मंगलवार, 19 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. नवरात्रि
  4. devi suktam
Written By

देवीसूक्त : या देवी सर्वभूतेषु, पढ़ें यहां संपूर्ण पाठ

देवीसूक्त : या देवी सर्वभूतेषु, पढ़ें यहां संपूर्ण पाठ - devi suktam
या देवी सर्वभूतेषु देवी से आरंभ देवी सूक्त देवी का सबसे असरकारी पाठ माना गया है। नवरात्रि में प्रतिदिन (प्रातः, मध्यान्ह एवं सायंकाल में) तीन पाठ करने का विधान है। यहां पढ़ें संपूर्ण पाठ .... 
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणता स्मरताम। ॥1॥
 
रौद्रायै नमो नित्ययै गौर्य धात्र्यै नमो नमः।
ज्योत्यस्त्रायै चेन्दुरुपिण्यै सुखायै सततं नमः ॥2॥
 
कल्याण्यै प्रणतां वृद्धयै सिद्धयै कुर्मो नमो नमः।
नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः ॥3॥
 
दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै।
ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः ॥4॥
 
अतिसौम्यातिरौद्रायै नतास्तस्यै नमो नमः।
नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै नमो नमः ॥5॥
 
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥6॥
 
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥7॥
 
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥8॥
 
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥9॥
 
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥10॥
 
या देवी सर्वभूतेषुच्छायारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥11॥
 
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥12॥
 
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥13॥
 
या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥14॥
 
या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥15॥
 
या देवी सर्वभूतेषु लज्जारुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥16॥
 
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥17॥
 
या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥18॥
 
या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥19॥
 
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥20॥
 
या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥21॥
 
या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥22॥
 
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥23॥
 
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥24॥
 
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥25॥
 
या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥26॥
 
इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या।
भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदैव्यै नमो नमः ॥27॥
 
चित्तिरूपेण या कृत्स्त्रमेतद्व्याप्त स्थिता जगत्‌।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥28॥
 
स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रया -त्तथा सुरेन्द्रेणु दिनेषु सेविता॥
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्र्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः ॥29॥
 
या साम्प्रतं चोद्धतदैत्यतापितै -रस्माभिरीशा च सुरैर्नमस्यते।
या च स्मृता तत्क्षणमेव हन्ति नः सर्वापदो भक्तिविनम्रमूर्तिभिः ॥30॥
 
॥ इति तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम्‌ सम्पूर्णम्‌ ॥

ये भी पढ़ें
ॐ जगदम्बिके दुर्गायै नमः -पू्र्ण शक्ति चेतना मंत्र, पढ़ें 8 विशेषताएं