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Written By भाषा

नहीं लड़ रहे चुनाव, दांव पर प्रतिष्ठा

नहीं लड़ रहे चुनाव, दांव पर प्रतिष्ठा -
नई दिल्ली। इस लोकसभा चुनाव में राजनीति के कई धुरंधर महारथी चुनाव तो नहीं लड़ रहे हैं लेकिन उनके निकटतम संबंधियों के चुनाव मैदान में होने के कारण उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
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राजनीति के इन दिग्गज योद्धाओं में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम, इसी पार्टी के दिग्विजय सिंह, विजय बहुगुणा और शीला दीक्षित तथा भारतीय जनता पार्टी के यशवंत सिन्हा शामिल हैं।

इनके अलावा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत और असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की इज्जत भी दांव पर लगी हुई है।

इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह तथा कुछ अन्य नेता भी अपनी राजनीतिक विरासत बढ़ाने के लिए जी-जान से लगे हैं।

यहां दिलचस्प है मुकाबला... अगले पन्ने पर...


भारतीय राजनीति के शिखर तक पहुंचने वालों में से एक पवार इस बार आम चुनाव नहीं लड़ रहे हैं लेकिन उनकी एकमात्र पुत्री सुप्रिया सुले महाराष्ट्र के बारामती लोकसभा क्षेत्र से राकांपा की उम्मीदवार हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र के माढा सीट से निर्वाचित होने वाले पवार इस बार इसी राज्य से राज्यसभा के लिए चुने गए हैं। बारामती पवार की परंपरागत सीट है।

पवार पहली बार 1984 में बारामती से सांसद चुने गए थे लेकिन पिछले चुनाव में उन्होंने यह सीट अपनी पुत्री को दे दी थी। वे 10वीं से लेकर 15वीं लोकसभा तक लगातार उनके सदस्य रहे हैं।

1974 के जयप्रकाश आंदोलन से राजनीति में सक्रिय हुए लालू प्रसाद यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ीदेवी सारण तथा उनकी पुत्री मीसा भारती पाटलीपुत्र संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं।

यादव पिछले लोकसभा चुनाव में सारण से विजयी हुए थे लेकिन बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजा होने के कारण लोकसभा की उनकी सदस्यता समाप्त हो गई थी।

राजनीति में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए उन्होंने पहली बार मीसा भारती को चुनाव में उतारा जिसके कारण उनके कट्टर समर्थक रामकृपाल यादव विद्रोह कर गए और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की ओर से मीसा को चुनौती दी है। (वार्ता)