शुक्रवार, 29 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. लोकसभा चुनाव 2014
  4. »
  5. समाचार
  6. पांचवां चरण 17 अप्रैल को, 12 राज्य, 121 सीटें
Written By भाषा

पांचवां चरण 17 अप्रैल को, 12 राज्य, 121 सीटें

सिंधिया, अनंत कुमार, राज्यवर्धन राठौड़ समेत कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

General election 2014 | पांचवां चरण 17 अप्रैल को, 12 राज्य, 121 सीटें
नौ चरणों में मनाया जा रहा लोकतंत्र का त्योहार अपने 4 चरण पूरे कर चुका है। पांचवें चरण में 17 अप्रैल को 12 राज्यों की 121 लोकसभा सीटों के लिए मतदान होगा। ...और सीटों की दृष्टि से यह सबसे बड़ा चरण भी है। हालांकि हर सीट अपने आप में महत्वपूर्ण होती है, लेकिन कुछ सीटों पर देशवासियों की विशेष नज़र भी रहती है। आइए नज़र डालते हैं, पांचवें चरण चरण की इन्हीं कुछ ख़ास सीटों पर। हालांकि कौन किस पर भारी पड़ता है, यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा।
WD


पांचवें चरण में नंदन नीलेकणि (कांग्रेस), मेनका गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौडा (जेडीएस), केन्द्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली (कांग्रेस) और श्रीकांत जेना, सुप्रिया सूले और लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती सहित 1769 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद हो जाएगी। पांचवें चरण में कुल 16.61 करोड़ मतदाता हैं। इन सीटों में से, कांग्रेस के पास 36 जबकि मुख्य विपक्षी दल भाजपा के पास 40 सीटें हैं।

पटना साहिब : इस सीट पर पिछली बार भाजपा के शत्रुघ्‍न सिन्हा ने आरजेडी के विजय कुमार को पछाड़कर कब्ज़ा किया था। इस बार भी पार्टी ने अभिनेता व नेता शत्रुघ्‍न सिन्हा पर ही विश्वास जताया है। उधर कांग्रेस ने भी भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता कुणालसिंह को 'राजनीति' में लांच किया। आप ने परवीन अमानुल्लाह, बसपा ने गणेश सॉ, जद (यू) डॉ. गोपाल प्रसाद सिन्हा और सपा ने उमेश कुमार को अपना प्रतिनिधि बनाया है। उम्मीद जताई जा रही है कि ख़ास मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगा।

पाटलिपुत्र : यह सीट 2009 में के चुनाव में जेडी (यू) के प्रो. रंजन प्रसाद यादव के पास थी। उन्होंने आरजेडी के लालू यादव को 23 हजार से अधिक वोटों से हराकर इस सीट पर अधिकार जमाया था। इस बार भी जेडी (यू) से प्रो. यादव ही दम भर रहे हैं और उनके सामने होंगी आरजेडी के टिकट से पिछली बार पराजित रहे लालू यादव की बेटी मीसा यादव। इस अखाड़े में बीजेपी ने मीसा के 'चाचा' रामकृपाल यादव को उतारा है। आप के कुंदन प्रसाद सिंह और बसपा के राजकुमार राम भी मैदान में हैं। यह सीट आरजेडी से बागी होकर भाजपा में आए राम कृपाल यादव और आरजेडी उम्मीदवार लालू यादव की बेटी मीसा को लेकर निगाहों में बनी हुई है।

महासमुंद : महासमुंद सीट, कांग्रेस प्रत्याशी व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी को लेकर ज्यादा सुर्खियों में है। जोगी ने इस सीट से 2004 में जीत दर्ज की थी, जबकि 2009 में इस सीट पर भाजपा के चंदू लाल साहू ने कब्ज़ा जमाया। अबकी बार इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा का मुकाबला देखने लायक होगा, क्योंकि एक तरफ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जोगी कांग्रेस की ओर से मैदान में हैं, तो भाजपा की ओर से वर्तमान में इस सीट पर काबिज़ चंदू भइया। उस पर भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लहर। ऐसे में देखना रोचक होगा कि कितने मतदाता इस लहर के साथ होते हैं। वैसे आप और बसपा ने भी क्रमश: लक्ष्मण मासूरिया और कन्हैयालाल साहू को चुनावी रण में झोंका है। एक और रोचक तथ्य, जो इस ओर ध्यान खींचता है, वह है, भाजपा प्रत्याशी चंदू साहू के अलावा इस सीट से और 11 चंदू साहू का चुनाव मैदान में होना।

बंगलुरू दक्षिण : इस सीट पर ख़ास मुकाबला कांग्रेस द्वारा उतारे गए उद्यमी नंदन नीलेकणि और भाजपा के दिग्गज अनंत कुमार के बीच होगा। एक समय इंफोसिस से जुड़े रहे नंदन ने अब कांग्रेस का परचम थामकर राजनीति में पदार्पण किया है, जबकि उनके सामने भाजपा के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार हैं। अनंत इस सीट पर 1996 से जीतते आ रहे हैं, देखना रोचक होगा कि आईटियन नीलेकणि अनंत कुमार के किले में किस हद तक सेंध लगा पाते हैं। हालांकि आप की नीना पी. नायक सहित बसपा, एआईएफबी, जद (यू), जद (एस) आदि ने भी अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन देखने योग्य मुकाबला तो नीलेकणि और अनंत कुमार के बीच होगा।

ग्वालियर : ग्वालियर सीट पर भाजपा ने वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र तोमर को उतारा है, जबकि कांग्रेस से अशोकसिंह मैदान में हैं। आप ने भी नीलम अग्रवाल के रूप में अपनी दावेदारी पेश की है। इस सीट पर 2009 में हुए चुनाव में भाजपा की यशोधरा राजे ने कांग्रेस के ही वर्तमान उम्मीदवार अशोकसिंह को परास्त किया था। इस सीट पर जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा यह अलग बात है, लेकिन इस तथ्य पर भी ध्यान जाना लाज़मी है कि कांग्रेस ने दो बार हार चुके प्रत्याशी को ही इस बार भी चुनावी रण में क्यूं धकेल दिया। वैसे बसपा, सीपीएम, सपा आदि ने भी अपने उम्मीदवारों को इस रण में भेजा तो है, लेकिन ख़ास ध्यान भाजपा के तोमर पर ही रहेगा।

गुना : भाजपा की राजमाता सिंधिया ने इस सीट पर आख़री बार 1998 में राज किया था। इसके बाद 1999 में यह सीट कांग्रेस के माधवराव सिंधिया के अधिकार में आ गई। फिर 2002, 2004 और 2009 के चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया ही विजय हासिल करते आ रहे हैं। इस बार भी कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य ही मैदान में हैं, उनके सामने कभी हिन्दूवादी छवि के लिए चर्चित रहे भाजपा नेता जयभानसिंह पवैया हैं। हालांकि पिछले चुनाव परिणामों पर नज़र डालें, तो इस सीट पर कांग्रेस बड़े अंतर से जीतती आ रही है, लेकिन संभवत: इस बार मोदी लहर के चलते चुनाव परिणाम कुछ और देखने को मिले। इन दो दिग्गज खिलाड़ियों के बीच आप और बसपा ने भी क्रमश: शैलेंद्र सिंह कुशवाह और लाखनसिंह बघेल के रूप में अपने-अपने प्रत्याशी उतारे हैं।

बारामती : यह सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष शरद पवार की बेटी सुप्रिया सूले के कारण ध्यान खींच रही है। सुप्रिया यहां से एनसीपी की उम्मीदवार हैं। हालांकि 2009 चुनाव में भी इस सीट पर सुप्रिया ही विजय रही थीं। यहां से भाजपा ने महादेव जानकर को ज़िम्मेदारी सौंपी है। यहां से आप के सुरेश खोपड़े, जेडी (एस) के तात्यासाहेब सीताराम तेले, बसपा के चौ. कालूराम विनायक आदि भी मैदान में हैं। मगर राष्ट्रीय स्तर के नेता शरद पवार की बेटी होने की वजह से यहां सुप्रिया की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी।

जयपुर (ग्रामीण) : जयपुर ग्रामीण सीट 'पद्मश्री' सम्मान प्राप्त भारतीय निशानेबाज कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर की वजह से चर्चा में है। 2004 में एथेंस में हुए ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में रजत पदक पर निशाना साधने वाले राठौर यहां से भाजपा के उम्मीदवार हैं। उनके सामने जीत की कुर्सी पर निशाना साधने वाले मुख्य उम्मीदवार हैं, कांग्रेस के डॉ. सीपी जोशी। एक तरफ कांग्रेस के तजुर्बेकार नेता डॉ. जोशी, तो दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को पहचान दिलाने वाले, माहिर निशानेबाज़ भाजपा के कर्नल राठौर हैं। ऐसे में यहां देखना दिलचस्प होगा कि किसका तीर निशाने पर बैठता है। हालांकि आप के अनिल कुमार, सपा के धीरज गुर्जर आदि के हाथ में भी अपनी-अपनी पार्टी के तीर-कमान हैं, लेकिन देखने वाली बात यह है कि लक्ष्य पर निशाना कौन सही लगा पाता है। साथ एक अन्य उम्मीदवार नवीन पिलानिया भी समीकरण बनाने-बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाएंगे।

बाड़मेर : बाड़मेर सीट, कभी सेना में रहे कर्नल सोनाराम चौधरी और मेजर जसवंतसिंह के बीच मुकाबले को लेकर ख़ासतौर से सबका ध्यान खींच रही है। इस जंग में भाजपा ने कर्नल सोनाराम के हाथों में जीत की ज़िम्मेदारी सौंपी है, जबकि उधर भाजपा से बागी हुए मेजर जसवंतसिंह निर्दलीय खड़े होकर कर्नल सोनाराम के हाथों से जीत छीनने की कोशिश करेंगे। बाड़मेर से आ रही ख़बरों पर गौर करें, तो स्पष्ट होता है कि मेजर सिंह का बागी होना भाजपा को ख़ासा नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा। यहां के मतदाता स्थानीय उम्मीदवारों को नज़रअंदाज़ करते हुए हर हाल में नरेंद्र मोदी को ही प्रधानमंत्री देखने के लिए बेताब बैठे हैं। कांग्रेस ने यहां से हरीश चौधरी को टिकट दिया है। इन दो दिग्गजों के बीच उनकी चर्चा कम ही हो रही है।

अजमेर : अजमेर सीट दिग्गज कांग्रेसी नेता स्व. राजेश पायलट के पुत्र व सांसद सचिन पायलट की वजह से ख़ास हो गई है। पायलट इस समय राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष भी हैं। अत: अन्य सीटों पर जीत के साथ ही अपनी सीट बचाने का दबाव भी उन पर है। इस सीट पर भाजपा की ओर से दावेदारी कर रहे शिक्षण क्षेत्र से राजनीति में आए सांवरलाल जाट भी पार्टी के कद्दावर नेता हैं। मगर सचिन केंद्रीय मंत्री रहे पिता की वजह से सबकी नज़र में हैं। ऐसे में भाजपा लहर के बीच इस सीट को बचाना सचिन के लिए साख का प्रश्न होगा। इस सीट पर एनसीपी से भी भाजपा उम्मीदवार के हमनाम सांवर लाल हैं, जबकि आप ने अजय सोमानी को टिकट दिया है।

झालावाड़-बारां : इस लोकसभा सीट पर सबकी नज़र राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के बेटे दुष्यंतसिंह की वजह से है। दुष्यंत फिर से भाजपा की विजय पताका लहराने के उद्देश्य से चुनाव मैदान में हैं। वैसे इस सीट पर 1989 से भाजपा का ही कब्ज़ा रहा है। 1989 से 1999 यह सीट उनकी मां वसुंधरा राजे के इख्तियार में रही। उसके ठीक बाद 2004 और 2009 से इस सीट की ज़िम्मेदारी उनके बेटे दुष्यंत संभाले हुए हैं। इस लिहाज़ से देखा जाए, तो भाजपा के लिए यह सीट सुरक्षित ही नज़र आती है। कांग्रेस ने यहां से प्रमोद जैन भाया और बसपा ने चंद्रासिंह को उतारा है।

पीलीभीत : पीलीभीत सीट वर्तमान में भी भाजपा के कब्ज़े में है। इस सीट से मौजूदा सांसद, मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी हैं, लेकिन इस बार भाजपा ने वरुण को सुल्तानपुर की ज़िम्मेदारी सौंपी है, जबकि पीलीभीत सीट से मेनका गांधी चुनौती दे रही हैं। उनके सामने कांग्रेस के संजय कपूर होंगे, जबकि आप की ओर से राजीव अग्रवाल, बसपा से अनीस अहमद और सपा से बुधसेन वर्मा आदि किला लड़ाएंगे। इस सीट पर पिछले चुनावों की स्थिति देखें, तो मालूम होगा कि 1996 से यह सीट मेनका के अधिकार में रही है, हालांकि 1996 में यह सीट वे जनता दल की ओर से जीती थीं। इसके बाद उन्होंने 1998 और 1999 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मैदान मारा और 2004 में भाजपा का दामन थामकर फिर जीत की कहानी दोहराई। फिलहाल, वरुण इस सीट से सांसद हैं, परंतु पार्टी ने इस बार यह सीट उनकी मां मेनका के हवाले कर उन्हें सुल्तानपुर भेजा है।

दार्जिलिंग : देश के जानेमाने फुटबॉलर, बाईचुंग भूटिया इस सीट का आकर्षण हैं। इस चुनाव से ही राजनीति में पदार्पण कर रहे भूटिया के सामने भाजपा के वरिष्ठ नेता एसएस अहलुवालिया होंगे। वर्तमान में भी यह सीट भाजपा (जसवंतसिंह) के ही अधिकार में है। कांग्रेस ने सुजॉय घटक और सीपीएम ने समन पाठक को जीत की जिम्मेदारी देकर मैदान में उतारा है।

17 अप्रैल को इन सीटों पर पड़ेंगे वोट... पढ़ें अगले पेज पर....



बिहार-7 : मुंगेर, नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, अराह, बक्सर और जहांनाबाद।
छत्तीसगढ़-3 : राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर-1 : उधमपुर
झारखंड-6 : गिरिडीह, रांची, जमशेदपुर, सिंहभूमि, खूंटी और हज़ारीबाग।
कर्नाटक-28 : चिक्‍कोड़ी, बेलगाम, बगलकोट, बीजापुर, गुलबर्गा, रायचूर, बीदर, कोप्पल, बेल्‍लारी, हवेरी, धारवाड़, उत्‍तर कन्‍नड़, दवानगेर, शिमोगा, उडिपी चिकमंगलूर, हासन, दक्षिण कन्‍नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्‍तर, बेंगलुरु सेंट्रल, बेंगलुरु दक्षिण, चिक्कबलपुऔर कोलार।
मध्यप्रदेश-10 : मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, भोपाल और राजगढ़।
महाराष्ट्र-19 : हिंगोली, नांदेड़, परभनी, मावल, पुणे, बारामती, शिरपुर, अहमदनगर, शिर्डी, बीड़, उस्मानाबाद, लातूर, सोलापुर, माधा, सांगली, सतारा, रत्‍नागिरि-सिंधुदुर्ग, कोल्हापुर और हातकंगले।
मणिपुर-1 : आंतरिक मणिपुर
ओडिशा-11 : क्योंझर, मयूरभंज, बालासोर, भद्रक, जाजपुर, ढेंकनाल, कटक, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, पुरी और भुवनेश्वर।
राजस्थान-20 : गंगानगर, बीकानेर, चूरू, झुंझुनू, सीकर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर, अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालौर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारां।
उत्तरप्रदेश-11 : नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा, बदायूं, आंवला, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर और खीरी।
पश्चिम बंगाल-4 : कूच बिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग