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Written By WD

कहां से करें रूरल डेवलपमेंट का कोर्स

जयंतीलाल भंडारी

Rural Development Course | कहां से करें रूरल डेवलपमेंट का कोर्स
ग्रामीण लोगों को सामाजिक, मानसिक और राजनीतिक स्तर पर जागरूक करने के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनाने का काम रूरल डेवलपमेंट के अंतर्गत आता है। ग्रामीण लोगों की समस्याओं को समझने तथा उनको दूर करना, मंदी और महंगाई आदि समस्याओं को समझना व इससे उबरने के उपाय तथा आमजन को आए दिन होने वाली चुनौतियों के बारे में बताना व उनका सामना करने के लिए उन्हें तैयार करना भी इस क्षेत्र से जुड़े लोग करते हैं

ग्रामीणों के अधिकारों के लिए लड़ना व उनका हक उन्हें दिलवाना, एंटी करप्शन मूवमेंट चलाना, वुमन हेल्थ एंड चाइल्ड हेल्थ पर काम करना, शहरी लोगों के प्रभाव से ग्रामीणों को मुक्त करना भी रूरल डेवलपमेंट के तहत आता है।

वर्तमान समय में ग्रामीण भारत का चेहरा बहुत तेजी से परिवर्तित हो रहा है। देश की सरकार ग्रामीण विकास के लिए निरंतर अपने बजट में वृद्धि कर रही है। सरकार के विभिन्न मंत्रालय भी लगातार ग्रामीण विकास में अपनी भागीदारी बढ़ाते जा रहे हैं। इस कारण इस क्षेत्र में विभिन्न स्तरों पर रोजगार के अवसर भी तेजी से बढ़ रहे हैं। करियर के रूप में ग्रामीण विकास को इसलिए भी महत्व दिया जा रहा है, क्योंकि यह एक व्यापक क्षेत्र है तथा इस क्षेत्र में अवसर लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

गौरतलब है कि रूरल डेवलपमेंट एक बहुत बड़ी चुनौती है। इस क्षेत्र में काम करने से पहले स्वयं को तैयार करना बहुत जरूरी है। कृषि जगत में कार्यरत लोगों का आज पतन हो रहा है। इन लोगों को संभालकर इनका विकास करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। रूरल डेवलपमेंट का मतलब ही समाज का सही तरह से विकास करना है। यदि रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में आप काम करना चाहते हैं तो आप में ग्रामीण क्षेत्र के प्रति पक्षपात न करने की भावना होनी चाहिए।

रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम करने के लिए यह भी जरूरी है कि आप लोगों के प्रति समर्पण और सेवा का भाव रखें। आप में अपनी बातों से लोगों को प्रभावित करने की क्षमता हो। समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा भी होना चाहिए। ग्रामीण विकास का क्षेत्र बहुत विस्तृत है, ऐसे में पहले आपको सुनिश्चित करना होगा कि आप टीचिंग, रिसर्च या फील्ड वर्क में से कहां जाना पसंद करेंगे। आप जिस भी क्षेत्र का चुनाव करें, पूरे मन से, समाज की भलाई के लिए और तत्परता से काम करें। अपनी क्षमताओं और योग्यताओं का अपने काम के समय इस्तेमाल करें, तभी आप रूरल डेवलपमेंट में उजला करियर बना पाएंगे।

आज देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थान रूरल डेवलपमेंट में प्रोफेशनल कोर्स करा रहे हैं, जिसके चलते देश में प्रशिक्षित रूरल डेवलपमेंट प्रोफेशनल्स बड़ी संख्या में तैयार हो रहे हैं। रूरल डेवलपमेंट को प्रोफेशनल कोर्स के तहत माना जाता है। इस क्षेत्र में सबसे अधिक आपकी स्किल्स और रुचियां मायने रखती हैं। रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में जैसे-जैसे आपका अनुभव बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे आप तरक्की करने लगते हैं।

रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए 12वीं के बाद बीए, एमए इत्यादि के बाद सीधे-तौर पर ग्रामीण विकास के लिए काम किया जा सकता है लेकिन करियर को और बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि बैचलर ऑफ सोशल वर्क या मास्टर ऑफ सोशल वर्क का कोर्स किया जाए। इन कोर्सों में दाखिले के लिए हर संस्थान और यूनिवर्सिटीज में दाखिला लेने के अगल-अलग नियम व शर्तें हैं।

रूरल डेवलपमेंट क्षेत्र में काम करने के लिए 12वीं के बाद बैचलर ऑफ सोशल वर्क करके सीधे फील्ड में काम कर अनुभव पा सकते हैं या फिर इसके उपरांत दो साल का मास्टर ऑफ सोशल वर्क कोर्स करके कैंपस प्लेसमेंट से जॉब हासिल का सकते हैं। रिसर्च क्षेत्र में जाने के लिए दो वर्ष का एमफिल भी कर सकते हैं। आगे आप चाहें तो पीएचडी भी कर सकते हैं।

आमतौर पर इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए मास्टर ऑफ सोशल वर्क (एमएसडब्ल्यू) के दौरान आप तीन क्षेत्र रिसर्च, टीचिंग और प्रेक्टिस में से किसी एक क्षेत्र को चुन सकते हैं। रिसर्च क्षेत्र में आप एमफिल करके जा सकते हैं। या फिर एमएसडब्ल्यू करके आप शासकीय और गैर सरकारी संस्थानों पर रिसर्च कर सकते हैं। इसमें आप रूरल डेवलपमेंट में किए जाने वाले विकास के क्षेत्रों जैसे हेल्थ, कम्युनिटी वर्क, ह्यूमन रिलेशंस डेवलपमेंट, एचआईवी एड्स इत्यादि क्षेत्र में काम कर सकते हैं।

रिसर्चर के तौर पर आप एसोसिएट रिसर्चर या फिर रिसर्च डिजाइनर या किसी संस्थान के प्रोजेक्ट से जुड़कर काम कर सकते हैं। टीचिंग में आप किसी संस्थान या यूनिवर्सिटी में जाकर रूरल डेवलपमेंट पढ़ा सकते हैं। प्रैक्टिस के दौरान आप ग्रामीण लोगों के साथ मेल-जोल बढ़ाकर अपना काम कर सकते हैं या फिर आप पॉलिसी प्रैक्टिस में ग्रामीणों के लिए बनाई गई नीतियों में कमियां, खूबियां, आरटीआई इत्यादि में ग्रामीण लोगों को जागरूक कर, उनको दी जा रही सुविधाओं को बताने जैसे कार्य कर सकते हैं।

ग्रामीण लोगों के रहन-सहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, पंचायतें, अल्पसंख्यक, रोजगार, सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन उनमें बदलाव, उनकी कमियों को कम करने, उनका लाभ उठाने और लोगों को जागरूक करने आदि क्षेत्रों में काम किया जा सकता है। रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में आपकी सेलरी आपके अनुभव और काम करने की क्षमता के साथ ही आप किस संस्थान के साथ काम करने जा रहे हैं, इस पर निर्भर करती है जो 15 हजार से 65 हजार तक हो सकती है।

यहां से करें कोर्

1. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।

2. दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क, दिल्ली।

3. एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा।

4. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर।

5. जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली।

6. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, हैदराबाद।

7. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, सेक्टर-11, टैगोर मार्ग, मानसरोवर, जयपुर।