शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
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Written By WD

चीन में उतरवाई भारतीयों की पगड़ी, अमेरिका नाराज...

चीन में उतरवाई भारतीयों की पगड़ी, अमेरिका नाराज... -
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वॉशिंगटन। चीन में एक अंतरराष्ट्रीय बॉस्केटबॉल प्रतियोगिता में भारत से गए सिख खिलाड़ियों से पगड़ी उतारने को कहे जाने की खबरों से स्तब्ध शीर्ष अमेरिकी सांसदों ने एक अभियान छेड़ते हुए फीबा से कहा है कि वह अपनी भेदभावपूर्ण नीति की समीक्षा करे।

अंतरराष्ट्रीय बॉस्केटबॉल संघ (फीबा) के अध्यक्ष वाई मेनिनी को लिखे पत्र में कहा गया कि हम उन खबरों को लेकर चिंतित हैं जिनमें ये संकेत मिल रहे हैं कि सिख खिलाड़ी पगड़ी पहनकर फीबा के खेल नहीं खेल सकते जबकि ये (पगड़ी) उनके धर्म के अनुसार जरूरी है। हम आपसे आपकी भेदभावपूर्ण नीति को बदलने के लिए कहते हैं।

कांग्रेस सदस्य जो. क्राउले के नेतृत्व में यह पत्र बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस में वितरित किया गया। भारतीय-अमेरिकी कांग्रेस सदस्य एमी बेरा ने उप प्रमुख के रूप में इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

पत्र में कहा गया कि हम उम्मीद करते हैं कि आप सिखों की पगड़ियों के संबंध में अपनी वर्तमान नीति की पुन: समीक्षा करेंगे और फीबा के केंद्रीय बोर्ड की अगली बैठक में बदलाव का समर्थन करेंगे। यह पत्र जल्द ही फीबा के स्विट्जरलैंड स्थित मुख्यालय भेजा जाएगा।

क्यों उतरवाई गई सीखों की पगड़ी...


पत्र में कहा गया है कि फीबा के तहत भाग लेने वाले सिख खिलाड़ियों को बताया गया था कि उनकी पगड़ियां फीबा के आधिकारिक नियमों के अनुच्छेद 4.4.2 का उल्लंघन हैं। यह अनुच्छेद कहता है कि खिलाड़ी ऐसे उपकरण (चीजें) नहीं पहनेंगे, जिनसे दूसरे खिलाड़ियों को चोट लग सकती हो। कांग्रेस सदस्य ने तर्क दिया कि इस बात का कोई भी सबूत नहीं है कि पगड़ी बास्केटबॉल या किसी दूसरे अन्य चर्चित खेल के दौरान खतरनाक रही हो।

पत्र में कहा गया, 'असल में, ऐसे कई सिखों के उदाहरण हैं, जिन्होंने अपने धर्म के प्रतीकों के साथ ही बास्केटबॉल के कई स्तरों पर सुरक्षित रूप से स्पर्धा की है।'

पत्र में दर्शप्रीत सिंह का उदाहरण दिया गया, जिसने ट्रिनिटी विश्वविद्यालय में बास्केटबॉल टीम की कप्तानी की और नेशनल कॉलिजिएट एथलेटिक एसोसिएशन में अपने पूरे सफल करियर के दौरान पगड़ी पहने रखी।

इसमें कहा गया कि सिंह अमेरिका और पूरी दुनिया के सिखों के लिए सफलता का उदाहरण बना है और उसने दिखाया है कि सिख पगड़ी न तो कोई बाधा पैदा करती है और न ही एनसीएए प्रतिस्पर्धियों को खतरे में डालती है।

जब पगड़ी पहनकर फुटबॉल खेल सकते हैं तो बास्केटबॉल क्यों नहीं...


अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ (फीफा) ने हाल ही में अपनी नीतियों में बदलाव करते हुए सिखों को फुटबॉल खेलने के दौरान पगड़ी पहनने की अनुमति दी है।

पत्र में कहा गया, महासचिव जे वाल्के ने फैसले की घोषणा करते हुए कहा, 'आप भेदभाव नहीं कर सकते।' 'बॉस्केटबॉल एक प्यारी टीम भावना वाला खेल है और इसमें सभी पृष्ठभूमियों के लोगों को एकसाथ लाने की क्षमता है फिर चाहे उनका इतिहास, संस्कृति, भाषा और धर्म कुछ भी हो।'

कांग्रेस सदस्य ने कहा, 'हमारा मानना है कि यह बॉस्केटबॉल कोर्ट को हमारी दुनिया की विविधता और लोगों को एकसाथ लाने के तरीके दर्शाने का एक उत्कृष्ट स्थल बनाता है।' (भाषा)