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Written By भाषा
Last Modified: सूर्य प्रयाग , मंगलवार, 25 जून 2013 (13:47 IST)

सूर्य प्रयाग में नहीं सजेंगी अब देव डोलियां...

सूर्य प्रयाग में नहीं सजेंगी अब देव डोलियां... -
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सूर्य प्रयाग। रुद्रप्रयाग में केदारनाथ मार्ग पर सुमाड़ी बाजार के नजदीक प्राचीन सूर्य प्रयाग मंदिर में मंदाकिनी के तट पर हर साल बैसाखी पर स्नान के लिए दस गांवों से आने वाली देव डोलियां अब नहीं सजेंगी।

यह मंदिर पूरी तरह से मंदाकिनी में समा गया है और अब यहां आने वाले किसी व्यकित के लिए यह अनुमान लगाना मुश्किल होगा कि इस स्थान पर कभी कोई मंदिर और आश्रम था। मंदिर लस्तर और मंदाकिनी नदी के संगम पर था और दोनों तरफ आए पानी के प्रवाह में मंदिर ही नहीं बल्कि मंदिर सहित पीछे पूरा पहाड़ ही दोनों नदियों की धारा में समा गया।

भीषण तबाही से पहले ही सुरक्षित स्थान पर पहुंचकर जान बचाने वाली मंदिर की माई गिरि ने बताया कि मान्यता थी कि इस संगम पर सैकडों पवित्र कुंड थे। इसी मान्यता के अनुसार हर साल बैसाखी पर श्यामा, सीयाली, डांडा सैंणी देवी, शंकरनाथ, कुथासैंणी आदि देवताओं की डोली पवित्र कुंडों में संगम पर नहाने आती थीं।

गांव में अन्य दो माइयों के साथ शरण ले रही माई ने बताया कि अब न देव डोलियां सजेंगी और न ही उनका प्राचीन भव्य सूर्य प्रयाग मंदिर लौटेगा। (वार्ता)