शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. लोकसभा चुनाव 2014
  4. »
  5. समाचार
Written By WD
Last Modified: मंगलवार, 15 अप्रैल 2014 (21:31 IST)

यहां है चुनाव विरोधी आतंकियों का खौफ

-सुरेश एस डुग्गर

यहां है चुनाव विरोधी आतंकियों का खौफ -
FILE
डोडा (जम्मू कश्मीर)। 17 अप्रैल को जिस उधमपुर-कइुआ-डोडा संसदीय क्षेत्र में मतदान होने जा रहा है, उसके एक हिस्से, बारह हजार वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले इस जिले में चुनावी प्रचार की दास्तानें भी अजीब हैं। अगर सुरक्षाबल पूरे जिले में नहीं फैल पाए हैं तो प्रत्याशी भी सारे जिले को कवर नहीं कर पाए हैं, लेकिन इतना जरूर है कि आतंकी खौफ घर-घर जाकर अपना चुनाव विरोधी प्रचार धमकियों समेत कर रहे हैं। यही कारण है कि मतदान में हिस्सा लेने पर अंगभंग कर देने की उनकी धमकी के बाद डोडा की जनता प्रलय दिवस के बीतने की प्रतीक्षा कर रही है।

प्रचार का मंगलवार को अंतिम दिन था। बावजूद इसके पूरे जिले में प्रचार कर पाना सभी प्रत्याशियों के लिए कठिन साबित हुआ। आतंकी धमकी और हमलों के चलते जहां प्रत्याशियों ने जिले के कई महत्वपूर्ण हिस्सों का दौरा न करना मुनासिब समझा वहीं सुरक्षाधिकारियों ने भी उन्हें ऐसा करने की सलाह दी थी।

प्रत्याशी तो आतंकी कहर से बच गए, लेकिन मतदाताओं को कौन बचाएगा। आतंकवादग्रस्त इलाकों में घर-घर जाकर लोगों को प्रतिदिन चेतावनी देने का सिलसिला अभी थमा नहीं है। वे (आतंकवादी) कहते हैं मतदान के दिन शाम को वे सभी के हाथों को जांचेंगें। जिस किसी की अंगुली पर स्याही दिखी तो उसका हाथ काट दिया जाएगा, वाडवान का रशीद अहमद कहता था।

आतंकी धमकी का प्रभाव सिर्फ यही नहीं है। जिले के महत्वपूर्ण कस्बों को छोड़ कहीं कोई चुनावी सभा नहीं हुई। न ही ऐसे इलाकों में कहीं किसी पार्टी का झंडा, पोस्टर या फिर बैनर नजर नहीं आया है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि पार्टियों के कट्टर समर्थकों ने भी अपने घरों पर पार्टी का झंडा लगाने या फिर दीवारों पर बैनर लिखने से मना कर दिया।
ऐसा आतंकवादियों की ओर से जारी अंगभंग करने तथा मतदान में हिस्सा लेने वाले को बतौर सजा मौत देने की चेतावनी व धमकी के कारण है। नतीजतन डोडा की दहशतजदा जनता को प्रलय दिवस अर्थात मतदान के दिन की बीतने की प्रतीक्षा है। उन्हें बस चिंता इस बात की है कि किसी प्रकार 17 अप्रैल का दिन बीत जाए ताकि उनके सिरों पर से आतंकी खतरा कुछ हद तक टल सके।

हालांकि सरकारी तौर पर सुरक्षाबलों को मतदाताओं की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है। हजारों की संख्या में तैनात सुरक्षाबलों के प्रति रोचक तथ्य यह है कि सारे जिले में उनकी तैनाती सिर्फ कागजों पर है तो मतदान के संपन्न होने के बाद लोगों को सुरक्षा कौन मुहैया करवाएगा, के सवाल पर अधिकारी खामोश हैं। याद रहे कि कश्मीर में आज तक हुए चुनावों के बाद आतंकवादियों द्वारा चुनाव में भाग लेने के नाम पर दी जाने वाली कथित सजाओं के लिए डोडा जिले को ही चुना जाता रहा है।

अगर पंचायत चुनाव का ही उदाहरण लें तो चुनाव होने के बाद सबसे अधिक पंचों व सरपंचों की हत्याएं इसी जिले में की गई हैं। बताया जाता है कि आतंकियों द्वारा सारा जोर इस जिले में संयुक्त तौर पर लगाया जा रहा है। अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है कि आतंकवादियों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर मतदान के दिन भयानक हिंसा फैलाने के निर्देश अपने काडर को दिए हैं। इस आश्य के वायरलेस मैसेज सुने गए हैं।

ऐसे में डोडा में हिंसा की आशंका को लेकर जबरदस्त दहशत का माहौल है। हिंसा की आशंका को देखते हुए ही भाजपा ने उधमपुर संसदीय क्षेत्र को अति संवेदनशील घोषित करने की मांग की है। हालांकि ऐसा हुआ तो नहीं मगर इतना जरूर है कि चुनाव आयोग ने गंभीरता को समझते हुए अतिरिक्त सुरक्षाबलों को जरूर तैनात करने के निर्देश दिए हैं जिन्हें लोगों में असुरक्षा की भावना को दूर करने का जिम्मा सौंपा गया है।