मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. लोकसभा चुनाव 2014
  3. समाचार
Written By अरविन्द शुक्ला

शेर, सांड, शहजादे में ही रमे रहते हैं नरेन्द्र मोदी-राजेन्द्र चौधरी

शेर, सांड, शहजादे में ही रमे रहते हैं नरेन्द्र मोदी-राजेन्द्र चौधरी -
लखनऊ। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसी ओछी बातें अपने भाषण में करते हैं, उससे जाहिर होता है कि प्रधानमंत्री जैसे शीर्ष पद के लिए वे कतई परिपक्व नहीं हैं। राष्ट्र के समक्ष आज जो गंभीर समस्याएं है, उन पर वे चर्चा के बजाय शेर, सांड, शहजादे में ही रमे रहते हैं।
WD

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं कारागार मंत्री राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि नरेन्द्र मोदी को जब एक गरिमापूर्ण पद की दावेदारी करने से पहले पूर्व प्रधानमंत्रियों और अपने प्रमुख नेताओं के जीवन और विचारों के बारे में जान लेना चाहिए था। तब वे हवाहवाई बातों और झूठे बयानों से संकोच करते।

उन्होंने अपने आचरण से राजनीति का स्तर गिराने और माहौल को प्रदूषित करने का काम किया है। उन्होंने तो अपनी राजनीति की शुरुआत ही अपने वरिष्ठों केशूभाई पटेल, हरेन पटेल और लालकृष्ण आडवाणी को अपमानित और अपदस्थ करके की है।

उप्र के दौरों में नरेन्द्र मोदी अपने बहुत से एहसान गिनाते हैं। इटावा में लायन सफारी के लिए उन्होंने 4 शेर दिए तो हर मीटिंग में उसका जिक्र करते हैं। राज्यों के प्राणि उद्यानों के बीच पशु-पक्षियों का आदान-प्रदान होता ही रहता है पर मोदी के लिए वह भी एक राजनीतिक मुद्दा है।

वे इसी प्रसंग में यह कहते भी नहीं थकते कि काश, उप्र के मुख्यमंत्री और नेता जी ने उनसे गिर गाय भी मॉगी होती। अब हकीकत तो यह है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के यहां कई बरसों से गिर गाए पली हैं। उन्हें मॉग कर लाने की जरूरत नहीं हैं। वे यहॉ स्वस्थ हैं, प्रसन्न हैं और खूब दूध दे रही हैं। नेता जी के यहॉ गौशाला है और समाजवादी पार्टी सरकार ने गौसेवा आयोग भी गठित कर रखा है।

अच्छा होगा मोदी जी यह बता दें कि उन्होंने खुद कितनी गाएं पाली है और क्या उन्होंने कभी किसी गिर गाय का दूध पिया है। अगर सचमुच उन्होंने किसी गिर गाय का दूध पिया होता तो गोमाता के नाम पर 54 इंच सीने की झूठी बात न करते जो एक सामान्य आदमी के लिए अनहोनी और अचरज की बात है। वे अमूल का श्रेय भी खुद लेने में लगे हैं जबकि श्वेत (दुग्ध क्रांति) के जनक कुरियन थे। मोदी के मुख्यमंत्री बनने के वर्षो पहले से अमूल है।

मोदी जिस गुजरात माडल की बात करते हैं वह किसान विरोधी और नौजवानों को बेकार बना देने वाला माडल है। उस माडल का लाभ सिर्फ बड़े पूंजीपतियों को मिला है। किसानों की 35 हजार एकड़ जमीन छीनकर उन्होंने अडानी उद्योगपति को 01 रूपए मीटर में दान कर दी। किसान बेघर हुए, परिवार सड़क पर आ गए और घर के नौजवानों को बड़े कारखानों में काम भी नहीं मिला। मोदी विकास के नहीं विनाश के दूत हैं जिनकी फासिस्टी मनोवृत्ति देश को तबाही की ओर ले जाने वाली है।

राष्ट्र की गरिमा और अस्मिता ऐसे व्यक्ति के हाथों में कैसे सौंपी जा सकती है जो अपने कार्यकाल में हुई हजारों मौतो के बारे में जरा भी संवेदनशील न हो। मोदी का गुजराती मॉडल बताता है कि इस राज्य में कुपोषण 48 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत से ऊपर है और सोमालिया, इथियोपिया जैसे अति पिछड़े देशों (वहॉ 33 प्रतिशत है) से भी पीछे है।

गुजरात में बाल मृत्यु दर 48 प्रतिशत है। इस मामले में सबसे बदतर राज्यों में इसका दसवां स्थान है। ग्रामीण गरीबी वहां 51 प्रतिशत है। गुजरात सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वहां शहर में 17 रुपए रोज और गांव में 11 रूपए रोज कमाने वाला गरीब नहीं है।

गुजरात के मुख्यमंत्री भी जैसी ओछी बातें अपने भाषण में करते हैं, उससे जाहिर होता है कि प्रधानमंत्री जैसे शीर्श पद के लिए वे कतई परिपक्व नहीं हैं। राष्ट्र के समक्ष आज जो गंभीर समस्याएं है, उन पर वे चर्चा के बजाय शेर, सांड़, शहजादे में ही रमे रहते हैं। उन्हें एक गरिमापूर्ण पद की दावेदारी करने से पहले पूर्व प्रधानमंत्रियों और अपने प्रमुख नेताओं के जीवन और विचारों के बारे में जान लेना चाहिए था। तब वे हवाहवाई बातों और झूठे बयानों से संकोच करते।

उन्होंने अपने आचरण से राजनीति का स्तर गिराने और माहौल को प्रदूषित करने का काम किया है। उन्होंने तो अपनी राजनीति की शुरुआत ही अपने वरिष्ठों केशूभाई पटेल, हरेन पटेल और लालकृष्ण आडवाणी को अपमानित और अपदस्थ करके की है।

गुजरात के मेहनती लोग सदियों से उद्यमी रहे हैं। उनकी उपलब्धियों को अपनी बताकर मोदी अपने घमण्ड के प्रदर्शन के साथ यह भी जता रहे हैं कि वे राजनीति में कितने अप्रासंगिक हैं। उनके भाशणों में वैचारिक दिवालियापन झलकता है। वे अपनी आतंकी भाषा से पूरी लोकतांत्रिक प्रणाली को ही चुनौती दे रहे हैं। देश-प्रदेश की जनता उन्हें इसके लिए माफ नहीं करेगी।

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं कारागार मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि कहावत है कि सच कभी छुपता नहीं और झूठ के पैर नहीं होते हैं। हिटलर का प्रचार मंत्री गोयबल्स कहता था कि एक झूठ सौ बार दुहराने से सच हो जाता है, लेकिन दुनिया में उसका झूठ नहीं चल पाया। नाजी नृशंसता का सच छुपा नहीं रहा। गोयबल्स की मौत के बहुत दिनों बाद अब उनका नया अवतार सामने आया है, जो अपनी पूरी राजनीति झूठ और चालाकी से चलाने की कोशिशों में हैं।