तेलंगाना बनाने का निर्णय कर लिया।

अलग पहचान और दार्जीलिंग के लोगों के लिए अलग राज्य के मुद्दे पर आश्रित जीजेएम ने पहाड़ों में फिर से हिंसक आंदोलन का रास्ता पकड़ लिया और बार-बार बंद का आह्वान किया जाने लगा।

लेकिन वाम मोर्चा सरकार के उलट ममता बनर्जी ने मामले को कड़ाई से निपटा और जीजेएम के कई शीर्ष नेता गिरफ्तार कर लिए गए। सरकार के कड़े रुख को देखते हुए जीजेएम ने हिंसक आंदोलन से अपने कदम पीछे खींच लिए। (भाषा)