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Written By भाषा
Last Modified: सोमवार, 5 मई 2014 (09:51 IST)

फिर बोले मोदी, बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस जाना ही होगा

फिर बोले मोदी, बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस जाना ही होगा -
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बांकुड़ा (पश्चिम बंगाल)। नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि वोटबैंक राजनीति के चलते देश में रहने दिए जा रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस जाना ही होगा जबकि धार्मिक आधार पर बांग्लादेश से भगा दिए गए शरणार्थियों का गले लगाकर स्वागत किया जाएगा।

मोदी ने कहा, ‘भाजपा का रुख बिल्कुल स्पष्ट है कि वोटबैंक की राजनीति ने देश का बेड़ा गर्क कर दिया है, जो लोग बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं, उन्हें वापस जाना ही होगा।’

उन्होंने यहां एक चुनावी रैली में कहा, ‘बांग्लादेश से दो तरह के लोग आ रहे हैं- एक तो शरणार्थी हैं जिन्हें धर्म के नाम पर भगा दिया गया और दूसरे घुसपैठिए हैं।’ उन्होंने कहा, ‘दुनिया के किसी देश में, यदि भारतीय हैं जिनके रक्त में भारतीयता है, यदि वे मूल रूप से भारतीय हैं, ऐसे में उनके पासपोर्ट का रंग कुछ भी क्यों न हो, क्या उन्हें भारत नहीं आना चाहिए और उनका खुले दिल से स्वागत नहीं किया जाना चाहिए।’

घुसपैठियों की सेवा में जुटी है 'दीदी', अगले पन्ने पर...


भाजपा के पीएम उम्मीदवार ने कहा, ‘जिन्हें बांग्लादेश से भगा दिया गया, उन्हें भारत आना चाहिए या नहीं?..जिन्हें बांग्लादेश से भगा दिया गया, जो दुर्गाष्टमी मनाते हैं और बंगाली बोलते हैं, वे सभी हमारी भारत मां के बच्चे हैं। उन्हें किसी भी भारतीय की भांति वही सम्मान मिलेगा।’

तृणमूल कांग्रेस द्वारा ‘कागजी शेर’ बताए जाने पर पलटवार करते हुए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा, ‘दीदी शेरों के बारे में इतनी अधिक बातें कर रही हैं लेकिन वह घुसपैठियों की सेवा में जुटी हैं।’

उन्होंने कहा, ‘यदि उन्होंने घुसपैठियों के लिए इतना कुछ करने के बजाय सुंदरबन के बाघों के लिए इतना किया होता तो दुनियाभर के पर्यटक बंगाल में भीड़ लगा देते।’ उन्होंने आरोप लगाया कि वामदल, कांग्रेस और तृणमूल तीनों में से किसी को भी इस बात की चिंता नहीं है कि युवकों को रोजगार मिला या नहीं।

उन्होंने कहा, ‘लेकिन वे यह जरूर सुनिश्चित करते हें कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को नौकरियां मिलें ताकि उन्हें उनका वोट मिले।’ मोदी ने कहा, ‘हमारी पहली जिम्मेदारी अपने देशवासियों, न कि घुसपैठियों के लिए आय के अवसर उपलब्ध कराना है।’

पिछले सप्ताह गुजरात के मुख्यमंत्री ने श्रीरामपुर में एक चुनावी जनसभा में कहा था कि 16 मई के नतीजे के बाद बांग्लादेशियों को वापस भेजा जाएगा। विपक्षियों अनुसार उनके इस बयान के बाद ही असम में हिंसा भड़की थी। उन्होंने इसके लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराया। (एजेंसी)